election 2024 (janta phir thagi jayegi)

 


Election 2024

लोकसभा चुनाव 2024 एक महत्वपूर्ण चुनाव है। चुनाव तो हर पाँच साल में होते है और सत्ताधारी पार्टोयाँ आती जाती रहती है और जनता जहाँ है वही रह जाती है जनता को हर पाँच साल में मंहगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार के अलावा कुछ ओर नही मिलता तो फिर यह चुनाव किसके लिए है। यह अवाम केवल गुलाम बनकर रह चुकी है सत्ताधारीयों के आगे।

मणिपुर में 2023 में शर्मसार घटनांए हुई। बेकसूर तीन औरतो को नग्न घुमाया गया। आज कोई कहने सुनने वाला नही है। मणिपुर जलता रहा और सरकार खामोश बैठी सब कुछ देखती रही भारत देश की जनता में एकता तो है ही नही इसलिये किसी को किसी की फिक्र ही नही है। पहलवान लड़कीयों का यौन शोषण होता रहा वह इसके खिलाफ आवाज उठाती रही मगर सरकार ने न्याय देने की बात तो दूर है उन लड़कीयों पर पुलिस के डंडे बरसा दिये।यह भारत देश किस दिशा की ओर जा रहा है जहाँ केवल पतन है।

तो चुनाव 2024 का तातत्पर्य क्या रह जाता है किसी की भी सरकार बनती है जनता को क्या मिलेगा। गरीब को गरीबी ,बेरोजगारोें को बेरोजगारी इसके अलावा जनता को कुछ ओर नही मिलेगा। तो फिर यह चुनाव किसके लिये है। जनता एक पल के लिये यह सोचे तो सही कि जनता हर पाँच साल में केवल वोट के लिये इस्तेमाल की जाती है इसके बाद use and throw वाली नीति सत्ताधारी चलते है।

राजनीति एक व्यवसाय है राजनीति के जाल में जनता फँसी हुई है। जैसे बिन पानी मछली। चुनाव से पहिले जनता के शोषण की कहानी लिखी जाती है। चन्दा जिसे इलेक्ट्रांल बान्ड भी कहते है। इस चन्दे के द्वारा राजनैतिक पार्टीयों को advance में पैसा दे दिया जाता है और चुनाव के बाद जनता की खाल खीचकर यह पैसा वसूला जाता है। भुगतना जनता ने करना ही है क्योकि जनता बेवकूफ बन रही है राजनीति वेवकूफ बना रही है।

जनता का भी अन्धापन है कि जनता ने परिवर्तन को नही अपनाया। ईमानदार लोगो को वोट नही दिये और आज यह ईमानदार लोग केवल ईमानदारी के कारण जेल में बन्द है।

केजरीवाल ]मनीष ससौदिया सत्येन्द्र जैन को बिना किसी सबूत के जेल में बन्द किया हुआ।वो भी दिनेश अरोड़ा शराब कारोबारी की झूठी गवाही के बनाह पर भारत देश में शायद इस तरह की राजनीति पहली बार देखी गयी है। मुख्यमन्त्री को बिना किसी सबूत के जेल मे डाल दिया। यदि शराब कांड भी था तो पहिले मुकदमा चलता है बाद में गिरफ्तारी होती मगर आज ईस्ट इन्डिया का कानून भारत देश में चल रहा है।कोई कहने सुनने वाला नही है।

आज स्थिति ऐसी है कि यदि कोई गरीब इन्सान जिसके पास अपना केस लड़ने के लिये पैसे नही है कोर्ट में जाता है तो बिना धन वह अपनी याचिका दायर नही कर सकता क्योकि वकील की मोटी फीस देने में वह असमर्थ है। तो यह चुनाव कैसा जो कोई परिवर्तन नही करेगा बस सत्ताधारी पार्टी जनता का शोषण करेगी और बड़ी कम्पनीयों को फायदा दिया जायेगा।

सरकारी अस्पतालों में जो भ्रष्ट सिस्टम है क्या वह चुनाव के बाद भ्रष्ट सिस्टम खत्म हो जायेगा जवाब है नही। आज भी सरकारी अस्पतालो में गरीबों के लिये जो सरकारी दवाईयाँ जनता के लिये फ्री आती है वह बाजार में केमिस्टों को बेच दी जाती है और गरीब जनता को इन केमिस्टों से दवाई खरीदकर अपना इलाज करवाना पड़ता है। तो क्या चुनाव के बाद सरकारी अस्पतालों की ब्लैक मार्किटिग बन्द होगी जवाब है नही तो फिर यह चुनाव किसके लिये है। यह चुनाव सत्ताधारी पार्टोयों को पैसा कमाने के लिये और जनता का शोषण करने के लिये है। जनता तो आजाद देश की गुलाम बन चुकी है।

 

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