भोपाल के झाबुआ में दो दर्दनाक मौत ने सिस्टम की पोल खोल दी है

 

   


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भोपाल के झाबुआ में दो दर्दनाक मौत ने सिस्टम की पोल खोल दी है

article written by: mahendra verma(social worker and writer)

जगह-जगह नगर निगम की लापरवाही से सड़क में गडडों के कारण दर्दनाक हादसे हो जाते है। कोई सरकार सरकारी कार्यालय इस ओंर ध्यान नही देते झाबुआ का रहने वाला भारत सिंह 16 साल का नौजवान था और वह 11वी क्लास का होनहार विद्यार्थो था मगर गरीब होने के कारण वह पढ़ाई के लिये अपनी किताबे नही खरीद पा रहा था इसलिये वह अपने पिता के भोपाल के एक सीवर में काम करने के लिये चला गया। उसे क्या पता था कि मौत घात लगाये बैठी है भोपाल शहर के सीवर में गिरने के कारण उसकी उसके पिता की मौत हो गयी।

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भारत देश में गरीब मजदूर का बेटा क्या मजदूरी ही करेगा।क्या सरकार का यह फर्ज नही  िक वह इन गरीब विद्यार्थोयो की पढ़ाई में मदद करे। सरकार की योजनांए केवल सरकारी फाईलों में सिमट कर रह जाती है। भारत देश में कानून की व्यवस्था ही कुछ ऐसी है कि गरीब इन्सान यदि अपने हक की कानूनी लड़ाई लड़ना चाहे तो पैरवी करने वाले की फीस देने वालों को उसके पास नही होते और ज्यादतर एक गरीब इन्सान अपने हक की कानून लड़ाई नही लड़ पाता। गरीबों के केंस फाईलों में ही दबे रह जाते है

कुछ गरीब लड़कीयों के साथ बलत्कार होता है मगर पैरवी करने वाले की फीस देने के लिये उनके पास पैसे नही होते और इस तरह के काफी केंस फाईलो में दबे रह जाते है।

भगत सिंह के पिता का नाम शैतान सिंह था और वह अपने बेटे भारत सिंह को एक बड़ा अधिकारी बनाना चाहते थे । मगर गरीबी के कारण भारत को भी अपने पिता के साथ मजदूरी करने जाना पड़ता था।

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ज्यादातर गरीब इन्सान वोट की लाईन में भूखा प्यास खड़ा रहता है और सबसे ज्यादा शोषण एक गरीब इन्सान का ही होता है। गरीब इन्सान यदि वोट देना बन्द कर दे तो शायद भारत देश से गरीबी हट सकती है। क्योकि हर पाँच साल वोट दिये जाते और हर पाँच सालों में गरीबी , मंहगाई, बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नही बढ़ता। तो अब वोट देने का महत्व क्या रह जाता है। ईमानदार इन्सान राजनीति में टिक नही सकता क्योकि राजनीति एक काला व्यवसाय है।

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     सरकार जनता से टैक्स तो पूरा वसूलती मगर यह पूरा पैसा कार्य में खर्च नही होता । खराब सड़को, टूटी फूटी सड़कों के कारण लाखों एक्सीडेन्ट होते है।जिसमें कुछ लोग अंपग हो जाते और कुछ मारे जाते है। जनता टैक्स न दे तो उसके लिये कानून है वसूली का मगर जनता का टैक्स का पैसा कितना चोरी हो जाता है यह हिसाब जनता सरकार से नही माँग सकती क्योकि जनता गुलाम बन चुकी है।कई सरकारी योजनाये चलती है मगर कुछ उन लोगो को फायदा होता है जो अधिकारीयों की जेब गरम करते है।

भारत सिंह की दो बहने और एक भाई है जो गाँव में ही रहते है। घर की माली हालत बड़ी खराब इसलिये भारत के पिता भोपाल में महदूरी करने जाते थे। जहाँ पर उन्हें 370 रूपये प्रतिदिन मजूरी मिलती थी।मजबूरी किताबें खरीदने के लिये भारत भी अपने पिता के साथ मजदूरी करने चला गया और सीवर में गिरने से उसकी और उसके पिता की मृत्यु हो गयी। कल किसी ओंर के साथ ऐसा न हो इसलिये अपना वोट निष्पक्ष भाव से जातिवाद पक्षपात के आधार पर न दो क्योकि यदि एक ईमानदार सरकार भारत में हो तो इस तरह के हादसों को रोका जा सकता है।

 

 

 


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