evm hacking claims in indian elections how to hack an evm machine

 



क्या EVM(Electric voting machine)  लोकतन्त्र के लिये खतरा है




2023 में राजस्थान मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने के बाद भाजापा की पूर्ण बहुमत से इन तीनों राज्यों में जीत हुई है और काग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।  EVM  को बन्द करके  2024 में बैलेट पेपर से चुनाव के पक्ष में विपक्ष लगातार सुप्रीम कोर्ट के जरिये अपनी आवाज उठा रहा है। अब यहाँ पर बात पक्ष और विपक्ष की नही है असल में जीत प्रजातन्त्र की होनी चाहिये क्योकि कोई भी पार्टो EVM को हैक कर सकती है इसलिये हमें पार्टोयों के विषय में नही सोचना हमें प्रजातन्त्र के विषय में सोचना है।क्योकि भारत देश एक लोकतान्त्रिक देश है लोकतन्त्र जिन्दा रहे इसलिये चुनाव निष्पक्ष होने चाहिये और जो जनता जिसे वोट कर रही है उस पार्टो को ही वोट जाना चाहिये।



नही तो वोट देने का अर्थ क्या रह जायेगा

डाक्टर भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माता है और बाबा साहेब ने ही वोट देने के नियम संविधान में  रचे और लागू किये ताकि एक आम जनता को वोट के माध्यम से अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया ताकि लोकतन्त्र जिन्दा रहे। भारत देश का प्रत्येक नागरिक एक ऐसी सरकार को चुने जो हितैषी हो  बेरोजगार को रोजगार दे गरीबों के लिये योजनांए चलाये जिससे उनकी गरीबी दूर हो। न्यायप्रणाली सत्य के आधार पर चले मगर  EVM ने वोट देने के महत्व को खत्म कर दिया। क्योकि ईवीएम को हैक करके सत्तारूढ़ सरकार वोट अपने पक्ष में कर सकती है। इसलिये ईवीएम के बजाय वोट बैलेट पेपर से देने की व्यवस्था फिर से शुरू होनी चाहिये ताकि लोकतन्त्र जिन्दा रहे।

जनवरी 2024 से india गंठबन्धन ईवीएम को बन्द करके 2024 लोकसभा चुनाव में बैलेट पेपर से चुनाव करने की माग कर रहा है । और यह आन्दोलन सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुका है। जनता को अब ईवीएम भर भरोसा नही क्योकि ईवीएम को हैक करके सत्तारूढ़ पार्टो अपने पक्ष में चुनाव का Result कर सकती है। इसलिये ईवीएम को बैन करना ही उचित होगा।

ईवीएम का प्रमुख नुकसान यह है कि यह चुनाव प्रक्रिया में अद्यतितता और पारदर्शिता की कमी लाता है। इस पर आपत्ति यह है कि इसमें कोई सॉफ्टवेयर बदलाव करना मुश्किल है और लोगों को यह जानकर भरोसा है कि उनका वोट सही है या नहीं। साथ ही इसमें विभिन्न तकनीकी गड़बडि़याँ हो सकती हैं जो अस्थायी रूप से चयन पर प्रभाव डाल सकती हैं।

ईवीएम को हैक करना मुश्किल है परन्तु असम्भव नही ईवीएम को हैक करके कोई भी मजा हुआ प्रोग्रामर ईवीएम को हानि पहुँचा सकता है । इसलिये ईवीएम से वोट करना न्यायसंगत नही है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सन 2023 में हुये राजस्थान,मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर ईवीएम को प्रस्तुत करने का आदेश दिया परन्तु करीब 800 ईवीएम जला दी गयी और सबूत मिटा दिये गये। ऐसे में बैलेट पेपर से ही आगामी लोकसभा चुनाव होने चाहिये ईवीएम से वोट देने का कोई महत्व नही रह जायेगा।

दूसरा नुकसान यह है कि ईवीएम लोगों को चयन प्रक्रिया से दूर कर देती है और उन्हें चयन पर सशक्त करने की अधिकारी भीना कर देती है। हाथ में पेपर बैलट होने पर लोग सीधे तौर पर अपने प्रत्याशियों का चयन कर सकते हैं जो लोकतंत्र की सराहनीय बात है।

चुनाव पर निगरानी करने वाली संस्था एडीआर(एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफाँमर्स) ने कहा कि ईवीएम की व्यवस्था ऐसी होने चाहिये जिससे कि वोटर और विपक्ष सन्तुष्ट हो । वोटर को लगे कि उसने जिसे वोट दिया है उसे ही वोट जाना चाहिए इसलिये ईवीएम की मशीन के साथ vvpat की मशीन होनी चाहिये।विपक्ष लगातार इस बात की मांग कर रहा है । विपक्ष चाहता है कि वोटर को एक रसीद मिलनी चाहिये कि उसका वोट किसको गया। vvpat से दो पर्चो निकली चाहिये जिसमें से एक पर्चो वोटर के पास रहनी चाहिये और दूसरी पर्चो ड्रांप बाँक्स में जमा होनी चाहिये।या फिर ईवीएम की बजाय वोट बैलेट पेपर से होने चाहिये तो सारा विवाद ही खत्म हो जायेगा। अमेरिका और जापान जैसे विकसित देश ईवीएम मशीन बनाते तो है मगर अपने देश में बैलेट पेपर से ही चुनाव कराते है तो भारत देश में ईवीएम से चुनाव क्यो?

 


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