जोशीमठ में क्यों आयी प्राकृतिक आपदा
क्या यह संसार खत्म होने की
शुरूआत है
जोशीमठ उत्तराखण्ड राज्य में एक पवित्र स्थल है यहाँ से ब्रदीनाथ और केदारनाथ मन्दिरों के लिए जाने का रास्ता है। सत्य शक्ति भगवान नरसिंह का प्राचीन मन्दिर भी यहाँ पर स्थित है ब्र्रद्रीनाथ मन्दिर के शीत कालीन के समय जब कपाट बन्द हो जाते है तो भगवान नारयाण नरसिंह मन्दिर मंे विराजते है
।
बिना नरसिंह मन्दिर के
दर्शन के
बिना ब्रदीनाथ की
यात्रा अधूरी मानी जाती है। जब
भगवान नरसिंह के
सत्य रूप ने
राक्षस हिरणकश्यप का
वध किया था
तो भक्त प्रहलाद ने
जोशीमठ के
इसी स्थान पर
तपस्या की
थी और
यहाँ पर
भगवान नरसिंह का
क्रोध शान्त हुआ था
। इस
मन्दिर मंे भगवान नरसिंह की
मूर्ति है
जिसका एक
हाथ विलुप्त होता जा
रहा है
कहा जाता है
जिस दिन यह
हाथ पूर्ण रूप से
विलुप्त हो
जायेगा उस
दिन पूरे संसार में प्रलय आ
जायेगी और
सम्पूर्ण संसार प्रलय की
गोद में समा जायेगा।क्योकि हाथ लुप्त होती भगवान नरसिंह का
क्रोध जाग जायेगा। नर
नारायण पहाड़ो के
बीच ब्रद्रीनाथ मन्दिर है
प्रलय के
समय यह
दोनों पहाड़ मिल जायेगे और
भगवान ब्रदी बद्रीनाथ छोड़कर भविष्य ब्रद्री मन्दिर में प्रस्थान करेगे।और इसी के
साथ कलयुग का
अन्त होगा।
writer: mahendra verma
जोशीमठ धरती के अन्दर क्यों समाता जा रहा है यह एक गम्भीर विषय है कारण है मनुष्य जिस डाली पर बैठा है उसे ही काट रहा है। सरकार अधिक बिजली बनाने की एवज में पहाड़ो का कटान किया कई वृक्ष काट दिये। पहाड़ो में बारूद लगाकर उन्हें उड़ाया गया एनटीपीसी ने पहाड़ो को काटकर सुरगे बना दी भूस्खलन की सबसे बड़ी वजह ये ही बनी है।पर्यावरण की क्षति तो हुई और फिर देखने को मिला प्रकृति का रौद्र रूप ।सरकार बिजली बनाकर अन्य राज्यों में बेचती है। परन्तु विकास के नाम पर जोशीमठ की जनता आज रास्ते मे आ चुकी है उनके मकान धरती में धँस चुके है घर से बेघर लोगा कहा जाये कहते है जिसका आशिया चला गया उसका सब कुछ चला गया। सरकार की ओर से अरबो रूपया जनता के पुनःनिवास के लिये आयेगा मगर नेतागण और अधिकारीयों द्वारा यह पैसा खा लिया जायेगा। इसलिये सरकार को चाहिये कि ऐसी नीति बनाये कि आपदा से पीढि़त जनता तक यह पैसा पहुँचे। तभी उत्तराखण्ड के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।
यह भी देखा गया कि
जब से
उत्राखण्ड राज्य बना है
प्राकृतिक आपदाए यहाँ पर
आती रही है
सन 2013 में धारी देवी का
मन्दिर हटाये जाने पर
भयंकर प्रलय केदारनाथ में आयी थी
इसलिये सरकार को
सोचना चाहिये की
देवभूमि एक
धार्मिक स्थल है
प्रकृति से
छेड़छाड़ न
करे।
सत्युग में भगवान नरसिंह जब
राक्षस हिरणकश्यप का
वध करके क्रोध रूप में आये थे
तो समुद्र के
सबसे निचले हिस्से में जोशीमठ स्थित था
जो कि
तपस्या द्वारा पृथ्वी पर
आ गया और
भगवान नरसिंह का
क्रोध यहाँ शान्त हुआ था।
सत्युग के बाद त्रेतायुग आया त्रेतायुग मंे जब
मेघनाथ के
बाड़ो से
भगवान लक्ष्मण घायल हो
गये तो
हनुमान जी
सजीवनी बुटी लेने के
लिए आसमान से
उड़ते हुए जा
रहे थे
कि अचानक हनुमानजी ने
जय-जय
श्री राम जपते हुए एक
आवाज सुनी और
वह आसमान से
उड़ते हुए धरती पर
आ गये जहाँ पर
साधु को
भेष धारण किये राक्षस कालनयमी हनुमान जी
को अपने पथ
से गुमराह करने के
लिये बैठा हुआ था। यह
जगह जोशीमठ ही
है। हनुमान जी
साधु के
भेष में कालनयमी को
पहचान गये और
हनुामनजी ने
अपनी गदा से
कालनयमी राक्षस का
वध इसी जोशीमठ स्थान पर
किया था
और तब
से यहाँ पर
लाल रंग का
कीचड़ भी
बहता है।
द्वापर युग में महाभारत युद्व के
बाद पाँडव भी
जोशीमठ से
होते हुए बदरीनाथ धाम पहुँचे और
जहाँ से
पाँडवों को
स्वर्ग की
प्राप्ति हुई तो
यह जोशीमठ बहुत ही
पवित्र पावन भूमि है
यहाँ पर
सरकार को
एनटीपीसी के
प्रोजक्ट हेतु जोशीमठ के
पावन क्षेत्रो का
कटान नही करना चाहिए था
सरकार यह
कदम सनातन धर्म को
समाप्त कर
रहा है। कलयुग में जोशीमठ पर
आदि गुरू शंकराचार्य
ने तप
किया और
भगवान नरसिंह की
मूर्ति प्राप्त की
जो आज
भी भगवान नरसिंह मन्दिर में स्थित है। इस
मन्दिर में एक
भविष्य मलिका नामक किताब भी
मिली है
जिसमें लिखा हुआ है
कि 2023 में प्रलय की
शुरूआत होगी और
जोशीमठ पृथ्वी में धँसता जायेगा। और
यह भविष्यवाणी सच
साबित हो
रही है
और भूकम्प के
झटके दिल्ली एनसीआर में भी
महसूस किये गये है। कुछ मनुष्य की
स्वार्थता के
कारण प्रकृति में प्रलय का
एक रूप देखने को
मिल रहा है। भविष्य मालिका में जो-जो लिखा है
वह सब
सच हो
रहा है।आज जोशीमठ उत्तराखण्ड में भूस्खलन के
कारण खेती की
जमीनो में भी
दरारे बड़ती जा
रही है
जिसके कारण खेती करना नमुमकिन हो
गया है तथा अनाज की
किल्लत जोशीमठ में शुरू हो
चुकी है। ऐसा भी
लगता कि
माता धारीदेवी भी
जोशीमठ से
नाराज हो
रही है।
यह बात तो
सच है
जिस डाली पर
बैठे हो
उसे ही
काटोगे तो
गिरना तो
निश्चित है।
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