manipur violence


 

मणिपुर में औरतो को नग्न क्यों घुमाया गया?

मणिपुर  करीब दो तीन महीनों से सुलग रहा है । मणिपुर में तीन मई 2023 को जो दिल दहलाने वाली वारदात हुई इस घटना ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। यह सब जानबूझकर किया गया। यह सब राजनीति के तहत जातिवाद के आधार पर वोट पाने के लिये किया गया। मणिपुर 83 तीनों से जल रहा है मगर मणिपुर सरकार व केन्द्र सरकार ने आँखों में पटटी बाँधी हुई है । यह सब हमें सन् 1947 के दिनों की याद दिलाता है जब हिन्दुस्तान व पाकिस्तान का बटवारा हुआ था। और हिन्दु और मुसलमानों के बीच ऐसे ही लड़ाई हुई थी। सन् 1947 में तो अग्र्रेजो ने फूट डालो और शासन करो के तहत हिन्दु मुस्लिम के बीच लड़ाई करवायी थी जिसमें कई बहनों की अस्मत लूटी गई थी। आज भी मणिपुर में फूट डालों और शासन करों की नीति के तहत मणिपुर सरकार और केन्द्र सरकार राजनीति कर रही है। मणिपुर में जो तीन स्त्रीयों को नग्न घुमाया गया ऐसा कार्य तो प्राचीन काल में कभी रावण व अन्य किसी राक्षस ने भी नही किया । कलयुग के कुछ मनुष्य तो राक्षसो से भी आगे निकल गये।किसी स्त्री को नग्न करके उसे पूरे नगर में घुमाना यह तो मनुष्य का काम नही हो सकता । यह कुकृत्य अवश्य किसी ऐसे जीव ने किया है जिसे मनुष्य कहना मनुष्यता का अपमान है। ऐसा घृणित कार्य तो राक्षस भी नही करते थे।

मणिपुर में दो समुदाय के बीच विवाद दो तीन महीने से चल रहा है केन्द्र व मणिपुर राज्य सरकार ने जानूबूझकर इस नरसंहार से आँखें बन्द की हुई है। मणिपुर के मुख्य मन्त्री एन बीरेन सिंह भी कह रहे कि न जाने कितने स्त्रीयों के साथ बलत्कार व नग्न घुमाने की घटनाए हुई है।एन बीरेन सिंह मैतई समाज से है।

जब सीजीआई चन्द्रचूड़ ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार इन घटनाओ को नही रोकती तो सुप्रीम कोर्ट को हस्तेक्षप करते हुए अपने तरीके से कार्यवाही करनी होगी।

जब मणिपुर जल रहा था औरतो को नग्न घुमाया जा रहा था तो प्रधानमंत्री विदेश यात्रा कर रहे थे।

यह तीन स्त्रीयाँ जब अपनी अस्मत बचाते हुए पुलिस थाने की ओर भाग रही थी तो रास्ते में ही इन्हें पुलिस मिली और पुलिस ने अपनी गाड़ी मे बैठाया परन्तु कुछ देर आगे चलने के बाद एक शैतानों की भीड़ के हवाले कर दिया और उसके बाद इन तीन औरतो को नग्न किया इनका बलत्कार किया। जब 19 साल के भाई और उसके पिता ने अपनी बहन बेटी की अस्मत को लूटते हुए देखा तो वह भीड़ के शैतानो से भीड़ पड़ा और इस भीड़ ने 19 साल के एक लड़के व उसके पिता  की भी हत्या कर दी। मणिपुर पुलिस देखती रही वैशी दरिन्दे  औरतो को नगन अवस्था में परेड कराते  रहे । पुलिस चाहती तो इस कुकृत्य को रोक सकती थी ।मगर पुलिस भी तमाशाबीन बनी रही।

मणिपुर के मुख्यमन्त्री एन बीरेन सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए ।मगर मनमानी है कोई कुछ नही कर रहा है।

मणिपुर में आज भी समय है राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिये और फिर चुनाव बैलेट पेपर से होने चाहिए।

भीड़ का कोई अपना अस्तित्व नही होता और समाज भी  भीड़ की सोच से चलता है ।

फूट डालों और शासन करों की राजनीति नेतागणो को छोड़नी होगी और जनता को जातिवाद को त्यागकर एकता शान्ति का रास्ता अपनाना होगा।जातिवाद के आधार पर वोट मांगने वाले ऐसे नेतागणों ऐसी राजनीतिक पार्टीयों का बहिष्कार करना चाहिये।

मणिपुर में मेतई और कुकी जाति के लोगो के बीच आरक्षण के मुद्दे को लेकर संघर्ष हुआ और इस संघर्ष के दौरान आगजनी और लूटपाट हुई इस बात को 83 दिन बीत गये मगर मणिपुर सरकार ने कोई कार्यवाही नही की और मेर्तई समुदाय के लोगो को हथियार भी पहुँचाये गये किसी अज्ञात द्वारा। फिर तो हद इतनी कर दी बहुत स्त्रीयों और कन्याओं के बलत्कार हुए उन्हे मार दिया गया पुलिस द्वारा कई एफआईआर  की गई मगर कोई कार्यवाही नही की । ऐसा लग रहा था माना प्रशासन ने आँखे ही बन्द कर ली और लूटपाट व हिंसा का दौर आज भी जारी है।

लड़ाई के इन मुख्य कारणों के चलते यह जरूरी है कि सरकार और समुदाय के नेता संवाद स्थापित करें और विवादों के न्यायिक तरीके से हल निकालने का प्रयास करें। साथ ही, संसाधनों के बंटवारे और स्वायत्तता के मुद्दों को समझने के लिए शिक्षा और सशक्तिकरण के प्रोग्रामों को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण होगा। धीरे-धीरे, सभी समाज के भीतर समानता और सद्भावना के भाव को प्रोत्साहित करने से यह विवादों को समाप्त किया जा सकता है और एक शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज के निर्माण में सहायक साबित हो सकता है।

भारत के मणिपुर राज्य में 2023 में मैतई और कूकी समुदाय के बीच हुई लड़ाई का मुख्य कारण एक जातीय विवाद था। यह विवाद इस राज्य के इतिहास में लम्बे समय से चल रहा है और दोनों समुदायों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक मुद्दों से संबंधित है।

मैतई और कूकी समुदाय, दोनों अलग-अलग अनुसूचित जातियों से सम्बद्ध हैं और अपनी भाषा, संस्कृति, और परंपराओं में भिन्न हैं। इस समूहों के बीच भिन्नता के कारण वे विशेष अधिकारों, संरक्षण, और सरकारी योजनाओं के लिए एक दूसरे से आपसी संघर्ष करते रहते हैं।

सामाजिक और आर्थिक समस्याएं भी इस विवाद को बढ़ाती हैं। सामाजिक दृष्टिकोन से दोनों समुदायों के बीच घृणा और अपनापन के भाव हैं जो इस मुद्दे को और ज्यादा जटिल बना देते हैं। इसके अलावा, आर्थिक असमानता और विकास के अवसरों में भी अंतर है, जिससे दोनों समुदायों के बीच आपसी विश्वासघात होता है।

इस विवाद के पीछे राजनीतिक और भौगोलिक प्रक्रियाएं भी थीं, क्योंकि मणिपुर राज्य भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है, और यह भौगोलिक स्थिति भी समुदायों के बीच सीमाओं के विस्तार और पहुंच पर प्रभाव डालती है। इसके साथ ही, राज्य में राजनीतिक दलों के बीच विवादों और आपसी घोषणा के कारण भी इस तरह के विवादों को उभारा गया है।

 


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