राहुल गाँधी को क्या जेल हो सकती है(rahul gandhi)

 








राहुल गाँधी को मानहानि के एक केस में सूरत की एक अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है। क्या यह विपक्ष की राजनीति है राहुल गाँधी को चुनाव में भाग न ले सके । क्या विपक्ष इतना घबरा गया है  िक वह किसी भी नीति को अपनाकर काँग्रेस के बढ़ते कदम को रोकना चाहता है। क्या आज भारत देश मे सच बोलना एक गुनाह सा बनता जा रहा है। ईमानदार लोगो को जेल के अन्दर भर दो तफदीश तो चलती रहेगी हम जमानत होने नही देगे । ऐसा मनीष सिसोदिया के साथ भी हो चुका है। आज मनीष सिसोदिया के खिलाफ जाँच एजेन्सीयों के पास कोई सबूत नही है। मगर फिर भी मनीष सिसोदिया को जमानत नही मिल पा रही है।आज राहुल गाँधी,मनीष सिसोदिया, व सत्येन्द्र जैन के खिलाफ कार्यवाही नही हो रही है यह लोकतन्त्र की हत्या है। हार जनता की है सच्चाई की है समाज की है।यदि समाज से कोई भी सत्य की आवाज को उठायेगा उसके खिलाफ यही होगा जो आज इन नेताओं के साथ हो रहा है। भारत देश में आज सच बोलना ,ईमानदारी से कार्य करना एक गुनाह सा बनता जा रहा है। यह कुछ ईमानदार नेता किसके लिये लड़ रहे है प्रश्न यह उठता है जवाब है जनता के लिये तो क्या जनता इनके लिये सड़को पर उतरेगी या सत्य को बलिवेदी पर चढ़ते हुए देखती रहेगी।राहुल गाँधी को जमानत तो मिल गयी है मगर सजा की तलवार अब भी उनके सर पर मँडरा रही है। राहुल गाँधी को सत्ता का लोभ नही है इसलिये 2013 से पहिले केन्द्र में काग्रेंस के होते हुए भी राहुल ने कोई पद ग्रहण नही किया। राहुल गाँधी शुरू से ही जन सेवा में लगे रहे बिना किसी स्वार्थ के।

कर्नाटक 2023 के चुनाव में काग्रेंस का वोट बैक बढ़ सकता है क्योकि जनता अब राहुल के साथ है जनता यह महसूस कर रही है राहुल के साथ विपक्ष लगातार असवैधिनक तरीके से वार कर रहा है मगर विपक्ष की यह चाल उलटी साबित होगी । क्योकि जनता का रूझान अब काग्रेंस को वोट देने की ओर है।काग्रेस को वोट देकर जनता राजीव गाँधी और इन्दिरा गाँधी को श्रद्वाजलि देना चाहती है। क्योकि राजीव गाँधी और इन्दिर गाँधी ने देश के लिये अपनी जिन्दगी की कुर्बानी दी है।

 आज लोगो के मकान में बुुलडोजर चल रहे है उनके कागज भी कोई देखने के लिये तैयार नही । सिस्टम ने जनता को आज आजाद देश का गुलाम तो बना दिया है। कुछ लोगो के सर पर भी बुलडोजर की तलवार लटक रही है।तो क्या 2024 में जनता एकजुट होकर सोचेगी या सिस्टम का शिकार होकर शोषित होती रहेगी।क्या जनता अपनी मानसिकता को बदलेगी या पक्षपात ,जातिवाद,मनुवाद के आधार पर ही वोट देती रहेगी।जनता मंहगाई,बेरोजगारी के चक्रव्यूह में फँस चुकी है जनता का ध्यान सत्य की ओर नही जा रहा है। मगर जनता की यह अनदेखी जनता को भ्रष्टाचार के रूप में भुगतनी पड़ रही है।आने वाले समय में जनता का अस्तित्व केवल बुलडोजर के नीचे दब कर रह जायेगा।

भारत देश में सबसे बड़ी कमी है जनता में एकता नही है।

राहुल गाँधी को फिलहाल जमानत तो मिल गयी है मगर एक संदेश विपक्ष ने उन्हें दे दिया है कि हमारे खिलाफ कुछ भी बोलोगे तो हम बख्शगेे नही चाहे वो जनहित का मुद्दा क्यों न हो। भारत देश की विडम्बना यह है कि आज के दौर में चुनाव कैलकुलैशन से जीता जाता है। शायद सत्ता के घमंड मे चूर नेतागण जनता को मूर्ख समझते है।कि हम तो इनका बेवकूफ बना कर वोट ले लेते है। फिर विकास की क्या जरूरत है जनता तो सिस्टम के हाथ की कठपुतली बन चुकी है।राहुल गाँधी का मकसद उन लोगो के खिलाफ जाँच करवाना था जो भारतीय जनता का धन बैको से ऋण के रूप में लेकर फरार हो गये। अडानी 4.5 लाख करोड़ रूपये, इस तरह से नीरव मोदी ,माल्वीया इत्यादि भी बैको का पैसा हजम कर गये ।यदि इनके खिलाफ राहुल गाँधी जैसे नेतागण कार्यवाही की माँग करते है तो क्या गलत है।

मनीष सिसोदिया,सत्येन्द्र जैन,राहुल गाँधी के खिलाफ इस तरह से कार्यवाही होती रही तो क्या यह नेतागण राजनीति से सन्यास ले सकते है या नही या फिर सिस्टम से हाथ मिलाना इनकी मजबूरी बन जायेगा। तो फिर देश और उसकी जनता का क्या होगा यदि क्रान्तिकारी  शहीद सज्जन अग्रेजो से हाथ मिला लेते तो क्या आज भारत देश अग्रेजो की गुलामी से आजाद हो पाता । भारत देश की 80 प्रतिशत जनता की मानसिकता पर तो सिस्टम राज कर चुका है जो इन्हें आजाद करायेगा वो जेल में डाल दिया जायेगा। यह सिर्फ वोट की राजीनति है 2024 के चुनाव की तैयारी

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