प्रतिशोध ((a fire of revenge) mystery novel

 


वह राघव को बडी नफरत भरी निगाहों से देखने लगा और दॉत भीचते हुए राघव के सिर से चादर खीच ली।राघव हड़बड़ा कर जाग गया और बल्ब का बटन दबा दिया। एम.एल.ए. राघव उस आदमी को देखकर घबरा गया और उसके माथे से पसीने की बूॅदे टपकने लगी। वह आदमी राघव को बड़ी नफरत भरी निगाहों से देख रहा था।

Ikzfr”kks/k

          (a fire of revenge)

       Suspenseful  murder mystery novel

रात के सन्नाटे में किसी के चलने की आहट होती है।वह आहट एक नौजवान की है जो एक जनून के साथ आगे बढ़ रहा है। वह नौजवान काला जैकेट पहने हुए है, उसके गले में लाल रूमाल बन्धा हुआ है और होठों में लम्बी सिगरेट दबाये हुये वो अंध्ेरी रात में मौत के तूफान की तरह बढ़ता हुआ जा रहा है।

एम.एल.ए राघव, जो शहर के एक प्रसिद्व व्यक्ति में से एक है। के घर में पार्टी चल रही है। पार्टी में नाच गाना चल रहा है। सभी पार्टो में आये लोग शराब और शवाब का आनन्द ले रहे है। ठीक रात के ग्यारह बजे पार्टी खत्म हो गई और पार्टो में आये हुए सभी लोग आपने घर वापस चले गये।

रात के सन्नाटे में वह काला जैकेट व लाल रूमाल पहने हुए मौत के तूफान की तरह राघव के घर की और बढ़ रहा है। एम.एल.ए राघव के घर के गेट के पास जाकर वह रूक गया। क्योकि गेट पर राघव का चौकीदार पहरा दे रहा था। वह राघव के घर की दीवार फांदता हुआ बगीचे मंे पहुॅचा। वहॉ से उसे राघव के मकान में रोशनदान दिखाई दिया और वह अपने आपको चौकीदार की नजरों से बचाता हुआ रोशनदान के रास्ते कमरे में दाखिल हुआ जहॉ पर राघव गहरी नींद में सो रहा है।

Your Transcation ID is CCA13GRPP795
Your Order ID is FWA246764397-3967
Your Script Reg ID is FWA246764397-3967
User Name MAHENDRA VERMA
Status Y
SucessFully Completed Transcation

  FWA246764397-3967Y       Mahendra verma

This novel is registered by swa and written by mahendra verma

वह राघव को बडी नफरत भरी निगाहों से देखने लगा और दॉत भीचते हुए राघव के सिर से चादर खीच ली।राघव हड़बड़ा कर जाग गया और बल्ब का बटन दबा दिया। एम.एल.ए. राघव उस आदमी को देखकर घबरा गया और उसके माथे से पसीने की बूॅदे टपकने लगी। वह आदमी राघव को बड़ी नफरत भरी निगाहों से देख रहा था।

एम.एल.ए राघव उठकर भागने की कोशिश करने लगा।

भागने की कोशिश मत करना राघव, वरना तुम्हारे शरीर के एक-एक अंब को काट दूंगा।

त्ुम तो मर चुक थे फिर तुम जिंदा कैसे हो गये राघव ने पूछा?

राघव नाली के कीड़े तुमने बहुत बेगनाहों को मौते के कफन ओढ़ाए है और आज वही कफन तुम्हारे दामन में गिरा है। आज मै तुम्हारी मौत बनकर आया हॅू। राघव इससे पहिले कुछ कह पाता उसने छह की छह गोलियां राघव के सीने में दाग दी।

गोलियां लगते ही  राघव जमीन पर गिर पड़ा । गोलियों की आवाज सुनकर चौकीदार राघव के कमरे की तरफ भागा और जैसे ही कमरे में पहुॅचा, वहॉ का दृश्य देखकर उसका चेहरा भयभीत हो उठा।

चौकीदार अपने मालिक राघव की खून से लथपथ लाश को देखकर भयभीत हो उठा और लाश के पास से भागते हुए उस खूनी को देखा जो हाथ में रिवाल्वर लिये वहा से भागता है।

ऐ सुनो चौकीदार चिल्लाया और फिर चौकीदार ने बहुत दूर तक राघव के खूनी का पीछा किया लेकिन अंघेरे मे ंवह खूनी गायब हो गया।

चौकीदार ने खूनी की काफी तलाश की लेकिन मायूसी के सिवा उसे कुछ हाथ नही आया।

चौकीदार ने खूनी को बहुत ढॅूढा मगर उसके कुछ हाथ नही आया।

अन्त में हारकर वह वासप राघव के घर की ओंर चल दिया।वह ख्ूान से लथपथ राघव की लाश के पास बैठकर आंसू बहाने लगा और कुछ देर बाद आंसू पोंछकर पुलिस स्टेशन फोन लगाया।

चौकीदार- हैलो-हैलो, मै कालीचरण रोड स्थित राघव के घर से उनका चौकीदार रामू बोल रहा हॅू।यहां पर राघव साहब का खून हो गयो है।

उस समय पुलिस स्टेशन पर इंस्पैक्टर राजेश डयूटी पर तैनाथ था।

ओ.के. रामू मै तुरन्त घटना स्थल पर पहुॅचता हूॅ।फोन पर चौकीदार का समाचार पाकर इंस्पैक्टर राजेश घटना स्थल पर राघव के घर पहुॅचा । वह सीधे उस कमरे में गया जहॉ पर राघव की लाश खून से लथपथ पड़ी हुई थी। लाश के पास उनका वफादार चौकीदार रामू बैठा था।

क्या तुमने ही फोन पर खून की इत्तिला दी थी?

जी हॉ इन्स्पैक्टर साहब। मैने ही आपको यहॉ बुलाया है।

इन्स्पैक्टर राजेश ने उस खून से लथपथ लाश का मुआयना किया।वहॉ उसे लाश के पास लाल रूमाल पड़ा हुआ मिलां।बाद में राघव की लाश को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया।

यह खून रात के कितने बजे हुआ रामू? इन्पेक्टर ने पूछा?

रामू- करीब रात के बारह बजे। मैने साहब के कमरे से गोली चलने की आवाज सुनी और गोलियो की आवाज सुनते ही मै उनके कमरे की तरफ भागा।वहां मैने एक काला जैकेट व लाल रूमाल पहने एक आदमी को देखा, जिसके बांए हाथ में रिवाल्वर था और उसकी आंखे सूर्ख लाल, भयानक मौत की तरह लग रही थी।मैने उजाले में उसके चेहरे को भली भांति देखा है।वह एक हटटा कटटा नौजवान था। उसकी रफ्तार बिजली की तरह थी। इसलिऐ वह मेरे हाथों से निकल गया। इस्पेक्टर राजेश ने उसका पूरा बयान दर्ज कर लिया।

इंन्सपेक्टर राजेश ने चौकीदार रामू को राघव के खूनी को पहचानने के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया।

दूसरे दिन चौकीदार को कमरा नम्बर 2 में ले गये।कमरा नम्बर 2 में शहर के कुख्यात मुजरिमों की तस्वीरें लगी है।

इंस्पैक्टर राजेश बोला,‘‘ रामू तुम राधव साहब के वफादार मुलाजिम हो, और आज तुम्हें उस खूनी को पहचानना है जिसने कल रात राघव का खून किया।मै तुम्हें खतरनाक मुजरिमों की तस्वीरें दिखाता हॅू और तुम्हें इन तस्वीरों को देखकर यह पहचााना है कि कल रात जिस खूनी को तुमने राघव का खून करके भागते हुए देखा था वो खुनी इन तस्वीरों में है या नही ।

रामू चौकीदार ने उन तस्वीरों को बड़े ध्यान से देखा और बोला- इस्पैक्टर साहब इनमें से राधव साहब का खूनी कोई नही है।

फिर इंस्पैक्टर राजेश ने चौकीदार रामू को वह फाइल दिखाई जिसमें प्रत्येक शहर के मुजरिमो की तस्वीरें लगी है।

चौकीदार रामू एक-एक करके मुजरिमो की तस्वीर बड़े ध्यान से देखने लगा और पहचानने की कोशिश कर रहा था। फाइल का पन्ना पलटने के बाद चौकीदार रामू की निगाह उस पन्ने पर ठहर गयी और वह चिल्लाकर बोला यह ही है राघव साहब का खूनी जो कल रात खून करने के बाद फरार हो गया था।

इंस्पैक्टर राजेश बड़ी हैरानी के साथ उस फाइल में लगी उस मुजरिम की तस्वीर को देखने लगा और फिर बोला? यह कैसे हो सकता है?

सब पुलिवाले भी चौकीदार रामू को बड़ी हैरानी से देखने लगे।

इंस्पैक्टर राजेश ने पूछा? रामू ध्यान से देखो और बताओं क्या ये ही राघव साहब का खूनी है जिसे कल रात तुमने एम.एल.ए राघव का खून करने के बाद फरार होते हुए देखा था?

चौकीदार रामू बोला,‘‘ जी हां इंस्पैक्टर साहब ये ही वह खूनी है । मै अपने बच्चों की कसम खाकर कहता हॅू। मैने वर्षो राधव साहब का नमक खाया है । मै भला झूठ क्यों बोलूगा?

इंस्पैक्टर राजेश बोला,‘‘ यह कैसे हो सकता है कि यह खूनी जिसे तुमने कल रात राघव साहब  का खून करके फरार होते हुए देखा था। यह खूनी तो पुलिस इन्काउंटर केस में मारा जा चुका है और मरा हुआ आदमी जिंदा कैसे हो सकता है।

चौकीदार रामू यह सुनते ही बेहोश हो गया।

00           00                                           00                                           00                                          

राणा साहब, जो संसद सदस्य है और शहर के एक प्रसिद्व व्यक्तियो में से एक है, उन्हें राघव के खून की खबर सुनकर गहरा दुख पहुॅचा क्योकि राघव साहब उनके घनिष्ठ मित्र थे।खून की खबर मिलते ही राणा साहब ने पुलिस इंस्पैक्टर राजेश को फोन लगाया।

राणा- हैलो हैलो। मै संसद सदसय राण बोल रहा हॅू आपकी पुलिस क्या कर रही है? कल रात राघव साहब का खून हो गया और कातिल का अभी तक कुछ भी सुराग नही मिल पाया।

इंस्पैक्टर राजेश- सर हम पूरी कोशिश कर रहे है। चौकीदार रामू ने खूनी को पहचान लिया है।

राणा - तो फिर दिक्कत क्या है?

सर जिस खूनी ने कल रात राघव साहब का खून किया था वह तो पुलिस एन्कांउटर में कब का मारा जा चुका है।

राणा- क्या बकते हो? ऐसा कैसे हो सकता है भला? मरा हुआ आदमी खून कैसे कर सकता है? यह सब पुलिस विभाग मंे क्या हो रहा है? इस गुत्थी को सुलझाने का प्रयत्न करो और जो भी खूनी है उसे फौरन चौबीस घण्टे के अंदर तलाश करके गिरफ्तार करो। यह मेरा ऑर्डर है। वह खूनी हमें जिंदा या मुर्दा चाहिए। यदि आपके हाथ खूनी  का कोई सुराग लगा है तो फौरन मेरे घर आने का कष्ट करें और मुझे इस केस के विषय में पूरी जानकारी चाहिए।

सर मै खूनी की फोटो आपके पास लेकर आ रहा हूॅ।

ओ.के राजेश अब मै फोन रखता हॅॅू।

इंस्पैक्टर राजेश संसद सदस्य राणा के घर पहुंचा। घर का नौकर इंस्पैक्टर राजेश को घर अंदर बिठाता है।साहब अभी थोड़ी देर में आयेगे ।

थोड़ी देर  बाद राणा वहां आ गया।

गुड इवनिंग सर, मै इंस्पैक्टर राजेश

राणा- मुझे जल्दी उस खूनी की तस्वीर दिखाओ जो कल रात से राघव का खून करके फरार है। सर यह है खूनी की फोटो जो कल रात राघव साहब का खून करके फरार हो गया।

राणा खूनी की तस्वीर देखते ही भौचक्के से रह गये और उनका चेहरा लाल हो गया। उसकी ऑखो के सामने अंघेरा छाने लगा।उसकी ऑखे फटी की फटी रह गयी।

राणा- इंस्पैक्टर राजेश पुलिस रिकार्ड मंे तो यह खूनी मर चुका है।यही रिर्पाट में लिखा है । फिर मरा हुआ इंसान खून कैसे कर सकता है?

सर यह ही तो गुत्थी है जिसे हमें सुलझाना है। और मुझे पूरा यकीन है कि मै इस गुत्थी को सुलझाने में कामयाब हो जाऊगा।

राणा- जल्द ही यह गुत्थी सुलझ जानी चाहिए वरना हम तुम्हारा ट्रांसफर उस जगह करवा देगे जहां सिर्फ रेगिस्तान होगा और उस रेगिस्तान में बैठकर तुम मक्खी मार रहे होगे।

सर कही ऐसा तो नही कि खूनी की आत्मा यह खून कर रही हो?

राणा- क्या बेवकूफों वालों बातें कर रहे हो, ऐसा भला होता है कभी?

सॉरी सर,, मै खूनी को पकड़ने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा।

इस्पैक्टर राजेश पूरे शहर में खूनी की तलाश में दिन रात एक कर देता है लेकिन उसे खूनी का कोई सुराग नही मिलता।

00                                           00                           00                                                                           00                                          

संसद सदस्य राणा साहब एक मुख्य मीटिंग में अपनी गाड़ी से जा रहे है। गाड़ी जंगल के रास्ते से गुजर रही है। तभी जंगल में से एक गोली चलने की आवाज हुई। राणा साहब की गाड़ी का टाायर पंचर हो गया, गाड़ी रूक गई। राणा एकदम घबरा गये। तभी अचानक राणा साहब ने अपने सामने खूनी को देखा।

राघव के खूनी ने कार के शीशे पर एक गोली चला दी और शीश चकनाचूर हो गया।

राणा खूनी का चेहरा देखकर घबरा गये और उनके चेहरे पर मौत का  खौफ मंडराने लगा। खूनी उनसे केवल दो फीट दूर है, उसके हाथ में एक काला रिवाल्वर था। कार ड्राईवर अपने सामने एक लम्बे चौड़े आदमी के हाथ में रिवाल्वर देकर सहम गया।

राणा आज मै तुम्हें मौत देने आया हॅू। मेरा चेहरा देखकर तुम पहचान गये होगे कि मै तुम्हें क्यों मारना चाहता हूॅ।

राणा- म---मुझे माफ कर दो । अब भगवान के घर माफी मागना राणा इतना कहते ही उसने राणा पर अन्धा-धुन गोलीयॉ चला दी।

ड्राईवर तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नही । मै बेगुनाहो को नही मारता। इतना कहते ही वो वहां से गायब हो गया। पुलिस की जीप का सायरन बज उठा। इंस्पेक्टर राजेश मौके ए वारदात पर पहुॅचा।खूनी पुलिस का सायरन सुनकर वहां से फरार हो गया।

  इंस्पैक्टर राजेश ने सबसे पहिले राणा को देखा- क्या आप ठीक है सर?

राणा- मुझे तो मेरे बुलेटपू्रफ जैकेट न बचा लिय लेकिन अब वह खूनी बचना नही चाहिए। जाओं उसे जिंदा या मुर्दा मेरे सामने लाओ। तलाश करो उसकी।

पुलिस ने चारों तरफ से जंगल को घेर लिया। इंस्पैक्टर राजेश ने जंगल का चप्पा-चप्पा छान डाला लेकिन उसे खूनी का एक सूराग नही मिला।

हताश राजेश राणा के सामने आया और बोला-सर आई एक वैरी सॉरी , खूनी हमारी गिरफ्त मेे नही आ सका। वो काफी शातिर है।

हॉ खूनी काफी शातिर है जहॉ तुम सोचना बन्द करते हो वहॉ से खूनी सोचना शुरू करता है।

हमने तुम्हें पहिले कहॉ था अगर तुम खूनी को पकड़ने में नाकाम हुए तो हम तुम्हारा तबादला ऐसी जगह करवा देगे जहॉ रेगिस्तान कि सिवा तुम्हें कुछ भी दिखाई नही देगा।

00           00                     00           00

कुछ दिन  बाद इस्पैक्टर राजेश का तबादला राजस्थान के एक कस्बे में कर दिया गया। और इस गुत्थी को सुलझाने व कातिल को पकड़ने के उद्देश्य से यह केस सी.बी.आई. को सौप दिया गया।

राणा ने अपने पद के बलबूते पर इस केस को सोल्व करने के लिए सी.बी.आई. अफसर राजेश्वर को नियुक्त किया।

सी.बी.आई अफसर एम.एल.ए राघव के पूरे केस को पढ़ता है और उसे इस केस के विषय में पूरी जानकारी होती है। वो  सोचता है जो खूनी खून करके फरार है उसका नामों-निशान तक भी पुलिस के हाथों नही लगा। वह तो कब का पुलिस इनकाउंटर केस में मारा जा चुका है।

वो गहरी सोच में बैठे हुए सोच रहा था कि मरा हुआ व्यक्ति कैसे खून कर सकता है? आखिर राज क्या है? खूनी आखिर एक दहशत बनता जा रहा है।

सी.बी.आई. अफसर राजेश्वर ने सब इंस्पैक्टर अरूण को बुलाया और बोले,‘‘ मि0 अरूण एम.एल.राघव की लाश के पास  क्या-क्या सबूत हाथ लगे है। उन सबूतों को मेरे सामने पेश किया जाए।

जी सर। इतना कहते ही अरूण एक लाल रूमाल लाया। सर, एम.एल.ए राघव की लाश के पास यह लाल रंग का रूमाल बरामद हुआ था यह रूमाल शायद खूनी का है। राजेश्वर ने बड़े ध्यान से लाल रूमाल को देखा और रूमाल के चारों ओर नजर दौड़ाई। लाल रंग का शौकीन लगता है खूनी ।इतना कहते ही राजेश्वर ने रूमाल खूनी की फाईल के साथ हिफाजत से रख दिया। राजेश्वर ने खूनी की फाईल को पढ़ना शुरू कर दिया।

नाम- अमित वर्मा

जुर्म- काला बाजारी, खून

मौत- पुलिस एनकाउंटर

पुलिस फायरिंग में मारा गया और लावारिस समझते हुए लाश को पुलिसकर्मियों के सामने शमशान में फूंका गया। राजेश्वर अपने आप से बातें करना लगा।आखिर जो आदमी एक बार पुलिस वालों के हाथों मारा जा चुका है वह दोबारा से जिंदा कैसे हो सकता है? जरूर इन सब बातों के पीछे कोई गहरा राज है।

00                                           00                                           00                                           00                           0

उधर खूनी फिर अपने जूनून के साथ रात के बारह बजे तूफान की चाल से संसद सदस्य राणा की कोठी की ओर बढ़ रहा था। राणा की कोठी पर  सिक्योरीटी  पर सख्त पहरा लगा हुआ था।

खूनी ने चारों ओर नजर दौड़ाई लेकिन उसे राणा की कोठी के अंदर जाने के लिए उसे कोई सुराग नजर नही आ रहा था।

वह  चूहे को बिल से निकालने की तरकीब सोचने लगा। और उसने अपने दिमाग में एक तरकीब बना ली

ंखूनी ने सबसे पहिले अपने जैकेट के अंदर से एक बहुत लम्बा बिजली का नंगा तार व साथ में रबड़ के दस्ताने निकाले और अपने दोनो हाथोे मे पहन लिये।और फिर नंगे बिजली के तार के दूसरे कोने में एक चाकू बान्ध बना दिया।फिर उसने आस-पास चारो ओर नजर दौड़ाई। वह नंगे तार को लेकर बिजली के खम्भे पर बड़ी फुर्ती के साथ चढ़ गया।

 अपनी जेब से एक छोटा सा प्लास निकाला और उस नंगे तार का कनैक्शन पॉवर लाईन से कर दिया और उल्टे हाथ से उस तार को संभाला। अब तार में पॉच हजार वोल्ट का करन्ट बह रहा था। खूनी रबड़ का दस्ताना पहने हुए हाथ से उस नंगे तार को संभाले हुए था। थोड़ी देर बाद उसने राघव के घर की तरफ अपनी रिवाल्वर से हवा में तीन फायर किये। फायर की आवाज सुनकर पूरी पुलिस सिक्योरिटी बाहर की तरफ भागी। फायर की आवाज राणा के कान तक पहुॅची जिन्हें डर के मारे नींद नही आ रही थी।

फायर की आवाज सुनते ही तुरन्त दरवाजा खोलकर कमरे से बाहर राणा निकला जहॉ पर सख्त पहरा लगा हुआ था।

राणा पुलिस सिक्योरिटी के साथ अपनी कोठी के गेट से बाहर निकला लेकिन वहां अन्धेरे में उन्हें कोई नजर नही आया। उनका ध्यान बिजली के खम्भे की ओंर भी नही गया। उन्हें क्या मालूम खम्भे पर उसकी मौत बैठी है।

राणा साहब मुस्कुराते हुए बोले शायद किसी ने मजाक किया होगा।यह शब्द उनकी जुबान से निकले ही थे। तथी अचानक खम्भे पर से एक चाकू लहराता हुआ उनकी तरफ आया और उनकी गर्दन में जाकर धस गया। पॉच हजार वोल्ट का करन्ट उनके पूरे शरीर में फैल गया। बिजली के करन्ट से तड़पते हुए उनका बदल झुलस गया और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गयी।

पूरी पुलिस सिक्योरिटी खम्भे की ओर भागी और फायर करने लगे। खूनी गोलियो से बचता हुआ वहां से फरार हो गया। पुलिस को नंगे तार के अलावा कुछ नही मिला और पूरी पुलिस सिक्योरिटी हाथ मलते रह गयी।

 

 पुलिस इन्स्पेक्टर अरूण ने सी.बी.आई. अफसर राजेश्वर को फोन मिलाया

हैलो सी.बी.आई. अफसर राजेश्वर साहब मै अरूण बोल रहा हूॅ।

यस मै सी.बी.आई अफसर राजेश्वर बोल रहा हॅू।

सर मै संसद सदस्य राणा साहब के घर से फोन कर रहा हॅू।सर यहॉ पर राणा साहब का खून हो गया है।

क्या? इतनी पुलिस सिक्योरिटी होने के बावजूद भी खूनी कैसे खून कर गया।

अरूण- सर यह सब आप यहां मौके ए वारदात पर आकर खुद देख लीजिए।

राजेश्वर- ओ.के. अरूण, मै अभी मौके ए वारदात पर पहुॅचता हॅू।

राजेश्वर थोड़ी देर बाद मौके ए वारदात पर पहुॅचा जहॉ पर राणा की करंट से झुलसी लाश पड़ी हुई थी।उसने चारों ओर नजर दौड़ाई और फिर उसकी नजर बिजली के खम्भे पर ठहर गयी जिसका मुख्य पावर लाइन से तार का क्नैक्शन किया गया था।तार चाकू पर लिपटा हुआ था। और राणा की गर्दन में बिजली के तार से लिपटा चाकू लाश की गर्दन मेें धॅसा हुआ था।

तभी अचानक राजेश्वर खम्भे के पास पड़े रबड़ के दस्ताने पर गयी। राजेश्वर ने अनुमान लगाया शायद खून ने यह दस्ताना पहनकर मुख्य पॉवर लाईन से तार का क्नैक्शन किया होगा।और जल्दबाजी में भागते हुए खूनी का रबड़ का दस्ताना यहीं गिर गया होगा।

राजेश्वर ने अनुमान लगाया कि दस्ताने का रंग लाल है और जो रूमाल राधव की लाश के पास मिला था वो भी लाल था । लगता है खूनी को लाल रंग ज्यादा पसनद है। इसलिये वह लाल रंग से होली खेल रहा है। खैर अब खूनी के फिंगर प्रिन्टस इस लाल दस्ताने से मिल जायेगे।

00                                                           00                                           00                                           00

खूनी का अब तीसरा शिकार पुलिस अधीक्षक नागेश्वर त्यागी।

प्ुाुलिस अधीक्षक नागेश्वर त्यागी को एम.एल.ए. राघव व संसद राणा की मौत का  बड़ा दुख होतो है क्योकि वह राघव व राणा के बहुत करीबी दोस्त थे।

नागेश्वर त्यागी ने सी.बी.आई अफसर राजेश्वर को अपने ऑफिस बुलाया और बोले-मि राजेश्वर अब आपको खूनी की तलाश जारी रखते हुए उसे जिंदा या मुर्दा किसी भी हालत में पकड़ना है। क्योकि वो खूनी पूरे शहर में एक दहशत बनता जा रहा है। मंत्रालय से मुझे लगातार फोन आ रहे है। कहॉ तक पहुॅचे।

उसे पकड़ने का काम तुम्हें जल्द करना होगा।क्योकि शहर में खूनी के कत्ल की वारदात बढ़ती जा रही है।

ऊपर से हमें उसे जिंदा या मुर्दा गिरफ्तार करने का दबाव बढ़ रहा है। दो वी.आई.पी को बड़ी बेदर्दो से मारा है उस खूनी ने।

राजेश्वर- सर मै अपनी तरफ से कातिल को जिंदा या मुर्दा पकड़कर ही रहूूगा।

हमे तुमसे यही उम्मीद थी।ओ.के मिस्टर राजेश्वर कल आप और हम राणा की मौत का शोक मनाने जायेगे।

राजेश्वर -सर मिस्टर राघव भी आपके मित्र थे परन्तु उनके मरने पर आप शोकसभा में नही आये थे?

नागेश्वर- उस समय मै खुद अस्पताल में भर्ती था मिस्टर राजेश्वर।

राजेश्वर-सर आपको क्या हो गया था?

नागेश्वर- दरअसल मेरी टांग का फै्रक्चर हो गया था इसलिए मै कही आ नही सकता था। ओं.के. मिस्टर राजेश्वर, आज की मुलाकात यही खत्म होती है। कल आप और मै राणा साहब की मौत का शौक मनाने जायेगे।

दूसरे दिन राजेश्वर और नागेश्वर शमशान घाट में राणा के शव के साथ उसका अंतिम संस्कार में शामिल होते है।

शमशान धाट में राणा के शव के पास नागेश्वर त्यागी दो मिनट का मौन शोक करता है। जैसे ही दो मिनट बाद उसने आंख खोली ,उससे करीब पॉच फीट दूर खूनी खड़ा था जिसकी शक्ल देखकर नागेश्वर हड़बड़ा गया और बोला त---तुम।

खूनी नागेश्वर को नफरत  भरी निगाहों से देख रहा था। फिर खूनी ने दॉत भीचते हुए कुछ कहा और अपनी जेब से मांऊसर निकाल लिया और एक गोली नागेश्वर पर दाग दी। गोली नागेश्वर के दाये हाथ पर लगी। तभी सी.बी.आई. अफसर राजेश्वर ने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाला और एक गोली खूनी की ओंर दाग दी।अपने आप को बचाते हुए खूनी वहॉ से भागा। राजेश्वर ने दूसरी गोली चलायी। दूसरी गोली खूनी की टांग में लगी और वह लड़खड़ाते हुए वहां से फरार हो गया।

राजेश्वर खूनी की ओर लपका और उसके पीछे भागने लगा।वह खूनी का पीछा करते हुए काफी दूर निकल गया। ख्ूानी का पीछा  करते हुए वो काफी दूर निकल गया। खूनी अचानक दौड़ते-दौड़ते राजेश्वर की आंखो से ओझल हो गया। राजेश्वर ने चारों ओर नजर दौड़ाई लेकिन खूनी उसे कहीं नजर आया। आखिर कहॉ गायब हो गया खूनी। इसे जमीन निगल गयी या आसमान। वो कशमाकश में उलझा हुआ था। तभी अचानक उसे खून की बूदें दिखाई दी जो एक घर की तरफ जा रही थी।

राजेश्वर उस खून की बूंदो पर चलने लगा और एक मकान तक पहुॅच गया। उसने दरवाजे में दस्तक दी। तभी एक सुंदर सी जवान लड़की ने दरवाजा खोला।

दरवाजा खोलते ही राजेश्वर की नजर उस लड़की पर ठहर गयी जो गजब की सुंदर थी।

राजेश्वर ने अपने आप को सम्भाला और तेज स्वरों में बोला- आई एक सी0बी0आई ऑफिसर राजेश्वर। अभी -अभी एक मुजरिम की खूनी की बूॅदे मुझे आपके दरवाजे तक ले आयी है।

देखिये सर आपको कोई गलतफेमी हुई है यहॉ कोई नही आया।

राजेश्वर- सुनिए श्रीमती जी, मुझे कोई गलतफहमी नही हुई है। खूनी के खून निशान अभी तक आपकी घर की चौखट पर मौजूद है।मेरा शक बेवजह नही है।

मेरे और मेरे भाई के सिवा यहॉ कोई नही है।

देखते है यहॉ ओर कौन-कौन है?

मिस क्या मै आपका नाम जान सकता हॅू?

मेरा नाम रजनी है ।

आप यहॉ किसके साथ रहती है?

मै अपने भाई राजन के साथ रहती हूॅ

 

 

 

 आपका भाई कहॉ है? उसे फोरन यहॉ बुलाओं

इतना सुनते ही रजनी ने अपनी भईया राजन को आवाज लगाते हुए बोली भईया हमारे घर पर कोई सी0बी0आई0 अफसर राजेश्वर आये है ।

रजनी की आवाज सुनते ही राजन वहॉ आया और अपने सामने सी0बी0आई0 अफसर को देखकर थोड़ा सकपका सा गया। और एक लड़खड़ायी जुबान से राजेश्वर को अन्दर बैठने के लिए कहा।

राजेश्वर ने शंका भरे शब्दों में पूछा? क्या आपका नाम राजन है?

आप मेरा नाम कैसे जानते है ?राजन ने सकुंचित भाव में पूछा?

दरअसल अभी आपकी बहन रजनी ने आपको राजन भईया कहकर बुलाया ।आपकी बहन के शब्दों से ही मैने अनुमान लगा लिया कि आपका नाम राजन है।

क्या मै पूछ सकता हूॅ कि आपका हमारे घर कैसे आना हुआ।

मै एक सी.बी.आई अफसर हूॅ और एक खूनी का पीछा करते हुए मै यहॉ तक आया हूॅ ।खूनी मेरी रिवाल्वर क ी गोली से घायल है।और उसके खून की बूॅदे मुझे आपके घर तक खीच कर लायी है। और खून की बूॅदे अभी भी आपके घर पर मौजूद है। क्या आप मुझे बता सकते है कि यह खून किसका है ? और यदि यह खून उसकी खूनी का है तो आपने उसे कहॉ छिपा रखा है?

कमरे के दरवाजे के पास खड़ी रजनी इतना सुनते ही रसोई में गयी और उसने चाकू से अपना पैर काट लिया। और लड़खड़ाती हुई राजेश्वर के पास पहुॅचकर बोली,‘ राजेश्वर साहब यह खून मेरा है बाजार से आते वक्त मेरा पैर रास्ते में एक पत्थर से टकरा गया था था जिस खून को आप कातिल का ख्ूान समझ रहे है दरआसल यह खून मेरा है। किसी कातिल का नही।

अभी तो आप अच्छी खासी चल रही थी मगर अब आप अचानक लड़खड़ाने कैसे लगी।

राजन- आप चाहे तो पूरे घर की तलाशी ले सकते है?

राजेश्वर पूरे घर की तलाशी लेता है लेकिन उसे कातिल का कोई सुराग नही मिलता।

ओह यहॉ तो कोई नही है तो फिर कातिल कहॉ गायब हो गया उसे जमीन निगल गयी या आसमान

खैर अब लकीन पीटने से कोई फायदा नही अब इन दोनो से जानकारी हासिल करनी होगी।

देखिये मिस्टर राजन फिल्हाल तो यहॉ कोई नही है लेकिन खून की बूॅदे कुछ इशारा तो कर रही है इसलिये मै आपको को खूनी की फोटो दे देता हॅू ताकि आप को यदि यह खूनी कही भी दिखाई दे तो आप मुझे फोरन इत्तला कीजिये।

राजेश्वर से खूनी की फोटो लेकर राजन खूनी की फोटो को अपनी जेब में रख लेता है।

राजेश्वर को अभी भी शक बना हुआ था कि खूनी यहॉ आया था। लेकिन उसके पास कोई सबूत नही था इसीलिए वह चुपचाप वहॉ से चले जाने का नाटक करता है और नुक्कड़ के पास छिपकर थोड़ी देर कातिल का इन्तजार करता है शायद कातिल राजन के घर से बाहर आयेगे और उसके बाहर निकलते ही मै उसे दबोच लूॅगा।

उसने काफी देर तक खूनी का इन्तजार किया मगर जब काफी इन्तजार करने के बाद खूनी बाहर नही आया तो राजेश्वर ने फिर घर में दस्तक दी।

राजेश्वर- शायद अपने पर्स खूनी का फोटो निकालते समय मै अपना पर्स यही भूल गया।राजन समझ गया कि राजेश्वर ने जान-बूझकर पर्स यहां छोड़ा था ताकि मै वह यहॉ दोबारा आ सके।

फिर राजन ने अपनी बहन रजनी को आवाज लगाई- रजनी राजेश्वर साहब आये है। अल्मारी से उनका पर्स दे दो।रजनी आयी और अल्मारी से पर्स निकालकर राजेश्वर को दे दिया।

अचानक राजेश्वर की नजर रजनी के पांव पर पड़ी जो कुछ देर पहिले जख्मी हो गया था। रजनी के पैर मे लाल रूमाल बन्धा देखकर राजेश्वर का शक और बढ़ गया। उसे याद आया कि खूनी का लाल रूमाल एम.एल.ए राघव की लाश के पास मिला था और ठीक वैसा ही रूमाल रजनी के पैर में बन्धा था।

राजेश्वर ने पूछा- मिस रजनी , यह रूमाल आपके पास कहॉ से आया क्योकि ठीक तुम्हारे पैर में बन्धे लाल रूमाल की तरह का एक रूमाल मिस्टर राघव की लाश के पास पड़ा हुआ मिला था। ठीक उसी तरह का लाल रूमाल आपके पास कहॉ से आया?

राजन- ऐसे लाल रंग के कई रूमाल मै आपको बाजार में दिखा सकता हॅू मिस्टर राजेश्वर। क्या आप एक लाल रंग के रूमाल की एवज में उन सबको मुजरिम करार देगे।

राजेश्वर- मै जानता हॅू राजन, यहॉ कुछ देर पहिले खूनी आया था और तुमने उसे किसी महफूज जगह मे छिपा दिया होगा। मेरे जाने के बाद उसने यह लाल रूमाल तुम्हारी बहन के पैर में बांधा होगा।और उसके बाद वह यहॉ से फरार हो गया होगा।

राजन- मिस्टर राजेश्वर आपने मेरे घर के एक-एक कोने की तलाशी ली लेकिन आपको कुछ भी नही मिला। फिर आप किस ठोस सबूत के आधार पर मुझ पर इल्जाम लगा रहे है?

राजेश्वर- आज मेरे पास कोई ठोस नही है मिस्टर राजन। लेकिन जिस दिन मेरे हाथ सबूत लग गया उस दिन मै पूरी दुनिया के सामने बेनकाब कर दूंगा।

राजन कोध्रित स्वरो ं में बोला- वो दिन कभी नही आयेगा।क्योकि सूरज पश्चिम से नही ऊगता।

राजेश्वर- चिल्लाओं मत राजन, अब मुझे पूरा विश्वास हो चुका है कि तुम ही संसद सदस्य राणा और राघव के कातिल हो। लेकिन आज मेरे पास कोई ठोस सबूत नही है। इतना कहकर गुस्से से राजेश्वर वहॉ से चलने लगा।

राजन- ठहरों मिसटर राजेश्वर। खूनी को खून करते  हुए राघव के चौकीदार ने देखा और खुद राणा और उसके ड्राईवर ने भी खूनी को देखा था। फिर तुम मुझे खूनी कैसे कह सकते हो जबकि तुम्हारी

दी हुई फोटो के अनुसार खूनी और मेरी शक्ल में जमीन आसमान का अन्तर है? राजन हंसते हुए बोला।

राजेश्वर- तुम्हें इन सब बातों का कैसे पता है?

राजन- हम प्रेस वाले है मिस्टर राजेश्वर, हमें सब बातों की खबर रहती है।

राजेश्वर- मै जानता हॅू कि तुम्हारी  और खूनी की शक्ल में जमीन आसमान का अंतर है लेकिन यह  भी तो हो सकता है कि तुम पुलिस इन्काउन्टर में मरे हुए उस खूनी का नकाब लगाकर खून कर रहे हो। लेकिन आज मेरे पास कोई सबूत नही है इसलिए तुम आजाद हो।

इतना कहकर राजेश्वर गुस्से से वहॉ से चला गया।

00                                           00                                           00                                           00                                                          

उधर पुलिस अधीक्षक नागेश्वर त्यागी को अस्पताल लाया गया और उनके हाथ में लगी गोली को डाक्टर ने बड़ी सफाई के साथ निकाल दिया। अब पुलिस अधीक्षक नागेश्वर त्यागी खतरे से बाहर है।राजेश्वर उनसे अस्पताल मंे मिलने आया।

नागेश्वर-क्या हुआ राजेश्वर? तुम कहां तक पहुॅचे? क्या खूनी का कोई सुराग मिला?

राजेश्वर-सर खूनी का मैने काफी दूर तक पीछा किया लेकिन वह मुझे चकमा देकर भाग गया।आखिर में मुझे उसके खून के निशान दिखाई दिये और वह खून के धब्बे मुझे राजन नामक आदमी के घर ले गये। मैने उनसे काफी सवाल किये मगर उनके जवाबों से खूनी का कुछ पता न चल सका। शायद वह खून उसकी बहन रजनी का था जिसे बाजार से आते समय रास्ते में पत्थर से ठोकर लग गयी थी जिस कारण खून उसके पैरों से बह रहा था। इसलिए मै कोई एक्शन नही ले सका।

नागेश्वर- तुम्हे राजन को किसी भी कीमत पर गिरफ्तार कर लेना चाहिए था।

राजेश्वर- सर मेरे पास कोई ठोस सबूत नही था इसलिए मै उसे गिरफ्तार नही कर सकता था।

नागेश्वर- आगे के लिए तुमने क्या सोचा है?

राजेश्वर- सर मुझे लगता है कि राजन ही उस मरे हुए मुजरिम का चेहरा पहनकर हत्यांए कर रहा है

और हमे राजन तक पहुॅचने के लिए उसकी बहन को माध्यम बनाना होगा।क्योकि राजन अपनी बहन रजनी से बहुत प्यार करता है इसलिए मैने एक योजना बनाई है।

नागेश्वर -क्या है वो योजना?

राजेश्वर- सर ,राजन को राणा व राघव के खून के इल्जाम में शक के तौर पर गिरफ्तार कर लीजिऐ।रजनी राजन से प्रेम करती है। रजनी अपने भाई को छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन जरूर आयेगी और मै आपके सामने राजन को बेगुनाह साबित करूंगा जिससे रजनी मेरी आभारी हो जायेगी और फिर मै उससे प्रेम का नाटक करके असलियत तक पहुॅंचूगा।

नागेश्वर- ओ.के. मि. राजेश्वर, तुम राजन के घर का पता सब इन्स्पेक्टर अरूण को दे दो। मै राजन के नाम वारन्ट जारी करके अरूण को राजन घर से उसे गिरफ्तार करने के लिए भेजता हॅू।

0के0 सर इतना कहकर राजेश्वर वापिस पुलिस स्टेशन पहुॅचा और पुलिस सब इंन्स्पेक्टर को राजन के घर का पता दे दिया।

अरूण राजेश्वर के बताये हुये पते  पर राजन के घर पहुॅचा। और दरवाजे पर दस्तक दी।

रजनी बाहर निकल कर आयी।

अरूण- मिस आप अपने भाई राजन का बुला दीजिये।

रजनी अपने सामने पुलिसवाले को देखकर एकदम घबरा जाती है फिर उसने मै अपने भाई राजन को लड़खड़ायी जुबान में आवाज लगाई। राजन कुछ देर बाद वहा आता है।

अपने सामने पुलिस वाले को देखकर वो भी सीरियस  हो जाता है।

राजन- कहिए आपको हमसे क्या काम है?

अरूण- मिस्टर राजन, आपको हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा। आपके नाम का वारन्ट है हमारे पास।

राजन- आखिर मेरा गुनाह क्या है?

अरूण-यह सब आपको पुलिस स्टेशन जाकर मालूम होगा। इतना कहते ही अरूण राजन को गिरफ्तार करके पुलिस स्टेशन ले आया। जहॉ पर नागेश्वर मौजूद था।

नागेश्वर- ओ हो तो तुम ही हो वो जिसने कातिल को भगाने में उसकी मदद की थी। इसलिए हम तुम्हें जेल के अन्दर सड़ाएगे। सी.बी.आई अफसर राजेश्वर का इन्तजार है।क्योकि मौके एक वारदात के समय तफदीश के दौरान वो तुम्हारे घर मौजूद थे।

थोड़ी देर बाद राजेश्वर पुलिस स्टेशन पहुॅचा। जहॉ पर नागेश्वर और राजन मौजूद थे।तभी अचानक रजनी रोती बिलखती हुई आयी और रोते हुए बोली।सर मेरा भाई निर्दोष है उसने किसी का खून नही किया है।

नागेश्वर- तो तुम ही बता दो खून किसने किया है?

रजनी - सर मै नही जानती कि कातिल कौन है?

नागेश्वर- वो तो हम पता लगा लेगे राजन की खातिर दारी करके। समझती हो ने पुलिस लोकऑप में मुजिरम की खातेदारी कैसे होती है।

तभी अचानक राजेश्वर बीच में बोल पड़ा- सर यह आपने किस बेगुनाह इन्सान को गिरफ्तार कर लिया? यह तो बिल्कुल बेकसूर है। यह न तो कातिल है और न ही इसने किसी कातिल को भगाने मंे मदद की है। कातिल से इसका किसी प्रकार से कोई सम्बन्ध नही लगतां।

, मैं मोका ए वारदात पर मौजूद था । इसीलिए खाली शक की बुनियाद पर हम इसे गिरफ्तार नहीं कर सकते ।

रजनी राजेश्वर के मुंह से यह शब्द सुनते ही उसकी ऋणी हो जाती है ।

नागेश्वर -ओह , तो ठीक है हम तुम्हारी गवाही पर ही राजन को छोड़ रहे हैं लेकिन मिस्टर राजेश्वर ध्यान रहे , यदि कोई ठोस सबूत तुम्हारे हाथ लग जाये तो राजन को गिरफ्तार कर लेना ।

राजन अपने मन में सोचता है कि नागेश्वर जैसा नीच आदमी केवल राजेश्वर की गवाही पर उसे नहीं छोड़ सकता था । इसलिए लगता है कि इसमें राजेश्वर और नागेश्वर की कोई चाल हैं ।

भोली रजनी राजेश्वर पर एतबार करने लगती है और मन ही मन उससे प्रेम करने लगती है। वह रात के खाने पर राजेश्वर को बुलाती है। राजेश्वर को यह समझते देर नहीं लगती कि रजनी के दिल में उसके प्रति मौहब्बत जाग उठी है। राजेश्वर सोचता है कि लगता है तीर सही निशाने पर लगा है । राजन घर पहुंचने के बाद रजनी को समझाता है कि उसे राजेश्वर से दूर रहना होगा । लेकिन रजनी को तो अब राजेश्वर का नाम ही याद है और कुछ नहीं।

रजनी -भइया राजेश्वर उन पुलिस अफसरों में से नही है जो बेगुनाह जनता को सूली पर लटका देते हैं । बल्कि वह एक नेक और ईमानदार इंसान है ।

राजन -मैं जानता हूं मेरी प्यारी बहना कि राजेश्वर एक नेक व ईमानदार इंसान है लेकिन तुम इतना मत भूलो कि वह एक पुलिस अफसर भी है ।

रजनी-भईया पुलिस वाले भी तो इन्सान होते है ।

राजन- लेकिन ये बहुत खतरनाक भी होते है।

रजनी- भईया बिना परखे किसी इन्सान को गलत कहना ठीक नही है।

राजन- तो तुम क्या चाहती हो?

रजनी- मैने आज शाम राजेश्वर को अपने घर पर बुलाया है।

अब तुमने बुला ही लिया है तो मै क्या कह सकता हूॅ।

राजेश्वर शाम के समय रजनी के दिये गये पर उसके घर पधारते हैं ।

रजनी - आइए राजेश्वर जी , आपका हमारे घर में स्वागत है ।

रजनी कुर्सी पर बैठे राजेश्वर को प्यार भरी निगाहों से निहारती है । राजेश्वर भी रजनी को प्यार भरी निगाहों से निहारता है ।

राजन गुमसुम बैठा हुआ था। उसे राजेश्वर का आना अच्छा नहीं लगा लेकिन अपनी बहन की खुशी के लिए वह चुपचाप बैठा था । राजेश्वर और रजनी इधर उधर की बातें करते हैं । रजनी राजेश्वर से बहुत प्रभावित हो जाती है । राजेश्वर भी रजनी की बातों में काफी घुल-मिल जाता है ।

रजनी भोजन लगाती है । राजेश्वर बड़े चाव से खाना खाता है और रजनी के हाथ के बने खाने की तारीफ करता है । खाना खाने के बाद राजेश्वर रजनी को एक साड़ी गिफ्ट देता है ।

रजनी - इसकी क्या जरूरत थी राजेश्वर ।

राजेश्वर - यह तो मेरा प्रेम है जिसे तुम साड़ी के रूप में ग्रहण करो । अच्छा रजनी , अब मैं चलता हुं रात काफी हो चुकी है । रजनी राजन की निगाहों से बचकर राजेश्वर को लिफाफा देती है । राजेश्वर बड़ी प्रसन्नता से उस लिफाफे को अपनी जेब में रख लेता है । राजन और रजनी राजेश्वर को गेट तक छोड़ने आते हैं । राजन और रजनी से अलविदा लेने के बाद राजेश्वर अपने घर पहुंचता है ।

वह घर पहुॅचते ही सबसे पहिले रजनी का दिया पत्र पढ़ता है जिसमें लिखा था-प्रिय राजेश्वर, मै तुमसे बहुत प्रेम करने लगी हूॅ। यह शब्द पढ़ते ही राजेश्वर का खुशी का ठिकाना नही रहता और वह खुशी से झूम उठा। फिर उसने गहरी सॉस ली अब उसका तीर सही निशाने पर लगा है। राजेश्वर आगे पढ़ता है कल ठीक सुबह दस बजे मुझसे विलियम गार्डन में मिलने आना।यह पढ़कर राजेश्वर को आस हो जाती है ।क्योकि वह अकेले में ही रजनी से मिलकर कातिल का पता लगाना चाहता है।

दूसरे दिन राजेश्वर ठीक सुबह दस बजे विलियम गार्डन पहुॅचा जहां पर रजनी पहले से ही वहां मौजूद थी।

राजेश्वर- हैलो रजनी

रजनी- हैलो राजेश्वर

रजनी- कैसे मिजाज है आपके?

राजेश्वर- बस आपकी दुआ है। आप सुनाओं आप कैसी है।

रजनी- बस दुआ है आपकी।

राजेश्वर- आपने ने मेरा डायलांग मुझ पर ही मार दिया।

यह सुनकर रजनी हसने लगी।

राजेश्वर-तुम मुस्कुराते हुए कितनी अच्छी लगती हो रजनी

यह सुनकर रजनी थोड़ा शर्मा गयी और मुस्कुराते हुए बोली।

क्या मै आपको अच्छी लगती हूूॅ?

राजेश्वर - दिल चीर के दिखा दू , दिल में तुम्हारी ही तस्वीर है , तुम्हारी मौहब्बत को पाना ही अब मेरा तकदीर है।

रजनी- तो आप शायर भी है रजनी मुस्कुराते हुए बोली।

राजेश्वर- तुमने शायर बना दिया। और आज मै अपनी इस शायरी को अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहता हूॅ। अगर तुम्हारी हॉ हो तो कुछ दिनो मै तुम मेरी प्रेमिका से पत्नी बन जाओगी।

रजनी एक मुस्कुराहट के साथ उसकी जीवन संगिनी बनने के लिए हॉ करती है।

राजेश्वर रजनी को अपनी बाहों मे समेट लेता है।

तभी रजनी अचानक बोली- काफी देर हो चुकी है । भईया घर पर मेरी राह देख रहे होगी।

अब मुझे चलना चाहिए।

राजेश्वर - अब कब मिलोगी?

रजनी-मजाक करते हुए बोली जब कातिल को खोजते हुए तुम हमारे घर आओगे। राजेश्वर इतना सुनते ही रजनी की बात पर हंसने लगा और कल फिर इस जगह मिलने का वादा करता है।

रजनी एक मुस्कुराहट के साथ अपने घर की ओंर चल दी। राजेश्वर भी एक मुस्कुराहट के साथ अपने घर की ओंर बढ़ गया। थोड़ी देर बाद रजनी अपने घर पहुंची।

कहॉ चली गई थी। राजन ने पूछा?

शायद किसी सहेली से मिलने गयी होगी।

रजनी - हॉ भईया आज रास्ते में मेरी पुरानी सहेली नरगिस मिल गयी थी। काफी दिनों बाद मिली थी इसलिए बात करते-करते काफी देर हो गयी।

राजन- कोई बात नही आखिर पुरूषों की तरह स्त्रियों को भी अपने सहेली, सगे सम्बन्धीयों से मिलने की आजादी होनी चाहिये।

रजनी - भईया आपक कितने महाने है?

राजन-रजनी महान मै नही, महान तो ईश्वर है जिसने हम सबको बनाया है । मै तो ईश्वर का केवल एक अंश हॅू। रजनी राजन के विचार सुनकर अति प्रसन्न होती हैं।

00                           00                           00                                           00                                           00

राजेश्वर अपने घर में आराम से बिस्तर पर लेटा है तभी अचानक पुलिस अधिक्षक नागेश्वर का फोन आया । नागेश्वर - हैलो , मैं नागेश्वर त्यागी बोल रहा हूं ।

राजेश्वर - गुड इवनिंग सर , कहिए कैसे याद फरमाया ।

नागेश्वर  - मेरी तो रातों की नींद उड़ गयी है और तुम पूछ रहे हो कैसे याद फरमाया ।

अच्छा यह बताओ कि खूनी की तलाश में कहीं तक पहुंचे ? “

राजेश्वर - सर , मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं कातिल तक जल्द ही पहुंच जाऊंगा और उसे गिरफ्तार करने में कामयाब होऊंगा ।

यह सुनकर नागेश्वर के कलेजे में ठण्डक पड़ती है ।

नागेश्वर -क्या तुमने राजन की बहन को  अपने प्रेमजाल में फंसा लिया है ? “

राजेश्वर - जी हां सर , कुछ दिनों के बाद मैं रजनी से सब कुछ उगलवा लूंगा ।

नागेश्वर ( खुश होते हुए ) - ठीक है राजेश्वर , तुम अपनी तलाश जारी रखो और कातिल का सुराग मिलते ही मुझे तुरंत सूचित करो । अच्छा तो अब मैं फोन रखता हूं ।

राजेश्वर - ओ ़के ़सर , सबसे पहले मैं आपको ही सूचित करूंगा ।

दूसरे दिन राजेश्वर रजनी से उसी जगह पर मिलता है और इस तरह काफी दिन बीत जाते हैं । अब तो रजनी राजेश्वर के प्यार में दिवानी हो चुकी थी ।

एक दिन राजन विलियम गार्डन की तरफ से गुजरता है और रजनी को राजेश्वर की बाहों में देख लेता है यह दृश्य देखकर उसके दिल में बेहद गहरी चोट लगती है और बिना कुछ कहे वो वहॉ से चला जाता है । राजन , रजनी का शाम को घर पर इन्तजार करता है । रजनी ठीक समय शाम के पांच बजे घर पर पहुंच जाती है

श्राजन ने  रजनी से पूछा  , “ आज किस सहेली से मिल कर आयी हो ? “

रजनी - भइया , वो जो मेरी पुरानी सहेली नरगिस है न , आज मैं उसी के घर से आ रही हूं ।

राजन ( गुस्से से ) - तुम झूठ बोल रही हो , आज मैने तुम्हें अपनी आंखो से विलियम गार्डन में राजेश्वर की बाहों में देखा था । मेरे मना करने के बावजूद तुम उससे क्यों मिलती हो ? “

आग स ेमत खेलो रजनी वरना अंजाम तुम जानती हो ?

भईया आप राजेश्वर को गलत समझ रहे है वो गलत इन्सान नही है।

तुम भूल रही हो कि वो एक पुलिस वाला हैै

रजनी - भईया मै राजेश्वर से सच्चा प्रेम करती हॅू।

राजन- बहन रजनी वह एक चालाक अफसर है वो केवल अपने मकसद को पूरा करने के लिए तुम्हारा इस्तेमाल करना चाहता है और तुम यह मत भूलो कि वह नागेश्वर जैसे दरिन्दे के साथ है।

रजनी- भईया मुझे अपने प्यार पर भरोसा है  राजेश्वर ऐसा इन्सान नही है जैसा आप  सोचा रहे हो।वह उन पुलिस वालो में से नही है बेगुनाहों को सूली पर लटका देते है।

राजन- ठीक है राजनी यदि तुम राजन को परखना चाहती हो तो केवल उससे यह कह देना कि अब तुम उससे कभी नही मिलोगी।

रजनी- भईया राजेश्वर एक सोने की तरह है जो जितना आग में तपता है उतना ही उसमें निखार आता है। आप चाहे राजेश्वर के कितने भी इम्तिहान ले लो, वह हर इम्तिहान में खरा उतरोगा।।इतना कहकर रजनी अपने कमरे मे चली गयी और राने लगी।

रजनी राजेश्वर को दूसरे दिन फिर विलियम गार्डन में मिलती है। आज उसकी ऑखों मे आंसू थे।

राजेश्वर ने रजनी से पूछा? आज तुम बहुत उदास दिख रही हो?

रजनी - कल भईया ने आपके साथ मुझे देख लिया था।

राजेश्वर- आगे तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नही। मै जानता हूूूॅ कि राजन मुझे पसन्द नहीं करता और तुम्हें मेरे साथ देखकर वह तुम पर बहुत बिगड़ा होगा।

राजेश्वर मन ही मन सोचने लगा कि बात काफी उलझती जा रही है। कही ऐसा न हो कि रजनी उससे मिलना-जुलना ही बन्द कर दे और कातिल तक पहुंचना मुश्किल हो जाए। फिर उसने बड़े प्यार से रजनी से पूछा?क्या मै तुमसे एक सवाल पूछ सकता हॅू?

रजनी विनम्र भाव में बोली--हॉ क्यो नही।

राजेश्वर- राजनी जिस दिन मैं कातिल का पीछा करते हुए तुम्हारे घर पहुंचा था और फिर थोड़ी देर बाद दोबारा तुम्हारे घर आया था उस दिन भी मैने सवाल किया था कि यह लाल रूमाल तुम्हारे पांव में किसने बान्धा था। उस दिन तो तुमने मुझे गुमराह कर दिया था। लेकिन आज तुम्हें बताना होगा  िकवह लाल रूमाल बांन्धने वाला इनसान कौन था।

राजेश्वर की बात सुनकर रजनी का चेहरा फीका पड़ गया। राजेश्वर  उसका पीला चेहरा देखकर भाप गया कि दाल मेें कुछ काला है। देखो रजनी अभी भी कुछ नही बिगड़ा नही है  पुलिस अधीक्षक नागेश्वर त्यागी अभी भी तुम्हारे भाई की गिरफ्तारी के पीछे पड़े हुए है। लेकिन मेरा वसूल कि मै किसी बेगुनाह पर एक आंच भी नही आने देता। मगर और पुलिस वाले ऐसा नही है। उन्हें पूरा शक है कि राघव और राणा के खूनी का तुम्हारे भाई से कुछ न कुछ तो सम्बन्ध है। मै ज्यादा दिन नागेष्वर को रोक नही पांऊगा । नागेश्वर के हाथ में गोली लगी है और इस समय वह एक घायल सांप है। वो कभी भी तुम्हारे भाई को उठा सकता है और फिर न जाने वो उसके साथ कैसा सलूक करे। मै नही चाहता कि कोई बेगुनाह पुलिस की बर्बरता का शिकार हो।

रजनी गुस्से से बोली- मेरा भाई कातिल नही है।

राजेश्वर- तो फिर कातिल कौन है? तुम्हें मेरी कसम, रजनी आज तुम्हें यह राज खोलना होगा।

रजनी एकदम भावुक हो गयी वो राजेश्वर से बहुत प्रेम करती थी। वो अपने भाई को भी सूली पर लटका नही देख सकती थी। फिर वो गहरी सॉस लेते हुए बोली। हो सकता है कातिल अपनी जगह ठीक हो?

राजेश्वर- कातिल आखिर कातिल है कानून की नजर में उसने खून किया है तो कानून तो उसे सजा जरूर देगा। लेकिन मै अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा कि कातिल के साथ इनसाफ हो।

रजनी- यदि तुम कातिल की जिंदगी की कहानी सुनोगे तो तुम्हारी ऑखों में भी आंसू आ जायेगे और तुम्हारा दिल भी पसीज उठेगा। और तुम यही कहोगे कि खूनी ने उन दरिन्दों का खून करके कोई गुनाह नही किया बल्कि उसने इंन्साफ किया है। तुम मुझसे वादा करो कि उसकी असलियत जानने के बाद तुम उसे कानून के शिकंजे से बचाओगे और उसे इन्साफ दिलाओगे।

राजेश्वर- हा मै वादा करता हॅू रजनी।

रजनी- अब तुमने अपने प्यार की कसद दी है तो मै तुम्हेें खूनी की एक कमजोरी बताती हॅॅू और उसकी यह कमजोरी तुम्हारी आंखों को सच्चाई के दर्शन कराएगी।

राजेश्वर बड़ी उत्सुकता से बोला- क्या है वो कमजोरी?

रजनी - कातिल ने आज तक जितने खून किए है और उसकी जिंदगी में एक-एक वाकया जो घटित हुआ है वह सब उसने अपनी एक डायरी में लिखा है।

राजेश्वर- तुम्हें उसकी कमजोरी के विषय में कैसे मालूम हुआ?

रजनी- मै रोजाना देखती थी कि खूनी अपने घर की ओंर जाता  था जो एक खण्डर बन चुका है। वहॉ मैने उसे जमीन को खोदते हुए देखा। थोड़ी ही देर में उसने जमीन के अन्दर से एक काले रंग का संदूक निकाला और उस संदूक में से एक डायरी भी निकाली फिर वह डायरी में कुछ लिखने लगा। मैने उससे पूछा कि आप यहां रोजाना आकर क्या लिखते है? तो वह बोला मै अपने गम को कलम के जरिए इस डायरी में उतार लेता हॅू और मैने अपने जीवन का एक-एक वाकया जो आज तक मेरे साथ घटित हुआ वह इस डायरी में लिखा हुआ है लेकिन रजनी तुम मुझसे वायदा करो  िक इस डायरी  के विषय में किसी को कुछ नही बताओगे।यह डायरी मेरी हमराज हैं।

रजनी- मै किसी को इस विषय में कुछ नही बताऊंगी। इतना कहकर मै वहां से चली आयी।

राजेश्वर- कहा है वो डायरी? मुझे वहां तक ले चलो।

रजनी- वो डायरी एक सुरक्षित जगह पर रखी हुई है।

राजेश्वर- कहां है वह जगह?

रजनी- कातिल का वो घर जो अब जला हुआ है और अब वह एक खण्डहर बन चुका है ,जहां किसी को भी शक नही हो सकता वहां कातिल ने लोहे के संदूक में अपनी डायरी रखी है और वह संदूक उसने जमीन में गाड़ा हुआ है।

यह सब मै तुम्हें इसलिए बता रही हॅू ताकि तुम भी असलियत जान सको।

रजनी राजेश्वर को  उस जगह ले गयी जहां पर कातिल का घर था और आज वो घर के नाम पर एक सुनसान जगह का खण्डहर बन चुका है।

राजेश्वर रजनी के साथ उस खण्डहर के अन्दर पहुंचता है । खण्डहर के अन्दर पहुॅचते ही उसकी नजर फर्श पर पड़ी जो टूटा हुआ था। वह फर्श के टुकड़े को हटाकर जमीन को खोदने लगा। काफी खोदने को बाद उसे एक काले रंग का संदूक दिखाई दिया। उसने अपने दोनो हाथों से संदूक को उठाकर जमीन पर रख दिया। फिर उस संदूक में लगे ताले को तोड़कर उसके अंदर से लाल रंग की डायरी उठा ली।

राजेश्वर ने रजनी से पूछा? तुम्हें उस खूनी के विषय में इतनी जानकारी कैसे है?

रजनी- तुम्हारे प्रश्न का उत्तर तुम्हें इस डायरी को पढ़कर मिल जाएगा।इतना कहकर रजनी वापिस अपने घर लौट आयी।

राजेश्वर खूनी की उस डायरी को लेकर सीधे अपने घर आ गया और बिस्तर पर आराम से बैठकर उस लाल रंग की डायरी का पहला पन्ना पढ़ने लगा जिसमें लिखा था मेरी आत्मकथा।

राजेश्वर डायरी की शुरूआत पढ़ता है , जिसमें लिखा था- मै अमित एक फौजी हूूॅ। आज मेरे लिये बड़ी खुशी का दिन है । क्योकि आज मुझे खुफिया मिशन में जाने के लिए सरकार ने मुझे एक खुफिया कमाण्डर चुना है । तभी मुझे थोड़ी देर बाद मुझे मेरे मोबाईल पर एस.एम.एस आया। वो एस.एम.एस. मेरे पिताजी का था जिसमे लिखा था बेटा जल्दी आ जाओं, मै जीवन की अंतिम सांसे गिन रहा हॅू। एस.एम.एस मिलते ही मै फौरन अपने घर पहुॅचा जहां पर मेरे पिताजी बीमारी के कारण मौत की अंतिम सांसे गिन रहे थे।पिताजी बिस्तर पर लेटे हुए थे। उनकी आंखों में आंसू देखकर मै कुछ समझ न सका।शायद वह मुझसे कुछ कहना चाह रहे थे। मै उनके निकट गया और उनसे पूछा कि आपकी आंखों में आंसू पिताजी?

बेटा यह आंसू खुशी के है क्योकि जिन्दगी की इस अंतिम घड़ी में मै तुम्हें तुम्हारे जीवन की एक कड़वी सच्चाई बताने जा रहा हूॅ।

मैने पूछा? कड़वी सच्चाई? कैसी कड़वी सच्चाई पिताजी?

बेटा तुम मेरी औलाद नही हो बल्कि तुम शारदा देवी की औलाद हो।

अमित- तो फिर मेरी मॉ ने मुझे अपने से अलग क्यों किय?

बेटा तुम्हारी मां ने अपने से तुम्हें अलग नही किया बल्कि हालात ने तुम्हें तुम्हारी मॉ से अलग किया।

अमित- आखिर ऐसी भी क्या मजबूरी थी जो एक मॉ ने अपने बच्चे को अपने से अलग कर दिया।

बेटा मै तुम्हें सब बताता हॅू। आज से करीब पच्चीस साल पहिले की बात है जब मै पुलिस इन्स्पैक्टर के पद पर कार्यरत था।एक दिन एक नकाबपोश मेरे पास आया और फोटो दिखाते हुए बोला, इस औरत और इसके बच्चे को खत्म करना है लेकिन याद रहे काम होशियारी से होना चाहिये इसके बदले में राघव साहब तुम्हें पॉच लाख रूपये देगे। काम जल्दी होना जाना चाहिये।

आजकल वैसे ही मेरी इन्कवारी चल रही है मै यह काम नही कर सकता।

नकाबपोश- तुम जानते हो किसे न कर रहे हो ? राघव वो है जिसकी पहोच ऊपर तक है । और वो चाहे तो तुम्हें खिलाफ इन्कवारी को बन्द करवा सकते है और बदले में पॉच लाख रूपये भी बुरे नही है।

मुझे उस समय रिश्वत लेने का नशा चढ़ा हुआ था और मै पैसे लेकर कोई भी काम करने को तैयार रहता था।

मैने उससे फोटो व पैसे ले लिये। फिर मै अपने बीवी को देखने अस्पताल देखने गया जहॉ उसे बच्चा होने वाला था। मै गलती से दूसरे कमरे में पहुॅच गया वहां मैने देखा कि वही औरत बिस्तर पर लेटी हुई  है ।

 

मैने देखा कि वही औरत बिस्तर पर लेटी हुई है जिसे मारने के लिए मुझे पैसे दिए थे और साथ में उसके दो बच्चे पालने में झूल रहे थे।

मै उसे मारने के लिए बढ़ रहा था कि तभी डाक्टर की आवाज आई इन्सपैक्टर साहब आपकी बीवी की तबीयत एकदम खराब हो गयी है।

मै तेजी से दौड़ता हुआ अपनी बीवी के कमरे में पहुॅचा जहां वह भर्ती थी।मेरे पहुंचते ही उसकी ऑखे बन्द हो गयी और साथ मे मेरा होने वाला बच्चा भी मर गया। मै अपनी बीवी से बहुत प्रेम करता था। मुझे अहसास हो चुका था कि यह मेरे कुकर्मो का फल है जो मेरी पत्नी और बच्चे को भुगतना पड़ा।

फिर मैने कसम खायी कि रिश्वत के पैसे को कभी भी हाथ नही लगाउगा मै अपने पापों का प्रायश्ति करने के लिए शारदा देवी के पास गया और उन्हें सब कुछ बता दिया। शारदा देवी का दिल बहुत बड़ा था उन्होेने अपने एक बच्चे को पालने से उठाया और मुझे सौपते हुए कहा- भाईसाहब आपने मेरी और बच्चो की जान बचाई है मै भी आपको खाली हाथ नही जाने दूगी। आज आपका कोई भी नही है इसलिए आपको अपना एक बच्चा हमेशा के लिए गोद दे रही हॅू।

मैने वह बच्चा गोद ले लिया और शारदा देवी से कहा- बहनजी आपकी जान को यहां खतरा है  इसलिए आप अपने एक बच्चे को लेकर यहां से बहुत दूर चली जाइए। मैं आपके दूसरे बच्चे को अपनी संतान से बढ़कर पालूगा और मैने उस बच्चे का पालन पोषण किया और मेरे बेटे अमित तुम ही शारदा देवी  के बेटे हो जिसे मैने वर्षो पहले शारदा देवी से गोद लिया था। बेटा मै आज तुम्हें तुम्हारी मा का पता अवश्य बताउगा ताकि मै आराम से मर सकू।

बेटा मैने मेज पर रखे कागज पर तुम्हारी मां का पता लिख दिया है ।मेरे मरने के बाद तुम अपनी मां से मिल लेना। ये ही मेरी अंतिम इच्छा है।

मैने पूछा पिताजी  वह नकाबपोश कौन था?

बेटा वह नकाबपोश कौन था यह राज मुझे आज तक पता न चल सका। कुछ दिनों बाद वह मुझसे मिलने आया औरा बोला क्या तुमने  शारदा देवी  और उसके बच्चे को मौत के घाट उतार दिया

 मैंने कहा , हां सर , मैने आपका काम बहुत पहले ही कर दिया था ।मैंने शारदा देवी और बच्चे को नींद सुला दिया है । वह नकाबपोश नहीं जानता था कि मैं झूठ बोल रहा हूं । मैने नकाबपोश द्वारा दिए गए पैसे तुम्हारी मां को दे दिये थे ताकि वह अच्छी तरह अपनी जिंदगी गुजार सके ।

इतना कहते ही मेरे पिताजी स्वर्ग सिधार गए । मैने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया और उस महान आत्मा को प्रणाम करकेे अपने पिता द्वारा बताये गये उस पते पर पहुंचा जहां मेरी मां शारदा देवी रहती थी । मैंने दरवाजा खटखटाया । तभी थोड़ी देर बाद एक 65-70 साल की बूढ़ी स्.त्री ने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही कहने लगी , बेटा सुमित आज तो तुम बहुत जल्दी आ गये ?

मैंने उनसे कहा -आप जो समझ रही हैं वो मैं नहीं हूं ।

फिर मैने उन्हें पिताजी का फोटो दिखाया , जिन्होंने मुझे पाला था , वह फोटो देखकर मेरी मां मुझे आश्चर्य से देखने लगी और उनकी आंखो में आंसू आने लगे ।

मैं बोला -मां जी ,मुझे शारदा देवी से मिलना है ।

वह लड़खडाती जुबान से बोली -मैं ही शारदा देवी हूं ।

मैंने उनके चरण स्पर्श किए और मैंने उन्हें सब कुछ बताया जो पिताजी ने मुझे बताया था ।मेरी मां ने मुझे गले से लगा लिया और कहने लगी मेरे लाल , मैं तेरी याद में रोजाना आंसू बहाती थी लेकिन मैं चाहते हुए भी तुझसे न मिल सकी ।

तभी थोड़ी देर बाद वहां सुमित आ गया जिसकी शक्ल ठीक मेरी जैसी थी ।वो भी मुझे देखकर हैरान हो गया क्योंकि हम दोनो की कद-काठी ,आवाज ,शक्ल बिल्कुल एक जैसी थी । सुमित ने मां से पूछा -मां , यह कौन है ? बिल्कुल मेरी शक्ल का यह इंसान अचानक यहां कैसे आया ? और तुम क्यों रो रही हो ?

शारदा देवी अपने आंसू पोंछते हुए बोली -बेटे, यह तेरा जुड़वा हमशक्ल भाई अमित है ।

मेरा हमशक्ल जुड़वा भाई यह सुनते ही उसने मुझे गले से लगा लिया ।

सुमित ने मां से पूछा मां, आखिर तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि मेरा जुड़वा भाई भी है ?

मां बोली -बेटा ,वक्त आ चुका है कि मैं तुझे आज वह सब बता दूं कि तुम्हारी मां के साथ कितनी ना-इंसाफी हुई । शारदा देवी अपनी बीती हुई जिंदगी के विषय में बताते हुए बोली - आज से काफी वर्षो पहले मैं नगरपालिका के सरकारी दफ्तर में एक क्लर्क के रूप में काम करती थी ।वहां मेरा काम पब्लिक बिल जमा करना था । रोजाना सैकड़ो लोग वहां आया करते थे । उसी दफ्तर में मिस्टर श्यामलाल अफसर  के रूप में कार्य करते थे । मैं अपने जमाने में बड़ी सुंदर थी , ऐसा लोग मुझे कहते थे । मैं किसी को भी घास नहीं डालती थी । श्यामलाल एक ईमानदार व्यक्ति थे । एक दिन कागज पर साइन करवाने के लिए मैं उनके केबिन में उनके पास गयी । उनका स्वभाव सभी अफसरों से अलग था । वह मेरे काम से बड़े खुश रहते थे , मैं कागज लेकर उनके केबिन में पहुंची ।                                                                                                                             

क्या मैं अंदर आ सकती हूं सर ?

शारदा देवी कहिये कैसे आना हुआ?

सर कुछ कागजो पर साहन कराने थे।

आप यह कागज मुझे दे दीजिए। मै अभी साइन कर देता हूॅ।

मैने उन्हें वह कागज दे दिये। उन्होने अपनी जेब से पैन निकाला और  साईन करने लगे।मै मन ही मन उनसे प्रेम करती थी लेकिन कभी जता न सकी, क्योकि वह एक बड़े अफसर थे। और मुझे डर था कि यदि मै उनसे प्रेम जतांउगी तो हो सकता है  िकवह नाराज होकर कही मुझे नौकरी से निकाल न दे। इसलिए मै खामोश रहती थी। लेकिन आज मुझे यह लगने लगा था  िकवह भी शायद मुझसे प्रेम करते है। उन्होने कागज पर साहन कर दिए और बोले आज शाम को मेरे साथ चाय पीजियेगा।

मैंने हल्की मुस्कुराहट के साथ हामी भर दी । शाम के पांच बज चुके थे । मैं अपना सब काम खत्म करने के बाद उनके साथ रेस्टोरेंट में गयी । वह एक ईमानदार और नेक व्यक्ति थे इसलिए मुझे उनके साथ जानें में कोई संकोच नहीं हुआ । वो भी जानते थे कि मैं ऐसी-वैसी लड़की नहीं हूं ।

उस शाम चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे सामने शादी का प्रस्ताव रखा । मैंने हामी भर दी । उन्होंने अपनी जेब से एक अंगूठी निकाली और मुझे पहना दी , क्योंकि वो जानते थे कि मैं एक अनाथ लड़की हूं और सगाई की रस्म के लिए इससे बढि़या और कोई मौका नहीं होगा ।

हम दोंनो रोज शाम को उसी रेस्टोरेंट में चाय पीते थे । वहीं एक दिन नगरपालिका का अध्यक्ष राणा और उपाध्यक्ष राघव आया । वे दोनों रेस्टोरेंट के मालिक से किसी काम के सिलसिले में मिलने आये थे । अचानक उन दोनों की नजर मुझ पर पड़ी , और वह दोनों हमारे पास आकर बैठ गए । राघव बोला ,आजकल तो बड़े मजे हो रहे हैं आफिसर , जरा थोड़ी इनायत हम पर भी करवा दो ।

श्यामलाल-आपको यह बात करते हुए शर्म आनी चाहिए राघव साहब ।और मेरे सामने आपकी हिम्मत कैसे हुई यह बेहूदा बात करने की ?

राघव बोला-हिम्मत तो अभी तुमने मेरी देखी नहीं आफिसर । मैं वो आग हूं जो अपनी मौत को भी जला सकता हूुं ।

तभी राणा बोला-हम तो यूंह ी मजाक कर रहे थे । आप को बुरा लगा हो तो राघव की तरफ से मैं माफी मांगता हूं ।

मैं खामाश थी क्योंकि मैं जानती थी राघव औार राणा को मुंह लगाना व्यर्थ है ।

वे मुुझसे बोले-शारदा ,अब हमें यहां से चलना चाहिए ।

तभी राघव शायराना अंदाज में बोला-कहां जाते हो जानम ,हम तुम्हारी राहों में तुम्हारा इंतजार करेंगे ।

वे बोले-यह क्या बदतमीजी है राघव ?

राणा बोला-अजी अफसर साहब ,यह जो मेरा दोस्त है जरा शायर है ।इसलिए जब किसी सुंदर हसीना को देखता है तो थोड़ी बहुत शायरी करने लगता है ।

उनका मुंह गुस्से से तमतमा गया और हम दोनों वहां से चल दिये ।रास्ते में उन्होंने मुझसे कहा ,शारदा ,तुम उन दोनों को कभी मुंह मत लगाना क्योंकि ये दोनों बड़े बुरे इंसान हैं । फिर हम दोनों अपने घर की और चल दिये ।

घर पहुंचने के बाद मैं सोचती रही आखिर हमारे देश स्त्री-पुरूष के सामने निर्बल क्यों है ।क्यों वह अपने आत्म-सम्मान के लिए खुलकर आवाज भी नहीं उठा सकती ।

दूसरे दिन मैं सुबह दफ्तर पहुंची ।आज मैं पहले की तरह खुश नहीं थी ।मैं अपनी सीट पर बैठी हुई कल की बातें सोच रही थी तभी राघव का चपरासी मेरे पास आया और बोला मैडम आपको राघव साहब ने बुलाया है ।                                                                               मैं राघव के केबिन में नहीं जाना चाहती थी लेकिन ड्यूटी से मजबूर थी इसलिए मुझे जाना पड़ा ।मैं थोड़ी देर में राघव के केबिन में पहुंची जहां राणा भी मौजूद था । वह दोनों बुरी निगाहों से मुझे घूर रहे थे ।

मैने कहा-सर ,आपने मुझे बुलाया था ?

राणा-हम तम्हारे काम से बहुत खुश हैं और तुम्हारा प्रमोशन करना चाहते हैं ।

राघव बोला-हम तुम्हें अपनी प्राइवेट सेक्रेटरी बनाना चाहते हैं । हम तुम्हें इतनी तनख्वाह देंगे जितनी तुमने कभी जिंदगी में सोची भी न होगी ।वो श्यामलाल कितना कंजूस और लालची है जो तुम्हें एक सस्ती चाय पिलाकर तुमसे खेलना चाहता है ।

मैं बोली-तमीज से बात कीजिए मि. राघव ।मिस्टर श्यामलाल आपकी तरह गिरे हुए इंसान नही हैं ।वे एक नेक ईमानदार इंसान हैं ।मुझे आपसे ऐसी उम्मीद न थी कि आप इतनी गिरी हुई बात कर सकते हैं ।हां वो मुझे एक सस्ती चाय पिलाते हैं लेकिन चाय पिलाने की भावना में उनका प्रेम है ।उनके मन में मेरे प्रति इज्जत है ।तुम्हारी तरह लोफर नहीं । मैंने तड़ाक से कहा ।

राणा-बड़ा गहरा प्रेम है तुम्हारा और उसका ?अब देखो हम उसके साथ क्या करते हैं ?

मैं बोली- आसमान का थूका जमीन पर गिरता है राणा ।

राघव तपाक से बोला- तुम तो बेकार में ही नाराज हो रही हो । हम तो वैसे ही मजाक कर रहे थे ।

इतना कहते ही राघव ने मेरा हाथ पकड़ लिया और राणा ने मुझे अपनी भाहों में भरना चाहा । मैंने अपने को उन दोनों से छुड़ाया और एक-एक थप्पड़ दोनों की गाल पर रसीद कर दिया ।

दोनों एक साथ बोले- तुम्हारी यह हिम्मत । हम तुम्हारा वो हाल करेंगे जिसे सहने के बाद तुम न मर सकोगी न जी सकोगी । दोनों का मुंह गुस्से से तमतमा रहा था ।बदले की आग उनकी आंखो में झलक रही थी ।

मैं तुरंत उनके केबिन से बाहर निकल आयी और रोते हुए श्याम के केबिन में पहुंची ।

उन्होंने मुझे रोते हुए देखकर पूछा-क्यों रो रही हो शारदा ?मैं तुम्हारी आंखो में आंसू नहीं देख सकता ।

मैं बोली - यह आंसू अब मेरी तकदीर बन चुके हैं ।बचपन से लेकर आज तक मैने आंसू के घूंट ही पीये हैं । मैं एक अनाथ हूं ।इसीलिए आज मेरे आंसू पोंछने वाला कोई नहीं ।इसीलिए राघव और राणा ने मुझ पर बुरी नजर डाली । इतना कहकर मैने उन्हें सब कुछ बता दिया ।

उनका चेहरा गुस्से से लाल हो उठा और वह गुस्से से राणा और राघव के केबिन में गये ।वहां उन्होंने राणा और राघव को बुरा-भला कहा , इसलिए राणा और राघव ने उन पर झूठा रिश्वत का इल्जाम लगाकर उन्हें नौकरी से बर्खास्त करवा दिया ।मुझे यह सब सुनकर बड़ा दुख हुआ । और मैने ठान लिया कि अब मैं राघव और राणा की असलियत को दुनिया के सामने लाकर रहूंगी ।

राघव और राणा को मेरी इस का पता चल गया औैर उन दोनों ने एक योजना बनायी जिसकी मुझे कतई खबर नहीं थी ।                                                                          एक दिन चपरासी मुझे एक लिफाफा दे गया जिसमें लिखा था प्रिय शारदा ,आज तुम आफिस से छुट्टी के बाद पुराने खण्डर में मिलना ।तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है ।-तुम्हारा श्याम ।

उस दिन आफिस से छुट्टी के बाद मैं पुराने खंडहर पहुंची ।वहां मैने श्याम को कई आवाजें लगायीं । तभी अचानक राघव और राणा वहां आये ।

मैं बोली- श्याम कहां है ?

राणा बोला- श्याम यहां नही आयेगा , जिस खत के जरिए तुम यहां आयी हो वो खत हमने श्याम की लिखावट बनाकर तुम्हें लिखा था । अब तुम आई तो अपनी मर्जी से हो लेकिन जाओगी हमारी मर्जी से ।

शारदा- तुमने मुझे यहां क्यों बुलाया है ?

राघव- दो जवान मर्द एक सुंदर लड़की को क्यों बुलाते हैं ,इतना भी नहीं समझती शारदा देवी जी ?

शारदा- नीच कमीने मुझे जाने दो।

इतना कहकर मैं वहां से भागी । राघव भी मेरे पीछे भागा और उसने मुझे दबोच लिया । फिर राणा मुझे उठाकर खण्डहर में ले गया जहां दोनों ने बारी-बारी से मेरे साथ बलात्कार किया ।

मैं बहुत चीखी- चिल्लाई मगर मेरी आवाज को सुनने वाला वहां कोई न था ।वो दरिन्दे अपना मुंह काला करके वहां से चले गये ।

मैं फटे कपड़ो में श्याम के घर पहुंची । वो मुझे इस हालत में देखकर घबरा गये और कहने लगे -शारदा तुम्हारी यह हालत किसने की ? आज मैं उस दरिन्दे को जिंदा नहीं छोड़ूंगा ।

मैंने उन्हें सारा किस्सा सुना दिया और मैंने कहा कि अब मैं तुम्हारे लायक नहीं रही श्याम ।

उन्होंने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाला और राघव और राणा को मारने के लिए चल पड़े ।

मैने उन्हें रोक लिया और कहा- वे दोनों बहुत ताकतवर हैं तुम अकेले उन दरिन्दों का मुकाबला नहीं कर पाओगे । मैं किसी भी कीमत पर श्याम को खोना नहीं चाहती थी ।

मैने श्याम को उन दरिन्दों के पास जाने की कसम दी । श्याम ने मेरी कसम की लाज रख ली और अपने उबलते हुए खून को रोक लिया ।

हमने अदालत के दरवाजे खटखटाये लेकिन कानून तो बिक चुका था ।इसलिए मुझे इंसाफ नहीं मिल सका ।आखिर कई महीने गुजर गये और मुझे जिस बात का डर था वही हुआ । मैनें लोक-लाज के कारण नौकरी छोड़ दी ।

मुझे जब इस बात का ज्ञान हुआ कि मैं राघव और राणा के बच्चों की मां बनने वाली हूं तो मैने आत्महत्या करने की कोशिश की , लेकिन श्याम ने मुझे बचा लिया ।

मैं उस समय बिमार थी और बिस्तर पर लेटी हुई थी ।                                               रात के बारह बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया । श्याम ने दरवाजा खोला ।                             दरवाजा खुलते ही एक नकाबपोश अंदर आ गया और बोला- तू ही है श्याम , तूने शारदा देवी के बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया था ? आज मैं तुझे इस कसूर के लिए मौत की सजा देने आया हूं ।

इतना कहते ही उसने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाला और चार गोलियां श्याम के सीने में दाग दीं ।श्याम जमीन पर गिर पड़ा और जमीन पर गिरते ही श्याम ने दम तोड़ दिया । श्याम की इस हालत को देखकर मेरी चीख निकल गयी । वह नकाबपोश मेरी तरफ बढ़ा लेकिन लोगों का शोर सुनकर वह वहां से भाग खड़ा हुआ ।

हमारे दरवाजे पर खून से लथपथ लाश पड़ी थी और लाश के पास उन लोगों की भीड़ थी जिनकी आवाज सुनकर नकाबपोश भाग खड़ा हुआ था ।

मैं यह सब देखकर बेहोश हो गयी । कुछ भले लोगों ने मुझे अस्पताल में भर्ती करा दिया । अब मैं मां बनने वाली थी ।

अस्पताल में मैने तुम दोनों जुड़वां भाईयों को जन्म दिया । फिर इंस्पैक्टर ,जिसने मेरी जान बख्शी , और मुझे पांच लाख रूपये दिये जो उन्हें राणा और राघव ने मुझे मारने के लिए दिये थे । उस इंस्पैक्टर की बीवी और बच्चा अस्पताल में मर चुके थे । मुझे उसकी दशा देखकर बहुत तरस आ रहा था । अतः मैंने अमित को उसे गोद दे दिया और सुमित को लेकर मैं वह शहर छोड़कर मुंबई आ गयी ।

वहां एक छोटी सी फर्म में मुझे नौकरी भी मिल गयी और मैं सुमित का पालन पोषण करने लगी ।

अपनी मां की दर्द भरी कहानी सुनकर मेरे और सुमित की आंखो में आंसू आ गये । सुमित मुझसे एक सच्चे भाई की तरह पेश आता था । वह मेरी बहुत इज्जत करता था और हम दोनों में प्यार बढ़ने लगा ।

एक दिन सुमित ने अपने प्रिय दोस्त राजन और उसकी बहन से मिलाया ।

स्ुाुमित बोला- यह मेरा जिगरी दोस्त राजन है और यह मेरे बाद तुम पर अपनी जान तक न्यौछावर करने के लिए हमेशा तत्पर रहेगा ।

मैं बोला-ऐसा मत बोलो भाई , तुम सौ साल जिंदा रहोगे ।

राजन और मैं सुमित एक दूसरे के साथ भाई-चारे का व्यवहार करते हुए बड़े खुश रहते थे ।

मैंने कसम खायी कि जिस दिन मुझे राघव और राणा का नामो -निशान का पता लग गया , उस दिन मैं मां पर किए गए अत्याचारों का बदला राघव और राणा के खून से लूंगा ।

सुमित बोला- नहीं भाई ,तुम कानून को अपने हाथ में नहीं लोगे ।बहुत दिनों बाद मेरा भाई मुझे मिला है, मैं उसे किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहता । जिस दिन मुझे राघव और राणा का पता मिल गया तब मां पर किये गये अत्याचारो का बदला मैं अपनी कलम की ताकत से लूंगा । मैं उन दोनों के चेहरे से शराफत का नकाब हटा दूंगा ।

सुमित की बात मैने मान ली ।                                                                  एक दिन मां ने सुमित को पांच लाख रूपये देते हुए कहा बेटा यह पैसे उन दरिन्दों ने कभी मुझे मरवाने के लिए इंस्पैक्टर को दिये लेकिन आज मैं इन्हीं पैसों से एक अखबार निकालूंगी । जहां कहीं भी वो दरिन्दे  छिपे हुए हैं उनका पर्दाफाश करूंगी ।                                                                 

सुमित ने मां से पैसे ले लिये और थोड़े ही दिनों में सुमित ने अपनी एक प्रेस खोल ली और अपना अखबार निकालना शुरू कर दिया ।

सुमित ने अखबार का नाम सच की परछाईरखा ।

अचानक दूसरे दिन मुझे एक खत मिला जिसमें लिखा था कमाण्डो अमित तार मिलते ही काली घाटी पहुंचो ।-तुम्हारा कमाण्डर

मैं तार मिलते ही काली घाटी पहुंचा ।

वहां कमाण्डर ने मुझसे कहा -मिस्टर अमित , आज हमने तुम्हें एक खुफिया मिशन में जाने के लिए बुलाया है ।हमें शक है कि काली घाटी के आसपास मजूमस्तान देश ने अपने आतंकवादी छोड़े हुए हैं जो किसी भी वक्त हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं ।

अमित - ओ.के.सर ,मैं अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान पर भी खेल जाऊंगा ।

कमाण्डर ने मुझे काली घाटी का नक्शा समझाया और कहा यह लो रक्षा मंत्रालय की फाइल ,जो अब तुम्हारे पास महफूज रहेगी ।

मैं बोला- मुझ पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी डालकर आज आपने मुझे नया जीवन दिया है सर ।

कमाण्डर -मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कमाण्डो अमित ।तुम अपने मिशन में जरूर कामयाब होगे ।

उन्होंने मेरे साथ कमाण्डो सुरेश को भी नियुक्त किया जो एक हंसमुख मजाकिया इंसान है । तभी मुझे दरवाजे के पास किसी के चलने की आहट हुई और मैं तुरंत समझ गया कि जरूर कोई मजूमस्तान का खुफिया एजेंट हमारी जासूसी कर रहा है । मैं आहट सुनते ही बाहर की तरफ भागा । वहां मैं पैरों की आहट सुनते ही बाहर की तरफ भागा । वहां मैने एक खुफिया एजेंट को जंगल की तरफ भागते हुए देखा ।मैंने उस पर गोली चलायी लेकिन मेरा निशाना चूक गया ।

अब मुझे अहसास हो चुका था कि मजूमस्तान के आतंकवादियों को मेरे आने सूचना मिल चुकी है ।

दूसरे दिन कमाण्डर ने मुझे सुरेश से मिलवाया ।

सुरेश - आई एम कमाण्डो सुरेश ,हैलो कमाण्डो अमित ।

अमित - हैलो ,सुरेश ।

सुरेश और मैं काफी देर तक बातें करते रहें और बातें करते-करते हम बगीचे में आ गये ।

सुरेश बोला -अरे यार देखो ।गेट के पास एक गंजा चौकीदार खड़ा है ।उसकी गंजी खोपड़ी ऐसे चमक रही है , मानो जैसे प्रचंड धूप में चांद निकल आया हो।

अभी अचानक कमाण्डर ने हमें संदेश भेजा - संदेश मिलते ही तुरंत मेरे कैम्प में आओ ।

मैं कमाण्डर के कैम्प में आ गया ।

कमाण्डर ने मुझे बैठने के लिए कहा और बोले -मि. अमित ,अभी-अभी हमें पता चला है कि पन्द्रह आतंकवादियों ने काली घाटी को घेरने का षड़यंत्र बना लिया । इसलिए तुम तुरंत अपने खुफिया मिशन में जाने के लिए तैयार हो जाओ , हमें शक है कि वह आतंकवादी आस-पास ही छिपे हैं और हमारी एक-एक बात उन तक पहुंच जाती है ।इसलिए तुम्हें सर्तक रहना होगा ।

अमित - यस सर , मैं अपने देश के लिए अपनी जान दे दूंगा और उन आतंकवादियों को मौत का कफन ओढ़ा दूंगा ।

मैं काली घाटी के जंगलो की तरफ निकल पड़ा ।जंगल में चीते , डरावने सांप ,शेर खूंखार जानवर थे ।मैं अपने साथ गोला ,बारूद ,बम और गोलियां ले गया था । अचानक मुझे झाडि़यों के पीछे सर्र-सर्र की आवाज आई । मैं और सुरेश तुरंत अपनी पोजीशन में आ गये और एक-एक गोली झाड़ी में दाग दी ।

तभी उस झाड़ी में लम्बा-चोड़ा कट्टर आतंकवादी निकला और उसने भी गोलियां चलानी शुरू कर दी । हमने भी स्टेनगन से उस पर गोलियां चला दी । गोलियां लगते ही वह आतंकवादी जमीन पर गिर पड़ा और गिरते ही मर गया ।

सुरेश कहने लगा - यह आतंकवादी हम दोनों को मारने आया था ।लेकिन खुद ही बेमौत मारा गया ।

सुरेश ने उसकी जेबों की तलाशी ली । उसमें से एक पत्र निकला जिसमें लिखा था हुकम सिंह ,सुरेश और अमित दोनों कमाण्डो को मारकर तुरंत काली घाटी के हुगली स्थान पर पहुंचो ।-तुम्हारा चीफ

सुरेश कहने लगा -यह आतंकवादी हम दोनों को मारने आया था लेकिन खुद ही बेमौत मारा गया ।

मैं बोला - हमें फोरन हुगली पहुंचना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि हुगली में कौन इससे मिलने वाला है ।

हम दोनों बड़ी तेज रफ्तार से वहां पहुंचे । वहां हमने पेड़ के पीछे छिपकर देखा ,पांच कट्टर आतंकवादी अपने दोस्त का इंतजार कर रहे थे और हमें वो लोग परेशान नजर आ रहे थे क्योंकि काफी देर हो गयी लेकिन उन्हें अपना साथी नजर नहीं आ रहा था । वो लोग शायद समझ चुके थे कि उनका साथी मारा जा चुका है , इसीलिए वे वहां से भागने लगे ।उन्हें भागता देख मैं चिल्लाया-रूक जाओ ,वरना गोली मार दूंगा

 तभी जवाब में उन्होंने मेरी तरफ गोली दाग दी । गोलियों से मैं बाल-बाल बचा ।जवाब में सुरेश ने उनकी तरफ गोलियों दाग दी । गोलियां लगते ही वहां तीन आतंकवादी ढेर हो गये ।

मैं बोला- तुम्हारा निशाना अचूक है दोस्त । तभी दो आतंकवादियों ने स्टेनगन से अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी । मैने उन दोनों का निशाना लगाया और अपनी स्टेनगन से गोलियां चला दी । गोली लगते ही आतंकवादी ढेर हो गये । अब हमें नौ आतंकवादियों की तलाश थी जो हुगली के आसपास ही थे । हमने हुगली के आस-पास उन्हें काफी ढूंढा शायद कोई मिल जाए । तभी अंत में हमें एक बड़ी झोपड़ी नजर आयी जिसके बाहर पांच आतंकवादी पहरा दे रहे थे ।उस झोपड़ी के सामने एक पेड़ था । मैने अंदाजा लगाया , यदि पेड़ पर चढ़कर उन पांच आतंकवादियों को मारा जाए तो हम दोनों अपनी रक्षा भी कर लेंगे और इन आतंकवादियों को भी ऊपर पहुंचा देंगे । हमें कमाण्डर ने पेड़ पर चढ़ने -उतरने और हवा में दुश्मन की निगाहों से बचकर भागने की अच्छी टेªनिंग दी थी ।

हम दोनों पेड़ पर चढ़ गये और हमने उन पांच आतंकवादियों को भून डाला। गोली की आवाज सुनते ही चार और आतंकवादी को वहां आ गये ।हमने उन्हें भी गोलियों से भून डाला ।पूरे पन्द्रह आतंकवादी खत्म हो चुके थे ।हम दोनों पेड़ से नीचे उतरे और मैने अपनी जेब से टार्च निकाल ली ।काफी अंधेरा हो चुका था ।हमने उस झोपड़ी की तलाशी ली ।मुझे उस झोपड़ी में से एक कैमरा मिला ।वह कैमरा मैने अपनी जेब में रख लिया ।फिर हम दोनों वहां स ेचल दिये ।

मैं सुरेश से बोला- यार सुरेश ,काफी अंधेरा हो चुका है । अब हमें इसी झोपड़ी में ठहर जाना चाहिए ।

सुरेश ने कहा- यार यह जगह खतरे से खाली नहीं है ।हमें फौरन इस जगह को छोड़ देना चाहिए ।फिर हम दोनों उस घनघोर जंगल के अंधेरे से निकलकर सुबह तक कमाण्डर के पास पहुंचे ।

कमाण्डर- तुम दोनों ने उन कट्टर आतंकवादियों को मारकर अपने देश के लिए बहुत बड़ा काम किया है। इसलिए तुम दोनों को जितने दिन की छुट्टी चाहिए ,मांग लो । और मैं तुमसे वादा करता हूं कि अब जब तुम दोनों न चाहो तुम्हें किसी खुफिया मिशन पर नहीं भेजा जायेगा तथा प्रत्येक महीने तुम्हें तुम्हारा वेतन और भत्ते भेज दिये जायेंगे ।

मैने कमाण्डर से कहा- सर ,जब भी मेरेा देश किसी खतरे में होगा ,मैं हमेशा अपने देश की रक्षा के लिए तैयार रहूंगा ।

फिर मैने वो कैमरा कमाण्डर को दे दिया जो हम उन कट्टर आतंकवादियों के अड्ढे से लाये थे मुझे शक था कि इस कैमरे में काली घाटी में हमारे दो खुफिया अड्ढो की तस्वीरें हैं ।कैमरे की रील को डेवलप करने के बाद हमने देखा कि उन तस्वीरों में हमारे खुफिया अड्ढो की तस्वीरें ही थी जिन्हें मजूमस्तान के आतंकवादी बम से उड़ाना चाहते थे ।

सुरेश मुझसे मिलकर अपने घर चला गया और मैं भी अपने भाई और मां से मिलने के लिए उत्सुक था । मैने अपना सामान बांधा और टेªन से घर की ओर चल पड़ा ।मुझे घर से निकले हुए पूरा एक महीना हो चुका था ।

मैं बहुत खुश था क्योंकि मैने अपने देश की रक्षा के लिए उन आतंकवादियों को मारकर एक मिसाल कायम की थी ।मैं थका- हारा घर पहुंचा । वहां का दृश्य देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया ।

हमारा घर जला हुआ था तथा घर के सामने प्रेस भी जली हुई थी ।

घर एक खण्डर की तरह लग रहा था ।मैं घबराया हुआ राजन के घर गया वहां राजन उदास सा बैठा था। मैं उसके समीप गया और उससे पूछा भाई राजन ,यह सब कैसे हुआ ? भइया और मां कहां है और हमारा घर किसने जलाया ?

राजन ने मुझे अपने पास बिठाया और बोला-तुम्हारे जाने के बाद एक ऐसा तूफान आया जो सुमित और तुम्हारी मां को उड़ा ले गया ।

मैं बोला- कैसा तूफान ?

इतने में रजनी भी आ गई ।वह भी चेहरे से काफी गम्भीर नजर आ रही थी ।

राजन बोला -मैं तुम्हें सब कुछ बताता हूं , जो तुम्हारे जाने के बाद यहां पर घटित हुआ ।

मैंने उसका एक-एक वाक्य सुना -तुम्हारे जाने के बाद सुमित अपनी प्रेस में अखबार निकालने की तैयारी में जोर-शोर से लग गया । एक दिन हम एक पार्टी में गये जहां हमारी मुलाकात राघव और राणा से हुई जो चुनाव जीतने की खुशी में पार्टी दे रहे थे । राघव और राणा दोनों ही दोबारा चुनाव जीत गये थे ।वहां पुलिस अधीक्षक नागेश्वर त्यागी भी मौजूद था जो नशे में धुत था ।

राघव और राणा सुमित के पास आकर बोले ,ओह तुम हो वो पत्रकार जिसने अभी प्रेस खोली है ।सुना है तुम्हारा पेपर सच के सिवा कुछ नहीं छापता ? हमें यह जानकर बड़ी खुशी हुई ।

सुमित- जी हां ,राघव साहब । हमें यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि आप और राणा साहब फिर संसद सदस्य बन गये हैं ।आपकी जीत में हमारी जीत है ।

राघव बोला- हम तो नेता हैं ।आपका अखबार देश में फैले भ्रष्टाचार के विरूö खुलेआम छापेगा । इस काम में हम तुम्हारा पूरा सहयोग देंगे ।

तभी थोड़ देर बाद राघव की लड़की राधिका वहां आ गयी ।राघव ने राधिका का सुमित से परिचय करवाते हुए बोले -यह है मेरी बेटी राधिका और बेटी यह है पत्रकार सुमित -जिनके अखबार के चर्चे गली-गली में है और इनकी खास बात यह है कि ये अपने अखबार में सच के अलावा कुछ और नहीं छापते ।

राधिका बोली- मिस्टर सुमित , मैं भी लेखन का शौक रखती हूं और समाज में फैले भ्रष्टाचार के विरूö अभियान चलाना चाहती हूं ।

सुमित -यह सुनकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई कि आप भी मेरी तरह लेखन का शौक रखती हैं और अपनी लेखन विद्या से प्रत्येक जन का उöार करना चाहती हैं ।

राधिका - अगर आप बुरा न मानें तो मैं कल से ही आपके साथ आपके अखबार सच की परछाई में  काम करने लगूं ?

सुमित -इसमें बुरा मानने की क्या बात है मिस राधिका ? आप जब चाहे मेरे दफ्तर में आकर अपना यह शौक पूरा कर सकती हैं । आपका हमारे अखबार में स्वागत है ।

राधिका -धन्यवाद ,मि. सुमित आज आपसे मिलकर बेहद खुशी हुई और आपक विचारों में जो महानता है , उसका हम आदर करते है ।

पार्टी चल रही थी तभी अचानक राणा समीप आकर बोला -हमने सुना है मि. सुमित कि आप लिखने के साथ शायरी भी अच्छी कर लेते हो ? चलिए , आज आप हमें कुछ ऐसा सुनाइये जिसे सुनकर पार्टी में जान आ जाए ।

सुमित ने अपनी लिखी हुई शायरी सुनाई ।

अब तो सांसो में बस गये हो तुम ।

मेरे दिल की धड़कन के हर पहलू में हो बस तुम ही तुम

ये ही तो मौहब्बत की कोशिश है जानम

जिसे प्यार करते हैं हम ,मेरे दिल में हर पल रोशन होती हो तुम ।

ये ही तो है तुम्हारी

जिसे प्यार करते हैं हम ।

तुम्हारी मुस्कुराहट में हमारी जिंदगी है

जिसे देखकर दो पल जी लेते हैं हम ,

तुम्हारे रूप में इतनी कशिश है

तुम्हें देखने के लिए रोशन होता है चांद ।

हमारी जिंदगी की किताब के पन्नों में

बस एक ही नाम है

ओ सनम ,ओ जानम तुम्हारी पायल की झंकार से सुबह होती है

जब तुम आंख बंद कर लेती हो शाम होती है ।

नज्म खत्म होते ही पूरा हॉल तालियों से गंूज उठा । राधिका सुमित की नज्म सुनकर मदहोश हो गयी । वह सुमित के निकट आकर बोली -शायरी के साथ-साथ आपकी आवाज भी बहुत मधुर है ।आपको लेखन की प्रेरणा कहां से मिली ?

सुमित -जिस प्रकार सुंदर प्रभात की सुंदरता को एक कवि अपनी लेखनी में उतार लेता है , वैसे ही आपके रूप को मैने अपनी शायरी में संजोया है ।

यह सुनते ही राधिका मुस्करा दी और शर्माकर वहां से चली गयी ।

पार्टी खत्म हो चुकी थी ।पार्टी में आये सब लोग अपने-अपने घर चले गये ।

सुमित ने राघव ,राणा और राधिका को रात्रि भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया । दूसरे दिन तीनों सुमित के घर पहुंचे ।दरवाजे पर दस्तक हुई ।

शारदा देवी बाहर आयी ।जब उन्होंने राघव और राणा को अपने समीप देखा ।

राघव और राणा भी शारदा को देखकर पीले पड़ गये थे ।तभी सुमित बाहर निकलकर आया ।

राघव ने राधिका से कहा -बेटी राधिका ,तुम गाड़ी में बैठो मुझे सुमित से कोई जरूरी बात करनी है ।

राधिका भी वहां से चली गयी ।

शारदा -अपनी बेटी से पाप छिपाना चाहते हो राघव ?

राणा -ओह ,तो तुम जिंदा हो शारदा ?

राघव -ओह ,तो उस इंस्पैक्टर ने हमसे धोखा किया और हमारे पांच लाख रूपये भी खा गया जो हमने उसे दिये थे ।

शारदा -उन्हीं पांच लाख रूपये से मैने अपने बेटे के लिए प्रेस लगायी है जो तुम दोनों के चेहरो से शराफत का नकाब उतारकर तुम्हें कफन पहनायेगी ।

राणा -उसे दिन तो तू बच गई जिस दिन मैं नकाब लगाकर तेरे घर आया था । तेरे यार श्यामलाल को तो मैने मौत की नींद सुला दिया अब तू नहीं बचेगी ।

शारदा - कमीनों , अब तुम दोनों का काल आ चुका है । आज वक्त का कानून तुम दोनों को यहां खींच कर लाया है ।

राणा - ऐ शारदा , लगता है जिंदगी से जी भर गया ?

सुमित -मां ,कौन हैं ये दोनों ?

शारदा -बेटा यह ही है राघव और राणा ,जिन्होंने तेरी मां की जिंदगी तबाह की थी ।

तभी सुमित बोला -हरामजादों ,मैं आज तुम दोनों का खुन पी जाऊंगा ।

शारदा -नहीं बेटा ,इन दोनों को इतनी आसान मौत मत देना ।पहले इनके चेहरे से शराफत का नकाब उतारना फिर इन्हें वो मौत देना जिसे देखकर मौत भी घबरा जाये ।

यह सुनते ही सुमित की आंखो में खून का तूफान उभर आया और वह बोला -मां , मैं तेरे साथ की गई एक-एक बेइंसाफी का बदला लूंगा । मैं राघव और राणा के चेहरे से शराफत का नकाब उतार दूंगा ।

शारदा -दरिंदों ,देखा आज तुम्हारा कुकर्म तुम्हारे लिये कफन तैयार कर रहा है ?ये सुमित तुम दोनों की नाजायज औलाद है ।

राघव -हमारी कोई औलाद नहीं ।जो तेरे खुन से जुड़ा है वो हमारा पक्का दुश्मन है ।

मैं (राजन) मां के पास खड़ा था और यह सब सुनकर मुझे बड़ा दुःख हुआ ।

सुमित ने मुझसे कहा राजन पग-पग तुझे मेरा साथ देना होगा ।मैं बोला , सुमित मैं तेरे साथ हर पल रहूंगा । जैसे शरीर में आत्मा रहती है , ठीक वैसे ही ।

यह सुनते ही सुमित ने मुझे अपने गले लिया ।

फिर राघव और राणा अपनी आंखो में नफरत लिये वहां से चले गये ।उसके बाद सुमित ने राघव और राणा के विषय में जानकारी हासिल करने के लिए बहुत छानबीन की लेकिन उसे कुछ भीप पता न चल सका जिसे वह सबूत के साथ छाप सकता ।

एक दिन अचानक राधिका सुमित के दफ्तर आयी और बोली -मि. सुमित आज मैं आपके पास काम मांगने आयी हूं और आज आपको मुझे काम देना होगा ।

स्ुमित -मैं आपसे माफी चाहता हूं मिस राधिका ।मैं आपको अपने अखबार का कोई भी कार्य नहीें सौंप सकता ।

राधिका -आखिर क्यों ?

सुमित -वजह जानने के बाद आपको काफी दुख होगा ।इसलिए बेहतर यही होगा कि आप यहां से चली जायें और यहां आने का कष्ट न करें ।यह सुनते ही राधिका का दिल टूट गया और वह वहां से चली गयी।

सुमित थका-थका सा घर लौटा ।उस दिन वह कुछ उदास सा था ।

शारदा -बेटा , आज राधिका मेरे पास आयी थी और उसने मुझे सब कुछ बता दिया है ।आखिर तुम उसे अपने साथ क्यों नहीं रख लेते ?

स्ुमित -मां , सब कुछ जानते हुए भी तुम ऐसी बातें क्यों कर रही हो ?मैं राघव की बेटी को कैसे रख सकता हूं ?

शारदा -बेटा गुलाब के फूल के साथ कांटे भी होते हैं ,लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोग कांटो की वजह से गुलाब का फूल अपने बगीचे में नहीं उगाते ?यदि एक सुंदर महकते वृक्ष पर सांप लिपटा हो तो वृक्ष पर विष का असर नहीं होता वह तो सदा महकता रहता है ।उसी प्रकार बेटा ,बाप की गलती की सजा बेटी को मत दो । इसमें उसका क्या कसूर कि वह राघव की बेटी है ।वह लड़की तो मासूम है ,बेकसूर है और उसकी आंखो में तुम्हारे लिए मौहब्बत का जज्बा है ।

स्ुमित -मां मुझे माफ कर दो ,मैं बहक गया था ।मैं तुम्हारे बताये गये आदर्शों को भूल गया था ।

मैने (राजन) भी सुमित को समझाया और कहा -सुमित तुम्हें राधिका के साथ ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए था ।

शारदा -बेटा ,मैं जानती हूं कि तू राधिका से प्रेम करता है और वो भी तुझसे प्रेम करती है ।मेरा आशीर्वाद तुम दोनों के साथ रहेगा ।

सुमित यह सुनकर बड़ा प्रसन्नचिŸा हो गया ।दूसरे दिन सुमित और मैं (राजन) प्रेस में बैठे कुछ लिख रहे थे कि तभी राधिका वहां आयी ।

मैने (राजन) पूछा -राधिका जी ,आपका प्रेस में कैसे आना हुआ ?

सुमित बोला -मैनें इन्हें फोन करके यहां बुलाया है ।दरअसल मैं इनसे माफी मांगना चाहता हूं ।

राधिका -इसमें माफी की क्या बात है ?

सुमित -नहीं राधिका ,दरअसल मुझे तुम्हारे साथ बुरा सलूक नहीं करना चाहिए था

राधिका -कोई बात नहीं सुमित ,मैने तुम्हारी किसी बात का बुरा नहीं माना ।

सुमित -ओ के राधिका , आज मैं तुम्हें अपने अखबार की रिपोर्टर नियुक्त करता हूं ।राधिका यह सुनते ही खुश हो गयी ।

राधिका और सुमित साथ-साथ लेखन का काम करने लगे और एक दूसरे के निकट आते गये ।

सुमित - मैं तुमसे बहुत प्रेम करने लगा हूं राधिका ।

राधिका -मैं भी तुमसे अपनी जान से ज्यादा प्रेम करती हूं सुमित ।

सुमित -कल क्या तुम मेरे साथ माहिनी गार्डन चलोगी ?

राधिका -कल कितने बजे चलना है ?

सुमित -शाम के पांच बजे के बाद ।

इस तरह सुमित और राधिका रोजाना वहां मिलने लगे ।एक दिन राधिका अपने घर देर से पहुंची ।

राघव -आजकल तुम कहां रहती हो बेटी ?

राधिका -डैडी , मैं आजकल सोशल वर्क कर रही हूं ।

राघव -ओ के बेटी , लेकिन यह बात हमेशा याद रखना कि तुम सुमित की प्रेस में कार्य नहीं करोगी ।

राधिका -क्यों डैडी ?

राघव -बेटी ,दरअसल दोस्ती अपने बराबर वालों में रखनी चाहिए ।

राधिका -कल तक तो आप सुमित के दोस्त थे ,लेकिन आज अचानक आपको क्या हो गया है जो आप ऐसी बातें कर रहे हैं ?

राघव सोचने लगा कि अब ज्यादा बात बढ़ाना उचित नहीं होगा ।कहीं ऐसा न हो कि मेरी बेटी को मेरी असलियत का पता चल जाए ।इसलिए वह चुपचाप वहां से अपने कमरे में चले गये ।

राधिका सुबह हमारी प्रेस आयी और उसने मुझसे (राजन) पूछा -राजन भइया ,सुमित कहां हैं ?

मैं बोला -वो बस आता ही होगा ।

राधिका ने मुझे सारी बातें बता दी जो कल रात राघव व उसके बीच हुई थी ।

तभी थोड़ी देर बाद सुमित वहां आ गया ।

 राधिका -कहां चले गये थे सुमित ?

सुमित -दरअसल ,मैं इंटरव्यू ले रहा था ।

राधिका -किसका इंटरव्यू ?

सुमित -दरअसल ,मैने आज से एक सेक्रेटरी रख लिया है जो मुझे आस-पास की खबरें लाकर दिया करेगा ।

राधिका -क्या नाम है तुम्हारे सेक्रेटरी का ?

सुमित -बृजेश नाम है उसका ।बेचारा काफी गरीब है ।लेकिन मेहनती और बुöिमान है ।

इधर- उधर की बातें करते काफी समय हो चुका था ।हमने अपना सब काम खत्म किया और शाम के पांच बज चुके थे ।हमने प्रेस को बंद किया ।दूसरे दिन सुमित का सेक्रेटरी (बृजेश) प्रेस में आया और बोला -सर ,पनाह अनाथ आश्रम में नाजायज धंधे चल रहे हैं और इन सब धंधों के पीछे किसी बड़ी हस्ती का हाथ लगता है ।

सुमित -यह सब तुम्हें कैसे पता चला ?

बृजेश -आज मैने खुद अपनी आंखो से अनाथ आश्रम को दान दिये गये कपड़ो के नीचे अफीम ,गांजा ,हेरोइन जैसी नशीली दवाओं को देखा है ।जब मैंने वहां की वार्डन सुनीता देवी से पूछा कि यह सब क्या है ?आप लोग अपनी आंखो के सामने नाजायज धंधे क्यों चलते देख रहे हैं ?आप कोई एक्शन क्यों नहीं लेती ?तो वह बोली -जा अपना काम कर ,बड़ा आया पत्रकार ।तेरे में दम है तो तू खुद ही तहकीकात कर ले और उन लोगों ने मुझे वहां से भगा दिया ।मुझे उस आश्रम के युवकों और युवतियों को देखकर बड़ी दया आ रही थी ।जो नशीली दवाओं के आदी बन चुके हैं ।उनकी जिंदगी एक जिंदा लाश बन चुकी है ।

सुमित -राजन ,कल यह खबर हमारे अखबार में छप जानी चाहिए और इस खबर को तुम ही लिख कर छापोगे ।

मैं बोला -सच्चाई को समाज के सामने लाने के लिए मैं अपने खून की आखिरी बंूद तक लड़ूगा ।

सुमित -मुझे तुमसे ये ही उम्मीद थी राजन ।

दूसरे दिन सच की परछाईमें वह खबर छपी ।जिसमें मैने लिखा था -आज के युवक युवतियों का भविष्य खतरे में है जो नशीली दवाओं को सेवन करके अपना भविष्य बिगाड़ रहे हैं और अपराधी लोग उन्हें इस नशे का आदी बनाकर उनसे नाजायज धंधा करवाते हैं ।एक ऐसा ही नाजायज धंधा पनाहनामक आश्रम में चल रहा है ।

यह खबर पूरे शहर में फैल गयी ।फिर सुमित और मुझे फोन आया -यह खबरें छापना बंद कर दो वरना कभी भी लिखने के काबिल नहीं रहोगे ।

मैने पूछा कौन हो तुम जो मुझे इस तरह की धमकी दे रहे हो ?गुप्त फोन करने वाला बोला जानकर क्या करोगे ।तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते ।सुमित ने मुझसे फोन ले लिया और उसे डांटते हुए फोन पर कहा तुम्हें डर है कि हम तुम्हारा बहुत कुछ बिगाड़ सकते है इसीलिए तो तुम फोन पर धमकी दे रहे हो । इतना सुनते ही उसने फोन पटक दिया ।फिर सुमित मुझसे (राजन) बोला दोस्त हम उन दरिंदों को नहीं छोड़ेंगे जो हमारे देश की नस्लों को बर्बाद कर रहे हैं ।चाहे कुछ भी हो जाये उन दरिंदों का ढूंढना ही होगा ।

फिर हमें धमकी भरे फोन आने लगे ।

सुमित -सबसे पहले हमें उस आदमी का पता लगाना है जो पनाहआश्रम में गुप्त दान करता है और दान की आड़ में वह अपने नाजायज धंधे चला रहा है ।

मैं (राजन) बोला -दोस्त सुमित ,अनाथ आश्रम की वार्डन तो हमें कुछ नहीं बतायेगी ।क्यों न हम आश्रम के युवक व युवतियों से पूछे जो इन नशीली दवाओं का शिकार है ?

सुमित बोला -ये ही ठीक रहेगा ।

सुमित और मैं रात को पनाह आश्रम की दीवार फांदकर अंदर पहुंचे ।वहां हमने एक दूसरी मंजिल खुली खिड़की देखी । हम उस खिड़की से अंदर पहुंचे , हमने देखा कि एक युवक वहां रो रहा था ।

सुमित ने उससे पूछा - भाई क्यों रो रहे हो ?

हमें देखकर वह एकदम घबरा सा गया । और बोला -आप लोग कौन हैं ?

सुमित बोला -हम लोग पत्रकार हैं तथा हम सच की परछाईअखबार से आये हैं ।सच की परछाई का नाम सुनते ही उसकी आंखों में चमक सी आ गयी ।

वो बोला -सच की परछाई में अभी कुछ दिन पहले हमारे अनाथ आश्रम के खिलाफ जो छपा था वह एकदम सच था और हमें इस बात की खुशी है कि आखिर कोई तो इन नाजायज धंधो के आवाज उठाने वाला है ।

सुमित ने पूछा -आखिर तुम रो क्यों रहे हो ?

वो बोला -मेरा नाम जमशेद है और नशीली दवाइयों का धंधा करने वालों ने कल मेरे भाई को जान से खत्म कर दिया । उसी की याद में मैं आंसू बहा रहा था ।

सुमित ने पूछा -उन लोगो ने तुम्हारे भाई को क्यों मारा ?आखिर उसका गुनाह क्या था ?

जमशेद -उसका गुनाह यही था कि वह गुनाहगार नहीं बनना चाहता था ।वो लोग चाहत थे कि मेरा भाई भी उनके साथ मिलकर नशीली दवाओं का धंधा करे ।मगर उसक जमीर ने यह बुरा काम करने से मना कर दिया ।इसीलिए उन लोगों ने उसकी जान ले ली । अब मैं उन लोगों से अपने भाई की मौत का प्रतिशोध लूंगा ।

सुमित -हमें तुम्हारे भाई की मौत का बड़ा दुख है ।ठीक है ,जमशेद अब चलते हैं ।हम कल फिर आयेंगे। तुम हमें उस जगह ले चलना जहां गुप्त दान की आड़ में नाजायज धंधा होता है ।

जमशेद -सुमित साहब ,वह कुछ लोंगो को गुप्त दान करेगा और उस दान में साडि़या व युवकों के कपड़े होंगे ।साडि़यों की तह के अन्दर अफीम होगी और युवकों की कपड़ो की जेब में गांजा और हेरोइन होगी , उस गुप्त दान की वार्डन व अध्यक्ष ग्रहण करते हैं ।

दूसरे दिन सुमित ठीक उसी वक्त उस जगह पहुंचा जो समय जमशेद ने उसे दिया था ।मैं भी पूरी तैयारी के साथ सुमित के साथ था ।

जमशेद बोला -नीलम नामक जगह पर वो लोग गुप्त दान करेंगे ।

मैं और सुमित उसके साथ चल पड़े ।हमारे पास वीडियो कैमरा था क्योंकि हमें सबूत सहित उन लोगों की पोल खोलनी थी ।

हम तीनों नीलम जगह पर पहुंचे ।वहां हमने जो देखा वो देखकर हमारी आंखे फटी की फटी रह गयी क्योंकि हमारी आंखो के सामने संसद सदस्य राघव और राणा थे ।जो गुप्तदान की आड़ में नाजायज धंधे कर रहे थे ।

मैने (राजन) तुरंत वीडियो कैमरा ऑन कर दिया ।

इन लोगों ने हमें नहीं देखा था क्योंकि हम एक दीवार के पीछे छिपे थे जिसमें एक बड़ा छेद था जिसमे हम यह सब देख रहे थे राणा और वीडियो फिल्म उतार रहे थे ।राणा ने वार्डन को एक चमकती हुई साड़ी दी ।

राघव के सेक्रेटरी ने साड़ी की तह को खोला और उसमें अफीम के पैकेट चिपका दिये और इस तह की काफी साडि़यां वार्डन को दीं ।

राघव का सेक्रेटरी वार्डन से बोला -जरा ध्यान से जाना मैडम ।आजकल हमें सच की परछाई वालो से बड़ा खतरा है ।कहीं उनकी सच की परछाई हमारे धंधे पर पड़ गई तो हम सब शमशान की ओर चले जायेंगे ।

फिर उसने पनाह अनाथ आश्रम के अध्यक्ष को बुलाया और राघव ने उसे युवकों के कपड़े दान करते हुए कहा -इसमें हरोइन और गांजा है , अध्यक्ष साहब ।आप भी जरा ध्यान रखना कहीं शर्ट और पैंट की जेब से माल न गिर जाये ।

मैंने (राजन) पूरी तरह से गुप्तदान देने की आड़ में उस नाजायज धंधे की फिल्म उतार ली थी ।तभी सुमित और मैने एक नया चहेरा देखा ।जो पुलिस की वर्दी में था ।उसका नाम नागेश्वर त्यागी था ।जो एक पुलिस अध्यक्ष है और वह अपनी पुलिस की जीप में वह गैर कानूनी कपड़े रखवा रहा था जो राघव व उसके सेक्रेटरी ने दिये थे ।

नागेश्वर -राजा साहब ,इस बार मेरा हिस्सा बीस फीसदी होगा ।

राणा -नागेश्वर ,उतना ही खाओ जितना हजम हो जाये ।

नागेश्वर -यह पेट तो पापी है ,कभी भरता ही नहीं और फिर आजकल सच की परछाई ने तो हमें पकड़ने के लिए जाल बिछाया हुआ है ।कदम-कदम पर खतरा है इसलिए बड़ी हाशियारी से यह माल पनाहअनाथ आश्रम ले जाना पड़ता है ।

राणा -ओह ,तभी तुमने अपने दाम बड़ा दिये है ?

जमशेद -ये ही नागेश्वर त्यागी है जिसने मेरे भाई की गोली मारकर हत्या की थी ।मेरे पूछने पर उसने यह कहा कि तेरा भाई एक अपराधी था जो नशीली दवाओं का धंधा करता था और उसके पास से हेरोइन ,अफीम ,गांजा जैसी नशीली दवाएं बरामद हुई हैं ।हमने उसे सबूत सहित गिरफ्तार किया था ।पुलिस कस्टडी से वह भाग रहा था इसीलिए उस पर गोली चलानी पड़ी और इस तरह तेरा भाई मारा गया ।

सुमित -तुम ंिचंता मत करो ,जमशेद भाई ,हम तुम्हारे भाई के कातिलों को जरूर सजा दिलवायेंगे ।

मैं (राजन) बोला -अब हमें नागेश्वर की जीप का पीछा करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि वह इन नशीली दवाओं का धंधा किन-किन युवक-युवतियों से कराता है ।

फिर हम लोग बड़ी सावधनी से नागेश्वर की जीप का पीछा करने लगे ।हम उसकी जीप का पीछा करते हुए पनाहअनाथ आश्रम पहुंचे जहां नागेश्वर उन दान दिये हुये कपड़ों को अपनी जीप से निकलवाकर आश्रम के अंदर रखवा रहा था ।हम तीनों गुप्त रास्ते से अनाथ आश्रम पहुंचे जहां हमने देखा अनाथ आश्रम के सब युवक व युवतियां एक कमरे में जमा होकी बैठे हुए थे ।

थोड़ी देर में हमें जूतों की आहट सुनाई दी ।वह आहट नागेश्वर त्यागी की थी ।मैं ,सुमित और जमशेद एक कोने के पीछे छिप गये ।मैंने वहां अपना वीडियो कैमरा सैट किया और फिर उसे फोकस किया जो नागेश्वर त्यागी उन युवक युवतियों को राघव व राणा के दान दिये हुये कपड़े बांट रहा था ।

नागेश्वर चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोला -वो जमशेद कहां है ?जिसका भाई अभी कुछ दिन पहले मेरे हाथों बेमौत मारा गया ।

जमशेद हमारे पास बैठा हुआ एकदम घबरा गया ।

सुमित -घबराओं मत जमशेद ,हम तुम्हारे साथ हैं ।

नागेश्वर -वार्डन कहां हैं ?वो हरामी का पिल्ला तो मुझे आजकल दिखाई नहीं दे रहा है ।

वार्डन -सर ,वो आजकल अपने भाई की मौत के गम में जरा पगला सा गया है ।इसलिए शायद अपने कमरे में बैठा रो रहा होगा ।

नागेश्वर -चलो ठीक है ,एक दो दिन उसे शोक मनाने दो और ध्यान रहे वह किसी को भी असलियत न बता पाये ।

वार्डन -हुजूर ,किसी की क्या मजाल ,जो आपके खिलाफ एक शब्द भी बोल सके ?

नागेश्वर -वार्डन आज कम्मों को रात को भेज देना ।

वार्डन -जो हुकुम सरकार ।

कम्मों का नाम सुनते ही जमशेद का मुंह गुस्से से लाल हो उठा ।

सुमित -यह कम्मों कौन है ?

जमशेद -कम्मों मेरी प्रेमिका है ,मैं अपनी जान से ज्यादा उससे प्रेम करता हूं ।मैं उसकी असमद बचाने के लिए अपनी जान भी दांव पर लगा सकता हूं ।

जमशेद एकदम कोने से निकला ।हमनें बहुत रोका लेकिन वह नहीं रूका ।

सुमित मुझसे बोला -हमें चुप ही बैठकर इस नागेश्वर व वार्डन के कुकर्मों की वीडियो फिल्म बड़ी सावधानी से उतारनी है ।इसलिए हमें अभी आगे नहीं जाना चाहिए वरना इन दरिंदों के खिलाफ हम कोई भी सबूत इकट्ठा नहीं कर पायेंगे ।आज हमारे हाथ राघव व राणा के चेहरे से शराफत का नकाब उतारने का सबूत है और यह मौका हमें फिर कभी नहीं मिलेगा ।

मैं वहां पर घटित एक-एक दृश्य की वीडियो फिल्म उतार ही रहा था कि तभी जमशेद तेजी से आगे बढ़ते हुए गया और उसने नागेश्वर त्यागी का गिरेबान पकड़ लिया और बोला -कुŸ,हरामजादे , आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूगा और साथ ही वार्डन को भी नहीं ।

जमशेद ने अपनी जेब से चाकू निकाला और नागेश्वर के साथ खड़ी वार्डन के पेट में चाकू घोंप दिया । चाकू लगते ही वह जमीन पर गिर गई और उसने दम तोड़ दिया ।फिर उसने अपने चाकू से नागेश्वर पर वार किया ।चाकू नागेश्वर के बायें हाथ पर लगा ,नागेश्वर ने बड़ी फुर्ती से अपने दाहिने हाथ से जेब से रिवाल्वर निकाली और दो गोली जमशेद के सीने में उतार दी ।गोली लगते ही जमशेद जमीन पर गिर पड़ा। गोलियों की आवाज सुनते ही अनाथ आश्रम का अध्यक्ष वहां आ पहुंचा ।

वह बोला -नागेश्वर साहब ,यह आपने क्या किया ?अभी कुछ दिनों पहले बड़ी मुश्किल से इसके भाई के केस को दबाया है और अब फिर एक और खून ?और यह क्या ?वार्डन भी आज मौत की नींद सो रही हैं?

नागेश्वर -अध्यक्ष साहब ,इसी जमशेद ने वार्डन को अपने चाकू से कत्ल किया है और यह हरामजादा मुझे भी मारना चाहता था लेकिन इससे पहले ही मैने इसे मौत की नींद सुला दिया ।अब मैं पुलिस एन्काउंटर केस बनाकर इस जमशेद के कत्ल को दबा दूंगा ।मैं यह साबित कर दूंगा कि मैने अपनी जान बचाने के लिए इस जमशेद पर गोली चलायी है और इस तरह यह केस यहीं दफन हो जायेगा ।

जमशेद के शरीर में अभी तक जान बाकी थी ।वह लड़खड़ाते हुए उठा और उसने खून से सना चाकू अध्यक्ष के पेट में उतार दिया ।चाकू लगते ही अध्यक्ष जमीन पर गिर पड़ा और उसने भी दम तोड़ दिया । फिर जमशेद नागेश्वर की ओर लपका ।नागेश्वर ने अपने को बचाते हुए तीन गोलियां जमशेद के सीने में उतार दी गोलियां लगते ही जमशेद ने दम तोड़ दिया ।

नागेश्वर त्यागी (धमकी देते हुए) -तुममें से किसी ने कुछ नहीं देखा ,और तुम सब युवक-युवतियों को यही बयान देना होगा कि पनाह के अध्यक्ष और वार्डन ने अपनी जान बचाने के लिए मैने इस जमशेद को मारा है ।वार्डन और अध्यक्ष को तो मैं बचा न सका लेकिन याद रहे अगर किसी ने मेरे खिलाफ बयान दिया तो मैं उसे जिंदा जला डालूंगा ।और इतना कहने के बाद नागेश्वर वहां से चला गया ।

हमने अपने वीडियो कैमरे में इस पूरे हादसे की फिल्म उतार ली थी लेकिन इस बात का अफसोस था कि हम जमशेद को न बचा सके ।यदि हम उसे बचाने की कोशिश करते तो सारे सबूत मिट जाते ।

नागेश्वर के जाने के बाद हम उन युवक-युवतियों के पास गये जो राणा ,राघव और नागेश्वर के जुल्मों के शिकार थे ।

सुमित ने वहां मौजूद युवकों में से एक युवक को अपने पास बुलाया और पूछा -भाई ,तुम्हारा नाम क्या है?

वो बोला -रफीक ।

सुमित ने पूछा -यह दवाओं को कहां सप्लाई करते हो ?

थोड़ी देर रफीक खामोश रहा ।लेकिन जमशेद की मौत का दृश्य देखकर उन युवक-युवतियों की आंखो में बदले की भावना साफ चमक रही थी ।

सुमित के काफी जोर देने के बाद रफीक बोला -यह नशीली दवाएं हमसे काले बाजार में सप्लाई करवायी जाती हैं और बदले में इस नाजायज धंधे को करने वालों को एक मोटी रकम मिलती है ।

रफीक -सुमित साहब यह नशीली दवाएं रीठामंडी में सप्लाई करवायी जाती हैं और चोरी छिपे यह नशीली दवाएं वहां बेची जाती हैं ।आजकल बूढ़ा और जवान दोनों ही इन नशीली दवाओं को खरीदने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं और इनका सेवन करके लाखों युवक बर्बाद हो रहे हैं ।

सुमित -ओह , आई सी ।इसका मतलब यह है कि रीठा मंडी में गेहूं अनाज के व्यापार की आड़ में यह नाजायज धंधा चल रहा है और इस बात की आज तक किसी को भी कानों-कान खबर न हो सकी ।

सुमित ने उन सब युवक-युवतियों का बयान नोट किया और उस बयान के नीचे उन सभी के दस्तखत करवा लिये और उन्हें दिलासा दिया कि हम सब मिलकर तुम्हें इन बेरहम लोगों की कैद से आजाद करायेंगे ।

सुमित मुझसे बोला -यदि यह सारे सबूत हम पुलिस स्टेशन में जमा कर दे ंतो यह सारे सबूत मिट जायेंगे क्योंकि पुलिस खुद इस नाजायज धंधे में मुजरिमों के साथ है और राघव ,राणा व नागेश्वर भी पकड़े जायेंगे इतना कहने के बाद सुमित ने मुझे तुरंत यह खबर छापने के लिए कहा ।

रातों-रात हमने यह पूरी वारदात की खबरें अखबार में छाप दीं लेकिन हमने राघव ,राणा और नागेश्वर का नाम गुप्त ही रखा क्योंकि हम जानते थे कि यदि हम सीधे ही उनका नाम इस वारदात से सम्बन्धित छापेंगे तो वे तीनों दरिंदे आश्रम के युवक -युवतियों को मौत के घाट उतार देंगे और वे तीनों सारे सबूत मिटा देंगे ।दूसरे दिन यह खबर हमारे समाचार ,पत्र öारा पूरे शहर में आग की तरह फैल गयी ।

राघव  ,राणा और नागेश्वर ने जब आश्रम व रीठामंडी में चल रहे नशीली दवाओं के धंधे की खबर अखबार में पढ़ी तो उनके चेहरे से रंग ही उड़ गये ।वो लोग सोच रहे थे कि कल तक जिस नाजायज धंधे का किसी को पता नहीं था , वह अचानक अखबार में कैसे छप गई ।यह खबर सच की परछाई में छपी थी इसलिए राघव समझ चुका था कि यह सुमित का ही काम है ।वह हमारे राज जान चुका है ।

दूसरे दिन राधिका प्रेस में आयी और बधाई देते हुए बोली -राजन भइया ,बधाई हो ,तुम्हें भी बधाई ,सुमित। आज तुम दोनों ने पनाह आश्रम व रीठा मंडी में होने वाले नाजायज धंधे की पोल खोल दी ।लेकिन मुझे यह बात समझ में नहीं आ रही है सुमित की आखिर तुमने उन लोगों के नाम क्यों नहीं छापे जो यह नशीली दवाओं का धंधा आश्रम व रीठामंडी में चला रहे हैं ?

सुमित बोला -यदि मैं तुम्हें सच्चाई बताऊंगा तो तुम मुझ पर विश्वास नहीं करोगी ।लेकिन तुम एक कर्तव्यनिष्ठ भारतीय नारी हो इसलिए आज मैं तुम्हें सबूत सहित उन गुमनाम लोगों के चेहरे दिखाऊंगा जो यह नशीली दवाओं का धंधा करते हैं ।

सुमित ने अपनी मां को भी प्रेस में बुलवा लिया ।

फिर सुमित राधिका से बोला ,राधिका ,इन सब नशीली दवाओं की तस्करी के पीछे संसद सदस्य राघव ,राणा और नागेश्वर का हाथ है ।

राधिका -यह तुम क्या कह रहे हो सुमित ?मेरे डैडी ऐसा नहीं कर सकते ।

शारदा -बेटी ,राघव और राणा शैतान से भी ज्यादा बदतर हैं ।

राधिका -मां जी ,यह आप क्या कह रही हैं ?ऐसा कभी नहीं हो सकता ।

शारदा -बेटी ,मैं बिल्कुल ठीक कह रही हूं ।आज से कई वर्षों पहले तुम्हारे पिता राघव और उसके दोस्त राणा ने मेरे साथ बलात्कार किया था ।

राधिका -क्क्क्या ?ऐसा नहीं हो सकता ।

सुमित -ऐसा ही है ।और तुम्हें सबूत चाहिए ?यह देखो यह वीडियो कैसेट सबूत है तुम्हारे बाप की काली करतूतों का ।

इतना कहते ही सुमित ने आफिस में रखे वीसीआर में कैसेट डालकर प्ले करके टीवी ऑन कर दिया ।वह वीडियो फिल्म देखकर राधिका के चेहरे का रंग उड़ गया ।अब उसे विश्वास हो चुका था कि राघव और राणा दोनों हो खतरनाक दरिंदे हैं ।

वह बोली -तुम ठीक कह रहे थे सुमित ।आई एम सॉरी ।और अब मैं इन देश के मुजरिमों को कानून के हवाले करने में तुम्हारी पूरी मदद करूंगी ।मैं एक भारतीय स्त्री हूं और दुष्टों का संहार करने के लिए एक नारी चंडी बन जाती है और एक भारतीय नारी अपने देश के लिए अपने बाप को भी नहीें बक्शेगी ।

सुमित -अब हमें राघव ,राणा और नागेश्वर के खिलाफ ज्यादा सबूत इकट्ठे करने हैं ताकि बचने के लिए उनके पास जमीन भी न बचे ।

राधिका -ठीक है सुमित ।जैसा तुम चाहो मैं सबूत इकट्ठा करने में तुम्हारी मदद करूंगी ।

सुमित -क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे पिताजी से मिलने और कौन-कौन आता है ,जो हमारे देश का नहीं बल्कि विदेशी हो?

राधिका -मेरे पिताजी से मिलने कभी-कभी मजूमस्तान से एक चीफ आता है और जिन्हें डैडी अपने एकांत कक्ष में ले जाकर बात करते हैं ।

साुमित को कुछ शक हुआ और बोला -ठीक है राधिका ,मैं तुम्हें अपना यह वीडियो कैमरा दे रहा हूं ,और तुम इस वीडियो कैमरे से मजूमस्तान के चीफ व अपने डैडी के बीच हुई बातचीत की फिल्म उतार कर हमें दे देना ।और ध्यान रहे इसमें दो घंटे की फिल्म पूरी हो चुकी है और एक घंटे की रील बाकी है ,और यह ऐसा सबूत है जो गुनाहगारों को उनके किये गये कुकर्मों की सजा दिलवायेगा इसलिए इसे बड़ी सावधानी से रखना ।

राधिका -ओ के सुमित ,मैं चीफ के आने के बाद ही अब यहां आऊंगी ।

राधिका अपने घर जाती है और राघव को बड़ी नफरत भरी निगाहों से देखती है ।

राघव -बेटी ,आज बहुत देर लगा दी ,कहां गयी थी ?

राधिका -पिताजी ,आज मैं सुमित से मिलने गयी थी ।

राघव (गुस्से से) -मैने तुम्हें सुमित से मिलने के लिए मना किया था ,फिर तुम उससे क्यों मिलती हो ?क्या वह तुम्हारी बराबरी का है ?

राधिका -डैडी ,सुमित उससे बहुत ऊंचा है ।

राघव -यह क्या बक रही हो ?

राधिका -मैं बिल्कुल सच कह रही हूं डैडी ।

राघव -तुम क्या सच बोलोगी ?तुम भी उसके बराबर की हो और तुम एक अनाथ हो ।तुम मेरी बेटी नहीं हो मैने तुम्हें पनाह अनाथ आश्रम से गोद लिया था ।

राधिका (रोते हुए) -कौन है मेरे मां- बाप ?

राघव -तुम न जाने किस नाजायज की औलाद हो जिसने तुम्हें पैदा करके एक अनाथ आश्रम में छोड़ दिया ।

राधिका -तो फिर आपने मुझे अपनी बेटी बनाकर क्यों रखा ?मरने देते वहीं ।

राघव -तुम्हारी शक्ल मेरी बेटी से मिलती-जुलती है ।मेरी बेटी तो जब आठ साल की थी तब उसे कैंसर हो गया था और इसी बीमारी के कारण वह मर गई ।एक दिन अनाथ आश्रम में कुछ कपड़े दान करने गया था ।वहां मैंने तुम्हें तो मुझे तुममें मेरी बेटी की झलक दिखाई दी इसलिए मैने तुम्हें गोद ले लिया और अपनी बेटी की तरह पाला ।लेकिन मुझे क्या पता था कि आज तुम मेरे ही दुश्मनों के साथ मिलकर मेरी ही गर्दन पर छुरी चलाओगी ।तुम मेरी कुछ भी नहीं हो राधिका ।

राधिका -अच्छा किया जो आपने मुझे यह सब बता दिया ।आज से मैं आपकी बेटी नहीं और आप मेरे बाप नहीं ।आपका मेरा न कोई रिश्ता था और न कोई रहेगा ।

इतना कहते ही राधिका रोते हुए अपने कमरे में चली गयी ।राधिका ने वीडियो कैमरे को महफूज जगह में छिपा दिया और जिस दिन का उसे इंतजार था वो दिन आ गया ।

मजूमस्तान का चीफ संसद सदस्य राघव से मिलने आया ।राघव उसे अपने एकांत कक्ष में ले गया और राघव अपने नौकर से बोला किसी को भी अंदर न आने दिया जाये ।

नौकर -जी साब ।

अचानक राधिका की नजर राघव क एकांत कमरे के रोशनदान पर पड़ी जो खुला हुआ था ।उसने रोशनदान में वीडियो को फिट कर दिया और वहां अपने बैठने की जगह बना ली ।राघव और चीफ की बातें सुनकर उसकी आंखे फटी की फटी रह गयीं ।उसने सुना कि चीफ रक्षा मंत्रालय के राज जानने के विषय में कह रहा था । वह कान लगाकर सुनती हैं ।

चीफ -राघव साहब ,हमें आपके देश के रक्षा मंत्रालय व ऐसे खुफिया अड्डों की एक फिल्म चाहिए जिसे उड़ाकर हम तुम्हारे देश को कमजोर कर सके और फिर तुम्हारे देश में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी ।और आतंकवाद को रोकने के लिए तुम्हारा रक्षा मंत्रालय कुछ न कर सकेगा ।हम रक्षा मंत्रालय के उन खुफिया स्थानों को उड़ा देंगे जहां तुम्हारे देश के आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए एक फौज तैयार की है।हम रक्षा मंत्रालय के उन खुफिया अड्डों की तस्वीरें लेकर उन्हें बमों से उड़वा देंगे ।जिससे तुम्हारे देश की सिक्योरिटी कमजोर पड़ जायेगी और एक बार फिर तुम्हारा देश हमारा गुलाम बन जायेगा ।

राघव -हम पैसे के लिए वक्त आने पर कुछ भी कर सकते हैं ।लेकिन यह काम बड़ा मुश्किल है इसलिए इस बार रकम आपको पहले से ज्यादा देनी होगी ।

चीफ -ओ के राघव साहब , हमें आपकी हर बात मंजूर है ।तो सौदा दस करोड़ में पक्का हुआ ।मैं पांच करोड़ रूपये एडवांस दे रहा हूं ।बाकी के पांच करोड़ रूप्ये काम होने के बाद तुम्हें दे दिये जायेंगे ।

राघव -ओ के चीफ साहब ,आपका काम हो जायेगा ।

इसके बाद चीफ वहां से चला गया ।राधिका ने चीफ और राघव के बीच हुई सब बातों को अपने वीडियो कैमरे में रिकार्ड कर लिया ।

थोड़े दिनों बाद राधिका हमारे प्रेस में आई और उसने सुमित को वीडियो कैमरे के साथ कैसेट दे दिया । जब सुमित और मैने (राजन) वह कैसेट वीसीआर में लगाकर देखा तो हमें विश्वास नहीं हो रहा था राघव इतना बड़ा देश का गद्दार है ।

स्ुमित ने राधिका से कहा -राधिका ,अभी यह सबूत हम गुप्त रखेंगे क्योंकि सबसे पहले हमें राघव से वह फिल्म लेनी होगी जो वह चीफ को देने वाला है ।

राधिका बोली -अब मेरे अंदर अपने डैडी के कुकर्म देखने की हिम्मत नहीं है ।असल में राघव मेरे डैडी नहीं हैं ,बल्कि उन्होंने मुझे अनाथ आश्रम से गोद लिया था ।

सुमित -यह बात मैं बहुत पहले से जानता था कि तुम राघव की अपनी बेटी नहीं हो ।

राधिका ने पूछा -तुम्हें यह सब कैसे पता ?

सुमित -जिस दिन राघव और राणा के साथ हमारे घर आयी थी ,मैने  उसी दिन से राघव के जीवन के विषय में एक-एक जानकारी हासिल करनी शुरू कर दी थी और जानकारी हासिल करते हुए मुझे पता चल चुका था कि तुम राघव की बेटी नहीं हो ।

राधिका -आखिर तुम्हारी राघव और राणा के साथ क्या दुश्मनी है ?

सुमित -मैं उस दरिंदे की नाजायज औलाद हूं ।उन कमीनों ने मेरी मां के साथ बलात्कार किया था और मैने कसम खाई कि मैं उन दरिंदे से अपनी मां के जख्मों का हिसाब लूंगा ।

राधिका -मैने उस फिल्म को बहुत तलाश किया लेकिन वह फिल्म मुझे नहीं मिली इसलिए तुम भेष बदलकर हमारे घर आकर उस फिल्म को तलाश करना ।

सुमित -ठीक है राधिका ।तुम मुझे वह वक्त बताओ जब राघव घर पर नहीं होता ।

राधिका सोचकर बोली -सुबह सात बजे से लेकर नौ बजे तक राघव घाड़े की सवारी करता है इसलिए तुम सात बजे मेरे घर आ जाना ।

सुमित -ओ. के राधिका ।मैं सात दिन बाद ठीक सात बजे तुम्हारे घर पहुंच जाऊंगा ।

सुमित सात दिन बाद राधिका के घर भेष बदलकर पहुंचा । घर का कोई भी नौकर उसे पहचान न सका। उसने राधिका के पूरे घर की तलाशी ली मगर उसे कुछ नहीं ।वह सोच रहा था कि आखिर फिल्म को जमीन निगल गई या आसमान खा गया ।आखिर में वह राघव के बाथरूम में गया । वहां पानी की टंकी के अंदर वाटर प्रूफ डिब्बे में उसे वह फिल्म मिल गई ।फिल्म मिलते ही वह खुशी से नाच उठा ।

उसने वापस अपने घर आकर उस फिल्म को डेपलप किया और डेवलप करने के बाद उसने देखा  िकइस फिल्म मे रक्षा मंत्रालय के खुफिया अड्डों की तस्वीरें हैं ।सुमित के दिल में लगी आग कुछ शांत हुई ।वह सारे सबूत मुख्यमंत्री को देने का निश्चय करता है क्योंकि वह जानता है कि मुख्यमंत्री एक नेक व ईमानदार इंसान हैं और उनकी ईमानदारी की कस्में देश खाता है ।उसने वीडियो कैमरा ,उन युवकों व युवतियों के हस्ताक्षर किये गये कागज तथा रक्षा मंत्रालय के खुफिया अड्डों की तस्वीरों को एक सुरक्षित अलमारी में ताला लगाकर रख दिया ।

बृजेश ने सुमित को यह सब रखते हुए देख लिया था ।उसे कुछ संदेह हुआ और उसके मन में पाप आ चुका था ।उसने एक दिन चोरी छिपे सुमित की आलमारी की डुप्लीकेट चाबी से अलमारी को खोल लिया और वीडियो कैसेट ,कागज व रक्षा मंत्रालय की तस्वीरें व उसके निगेटिव अपने पास सुरक्षित रख लिये । घर आकर उसने वीडियो कैसेट देखा और जान गया कि सारा माजरा क्या है ।बृजेश ने राघव को फोन लगाया और बोला -

बृजेश -मि राघव साहब मैं बृजेश बोल रहा हूं ।

राघव -कौन बृजेश ?

बृजेश -तुम शायद मुझे नहीं जानते लेकिन मैं तुम्हें अच्छी तरह से जानता हूं ।

राघव -क्या मतलब तुम्हारा ?

बृजेश -मतलब साफ है ।मुझे पांच करोड़ रूप्ये चाहिए और वो रूप्ये आप मुझे देंगे ।

राघव -पागल हो गया है क्या ?

बृजेश -पागल तो तुम मेरी बात सुनकर हो जाओगे । न न जानी फोन मत रखना वरना हमेशा के लिए काल कोठरी में गुम हो जाओगे ।जरा मेरी ध्यान से सुनो ।राघव साहब ,तुमने जो अनाथ आश्रम में नशीली दवाओं का धंधा चलाया हुआ है ,वहां के युवकों और युवतियों को अपने जाल में फंसाया हुआ है और तुमने मजूमस्तान के चीफ से  अपने देश के खुफिया अड्डो की तस्वीरें बेचने की जो रकम ली है वो सब एक वीडियो में रिकार्ड है ।जिसकी एक कॉपी मैं तुम्हारे पास भेज दूंगा और यह ही नहीं बल्कि मैं एक फोटो स्टेट कॉपी भी भेजूंगा जिसमें उन युवकों व युवतियों के हस्ताक्षर हैं और तुमने अपना गुलाम बनाया है ।

राघव -यह सब सबूत तुम्हारे हाथ कैसे लगे ?अगर तुम मुझे यह राज बता दो तो मैं तुम्हें एक करोड़ रूपये और दूंगा ।

बृजेश -ठीक है राघव साहब ,बता देते हैं तुम्हारे खिलाफ इन सब सबूतों को सच की परछाई के संपादक मि सुमित ने इकट्ठा किया है ताकि वह दुनिया के सामने तुम्हारा असली चेहरा ला सके ।

राघव -ओह ,तो सुमित ने मेरे खिलाफ यह साजिश रची है ?लेकिन उसे यह पता नहीं कि वह अपने जाल में खुद ही कैद हो जायेगा ।ठीक है बृजेश ,मै तुम्हें छह करोड़ रूप्ये देने को तैयार हूं ।बदले में तुम मुझे हमारे खिलाफ वो असली वीडियो कैसेट तथा रक्षा मंत्रालया के खुफिया अड्डो की तस्वीरें व उसके निगेटिव मुझे दे देना ।मिलने की जगह मैं तुम्हें बता दूंगा ,तुम मुझे अपना फोन नम्बर दे दो ।

बृजेश -ठीक है राघव साहब ,हम आपको अपना फोन नम्बर दे देते है ।लेकिन याद रहे ,अगर कोई चालाकी करने की कोशिश की तो कुछ भी करने के लायक नहीं रहोगे ।

इसके बाद बृजेश ने फोन रख दिया ।फिर राघव ने राणा को फोन लगाया ।

राघव -हैलो मिस्टर राणा ,मैं राघव बोल रहा हूं ।

राणा -कैसे फोन किया राघव तुमने ?

राघव -यार मेरी तो रातों की नींद उड़ गयी और तुम पूछ रहे हो कि कैसे फोन किया ।

राणा -ऐसा क्या हो गया ?

राघव -यार , तुम्हारी और मेरी काले धंधे की सुमित ने वीडियो फिल्म बना ली है ।मैं तुम्हारे पास वीडियो कैसेट भिजवा रहा हूं और साथ में रक्षा मंत्रालय के खुफिया अड्डो की तस्वीरें भी उसके हाथ लग चुकी हैं हम तो बेमौत मारे जायेंगे ।

राणा -क्या वो फिल्म भी उसके हाथ लग गयी ?अब हमें मजूमस्तान के चीफ को क्या जवाब देंगे ?अगर फिल्म नहीं मिली तो वो लोग तो हमें जिंदा दफन कर देंगे ।क्योंकि चीफ हमें पांच करोड़ रूपये दे चुका है जिसका आधा हम डकार चुके है ।किसी भी कीमत पर वह वीडियो कैसेट व रक्षा मंत्रालय के फोटो व निगेटिव हासिल करके उस सुमित को खत्म कर दो तथा जो हमसे छः करोड़ रूपये मांग रहा है साथ में उसे भी कफन उढ़ा दो वरना वो हमें जीवन भर गिद्ध की तरह नोचता रहेगा।अच्छा अब मैं फोन रखता हूं।

  राघव ने नागेश्वर त्यागी को फोन करके सारी बातें बता दी ।नागेश्वर त्यागी ने पूरी स्थिति पर गौर करने के बाद एक योजना राघव व राणा को बता दी और बोला इस योजना के तहत हम अपनी जाने बचा सकते हैं ।इसके बाद नागेश्वर पनाह अनाथ आश्रम गया और वहां के युवक व युवतियों से बोला -अब तुम्हें एक नया काम काम करना होगा ।उनमें से एक बोला -अब कैसा काम करना होगा हमें ?

  नागेश्वर -तुम लोगो को सच की परछाई के संपादक सुमित के खिलाफ गवाही देनी होगी ।

उनमें से एक बोला -हम यह काम नही कर सकते ।

नागेश्वर -हरामजादों ,अगर तुम लोगों ने मेरा कहा न माना तो मैं तुम्हें जिंदा जला दूंगा ।

इसके बाद नागेश्वर ने एक पूरी रिपोर्ट तैयार की जिसमें उसने लिखा था -हम पनाह अनाथ आश्रम के बेसहारा युवक युवतियां हैं तथा सच की परछाई के संपादक ने हमारा शोषण किया और अध्यक्ष ने उसका विरोध किया तो उसने वार्डन व अध्यक्ष ने उसका विरोध किया तो उसने वार्डन ,अध्यक्ष का खून कर दिया।

अनाथ बेसहारा और मौत के खौफ के कारण आश्रम के युवक व युवतियों ने डर के मारे उस झूठी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिये ।

अब नागेश्वर को सुमित को गिरफ्तार करने का वारंट मिल चुका था ।इसके बाद नागेश्वर वारंट लेकर सुमित के घर गया ।

नागेश्वर ने सुमित के घर के दरवाजे पर दस्तक दी ।तभी थोड़ी देर में सुमित बाहर आया और नागेश्वर को देेखकर आश्चर्य में पड़ गया ।

सुमित ने नागेश्वर से पूछा ,नागेश्वर ,यहां कैसे आना हुआ ?

नागेश्वर -सुमित ,हम तुम्हें पनाह आश्रम की वार्डन व अध्यक्ष की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार करते हैं ।

सुमित -क्या सबूत है तुम्हारे पास ?

नागेश्वर -सबूत है उन युवकों और युवतियों की गवाही ,जिन्होंने तुम्हें उनका खून करते हुए अपनी आंखो के देखा है ।

सुमित -ने मुझसे (राजन) कहा -राजन ,जरा वो वीडियो कैसेट नागेश्वर साहब को दिखाना जिसमें असलियत मौजूद है ।

मैने पूरी अलमारी छान मारी न वीडियो मिला और न तस्वीरें नागेश्वर मुस्कुराता हुआ बोला -बहुत ड्रामा हो गया , अब शराफत से मेरे साथ थाने चलो वरना ,,,,

नागेश्वर ने सुमित को गिरफ्तार कर लिया और पुलिस स्टेशन ले गया ।शारदा देवी चिल्लाती रही कि उसका बेटा सुमित बेगुनाह है और उसने कोई खून नहीं किया ,लेकिन उनकी आवाज को सुनने वाला कोई न था ।कानून की कलम दौलत के आगे बिक चुकी थी ।

मैने शारदा देवी को दिलासा दिया ।वह गरजती हुई बोली -नागेश्वर ,यह सब चाल राघव व राणा की है , मैं उन दोनों के विषय में अच्छी तरह जानती हूं ।और मैं भांडा पूरी दुनिया के सामने फोड़ दूंगी ।

नागेश्वर त्यागी ने शारदा देवी की एक बात न सुनी और सुमित को गिरफ्तार करके उसे पुलिस स्टेशन ले गया ।

चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था ।ऐसा लग रहा था मानों मसीहा को एक बार फिर सूली पर लटकाया जा रहा हो ।

पुलिस स्टेशन से नागेश्वर ने संसद सदस्य राघव और राणा को फोन किया -हैलो सर ,मैं नागेश्वर बोल रहा हूं ।मैने सुमित को गिरफ्तार कर लिया है ।अब आप शतरंज की दूसरी चाल चलकर बृजेश को लेकर पुलिस स्टेशन आ जाइये ।

राघव -हम बस थोड़ी देर में उस हरामी बृजेश को लेकर आते हैं ।

राघव ने बृजेश को फोन लगाया ।बृजेश ने फोन उठाया -हैलो ,कोन बोल रहे हो ?

राघव -मैं बोल रहा हूं राघव ।तुमने जो छः करोड़ रूप्ये की मांग की थी उसका इंतजाम हमने कर लिया है ।तुम फौरन वो वीडियो कैसेट की असली कॉपी व तस्वीरें और उनके निगेटिव लेकर मेरे बंगले पर पहुंचो।

बृजेश यह सुनकर बहुत खुश हुआ और वीडियो फिल्म व रक्षा मंत्रालय के खुफिया अड्डो की तस्वीरें तथा हस्ताक्षर किये गये कागज अपने एक काले बैग में रखकर राघव के बंगले पर ले गया ।

राघव -आओ भाई बृजेश ,मैं तुम्हारी बहुत देर से राह देख रहा था ,बैठो ।

बृजेश -मैं बैठने के लिये नहीं आया हूं राघव ,मैं सिर्फ तुम्हारे काले कारनामों की कीमत वसूल करने आया हूं ।

राघव -मैनें तुम्हारे छः करोड़ रूप्ये इस काले बैग में रखे हैं ।तुम मुझे अपना बैग दे दो बदले में यह पैसों से भरा बैग ले लो ।राघव ने हाथ बढ़ाते हुए कहा ।

बृजेश ने एक हाथ से राघव का बैग ले लिया और दूसरे हाथ से अपना बैग उसे दे दिया ।

जैसे ही बृजेश ने राघव का बैग खोला तो उसका चेहरा गुस्से से भर गया ।राघव ने बैग खोला तो उसका चेहरा खिल उठा क्योंकि उसमें वीडियो कैसेट व रक्षा मंत्रालय की खुफिया तस्वीरें व उसके निगेटिव थे व अनाथ आश्रम  के युवक व युवतियों के हस्ताक्षर किये गये कागज थे ।

राघव ने बड़ी फुर्ती से अपनी जेब से रिलावर निकाला और बोला -बृजेश अब तुम्हें मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा ।

राघव अपने काले कारनामों की छिपी दास्तान को भी अपने साथ ले गया और बृजेश को भी अपने साथ पुलिस स्टेशन ले गया ।वहां राणा पहले से मौजूद था ।वह बोला -वीडियो कैसेट तथा खुफिया अड्डो की तस्वीरें व उनके निगेटिव तथा हमारे खिलाफ हस्ताक्षर किये गये कागज तुमने इस हरामजादे स ेले लिये हैं राघव ?

राघव -हां राणा ,आज वो सब मैंने इससे ले लिये हैं और अब हम अपने इन दो दुश्मनों को बड़ी बुरी मौत देंगे ।

इतना कहते ही राघव ने नागेश्वर को इशारा किया -सुमित को यहां ले आओ नागेश्वर ।

नागेश्वर का एक सिफाही सुमित को हथकड़ी लगाकर नागेश्वर के पास ले आया ।

नागेश्वर बोला -अब तुम जाओ ।

सिपाही जी सर ।

सुमित ,राणा और राघव को बड़ी घृणा भरी नजरों से देख रहा था ।

राणा बोला -देखा ,हरामजादे ,हमारी ताकत तुझे कहां से कहां ले आयी ?

सुमित -ईश्वर की ताकत से डर कुत्ते ।

यह सुनते ही नागेश्वर से सुमित को एक कुर्सी से बांध दिया ।राघव बिजली के तार से सुमित को करंट लगाने लगा ।यह दृश्य देखकर बृजेश की आंखो में आंसू आ गये ।और वह अपने किये पर शर्मिन्दा होने लगा और बोला -मुझे माफ कर दो सुमित ,मैने तुम्हारे साथ जो गद्दारी की आज उसकी सजा मुझे मिल रही है ।

सुमित बोला -ये तीन हरामजादे हमारे समाज के लिए कलंक है ।ये तीनों ऐसी दीमक हैं जो देश को अंदर ही अंदर खोखला बना रहे हैं ।

यह सुनते ही राणा ने अपने चाकू से सुमित की एक अंगूली पर वार किया ।सुमित चिल्लाने लगा ।

राघव बोला -तू इन्हीं अंगुलियों से लिखता था ,यह अंगुलियां मुझे पसंद हैं ।

राघव ने राणा के चाकू से सुमित की तीन उंगलियां काट दीं फिर उसके पेट में छुरा घोंप दिया ।राणा ने उसके पेट से छुरा निकाला और उसकी गर्दन पर तीन वार किये ।नागेश्वर ने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाली और चार गोलियां सुमित के सीने में दाग दीं ।सुमित गोली लगते ही मौत की नींद सो गया । फिर बृजेश को बड़ी नफरत भरी निगाहों से देखा और सुमित के पेट से चाकू निकाल कर बृजेश के पेट में घोंप दिया ।बृजेश दर्द के मारे चिल्लाने और तड़पने लगा ।अब उसे अहसास हो चुका था कि सुमित से गद्दारी करने की सजा उसे मिल रही हैं ।तभी पुलिस का सायरन बजा ।सिपाही बोला -सर ,कमिश्नर साहब की गाड़ी आयी है ।

कमिश्नर का सुनते ही नागेश्वर घबरा गया और सिपाही से बोला -जो तुमने देखा है उसके बारे में कमिश्नर को कुछ मत कहना ।बदले में मैं तुम्हें प्रमोशन दूंगा ओर साथ तीन लाख रूप्ये भी दूंगा ।

बृजेश बड़ी मुश्किल से जमीन से उठा और उसने राघव के हाथ से काला बैग छीन लिया और मौके का फायदा उठाकर पुलिस स्टेशन से भागा ।

नागेश्वर चिल्लाया -पकड़ो उसे ,भागने न पाए ।

कमिश्नर साहब गाड़ी से उतर कर अंदर आये ।उन्होंने नागेश्वर से पूछा -कौन था वह आदमी जो लड़खड़ाते हुए कदमों से भाग रहा था ।

नागेश्वर बोला -स रवह सुमित का साथी था ।

कमिश्नर ने पूछा -कौन सुमित ?

नागेश्वर ने उत्तर दिया -सर वह सुमित ,जिसने पनाह अनाथ आश्रम में खून किये थे ।

कमिश्नर -ओह ,आई सी ।क्या तुमने उसे गिरफ्तार कर लिया है ?

नागेश्वर -यस सर ,हमने उसे गिरफ्तार कर लिया और वह यहां से भागने की कोशिश कर रहा था इसीलिए मजबूरन मुझे उस पर गोली चलानी पड़ी ।

कमिश्नर -तुमने ठीक किया ।

नागेश्वर -सर ,यह पुलिस एन्काउटर का मामला है ।

अचानक कमिश्नर की निगाहें राघव व राणा पर पड़ी कमिश्नर ने पूछा -यह क्या ,संसद सदस्य राघव व राणा यहां कैसे ?

नागेश्वर बोला -सर यह दो महान नेता समाजसेवी हैं ,और यहां इस पापी सुमित की लाश देखने आये थे जिसने अपने आपको बचाने के लिये इन दो महान नेताओं पर इल्जाम लगाया था ।

कमिश्नर -ओ के आफिसर ,अब हम चलते हैं तुम फौरन इस सुमित के साथी को जिंदा या मुर्दा गिरफ्तार करके मुझे अपनी रिपोर्ट दो ।

नागेश्वर -ओ के गुडनाइट सर ।

कमिश्नर साहब वहां से चले गये ।

नागेश्वर राणा से बोला -अब हमें उस बृजेश का रातों-रात सफाया करके वह बैग हासिल करना है । जिसके पास हमारे खिलाफ सबूत मौजूद हैं ।

ंअमित की डायरी में लिखी दास्तान को बताते हुए राजन ,अमित से बोला -रात के करीब एक बजे मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई ।

मैं (राजन) बोला-भाई ,कौन है ?इतनी रात को सुमित की गिरफ्तारी के बाद मुझे नींद नही आ रही थी । मैने दरवाजा खोला और देखा खून से लथपथ हांफता हुआ बृजेश मुझसे कुछ कहना चाहता है ।

अटकते हुए बृजेश ने पुलिस स्टेशन में घटित राणा ,राघव और नागेश्वर के जुल्म की कहानी सुना दी ।

सुमित की मौत का समाचार सुनने के बाद मेरी आत्मा को गहरा आघात पहुंचा ।मुझे लग रहा था जैसे कोई मुजरिम मेरी आत्मा पर कोड़े बरसा रहे हैं ।

मैं सुमित की मौत का खबर सुनकर बहुत रोया ।मेरे प्यारे भाई से बढ़कर दोस्त को उन दरिंदों ने बड़ी बुरी मौत मार दिया ।अब मेरी आंखो में सिर्फ प्रतिशोध की आग थी ।

बृजेश ने मुझे काला बैग देते हुए बोला -इसमें राघव ,राणा और नागेश्वर के खिलाफ सारे सबूत मौजूद हैं जिसे तुमने और सुमित ने इकट्ठा किया था ।लालच में आकर मैंने इन सबूतों की एवज में पैसा कमाना चाहा लेकिन दौलत के पीछे भागता हुआ आज मैं मौत की खाई में गिर चुका हूं ।मुझे मेरे किए की सजा अब मिल चुकी है ।इतना कहते ही बृजेश ने वहीं दम तोड़ दिया ।

मैं (राजन) शारदा देवी के पास गया और लड़खड़ाती जुबान में मैने उन्हें सुमित की मौत की खबर दी ।

वह यह सुनकर बेहोश हो गई तभी थोड़ी देर बाद राणा ,राघव और नागेश्वर मशाल लिये वहां आ गये ।

जब उन्होंने बृजेश की लाश को वहां देखा तो उनका चेहरा गुस्से से भर आया और राघव बोला -यह हरामजादा तो मर गया और लगता है इसने ही शारदा देवी को वह काला बैग दिया होगा वह काला बैग यहीं कहीं इसने छुपा दिया होगा ।इसलिये मैं इस बुढि़या समेत इस पूरे मकान को आग लगा देता हूं ।न रहेगा बांस ,न बजेगी बांसुरी ।इस मकान के जलते ही सारे सबूत भी जलकर खत्म हो जायेंगे ।

मैं (राजन) यह सब सुनते ही काला बैग लेकर भागा ।

राणा बोला -अब हमें सुमित के इस मकान व प्रेस को आग लगा देनी चाहिए ताकि सुमित की मां भी इस आग में जलकर राख हो जाए ।इतना कहते ही तीनों ने अपनी मशाल से घर व प्रेस को राख कर दिया ।

मैं शारदा देवी को बचाना चाहता था ।पूरी कोशिश के बावजूद मैं उन्हें बचा न सका । इस बात का बेहद अफसोस था ।फिर दूसरे दिन मैं (अमित) राजन से मिला ।वह मेरी बाहों में लिपटकर रोने लगा और इस तरह उसने राघव ,राणा और नागेश्वर की पूरी कहानी मुझे बता दी ।

राजन मुझसे बोला -भाई अमित ,अब हमें यह काला बैग पुलिस कमिश्नर के हवाले कर देना चाहिए ।ताकि असलियत जानकर वह गुनहगार को सजा दे सकें ।

मैने (अमित) राजन को वह सारे सबूत कमिश्नर को देने से मना कर दिया ।

राजन बोला -तुम आखिर राघव ,राणा और नागेश्वर की काली करतूतों का कच्चा चिट्ठा कमिश्नर को क्यों नहीं दे रहे हो ,जिसके अंदर गुनाहगारों के गुनाहों के सबूत हैं ?

मैं (अमित) -राघव ,राणा और नागेश्वर बहुत चालाक हैं ,वह किस तरह इन सबूतों को कमिश्नर के हथिया लेंगे ,या हो सकता है कि कमिश्नर भी दौलत की चमक के आगे बिक जाये ।

राजन -तो तुम ही कोई रास्ता बताओ अब हम क्या करें ?

मैंने (अमित) से कहा -संसद सदस्य राघव व राणा और पुलिस अधीक्षक नागेश्वर त्यागी को सजा मैं दूंगा। उन तीनों की मौत कुदरत ने मेरे हाथों लिखी है ।मेरे जमीर का कानून उन तीनों को सजाए मौत देता है।

दूसरे दिन राधिका को सुमित का मौत का पता चला ।वह अपने मुंहबोले पिता से बोली -नहीं डैडी ,सुमित वार्डन व अध्यक्ष का कातिल नहीं हो सकता ,वह बेगुनाह है ।इतना कहते ही वह जमीन पर गिर पड़ी और बहोश हो गई ।

जब उसे होश आया वह अपनी याददाश्त भूल चुकी थी राघव ने राधिका का बहुत इलाज कराया लेकिन वह एक जिंदा लाश बन चुकी थी ।वह एक कमरे में गुमसुम बैठी रहती थी वह किसी को नहीं पहचानती थी ।यहां तक कि अपने पिता राघव को भी नहीं ।राघव ने हारकर राधिका को इलाज के लिए अमेरिका भेज दिया ।फिर मैं अपने दिल में प्रतिशोध की आग लिये सबसे पहले राघव के घर गया और वहां उसका खून कर दिया ।उसके बाद मेरा दूसरा शिकार संसद सदस्य राणा था ।जिसे मैने एक दर्दनाक मौत मारा । अब मेरा आखिरी शिकार नागेश्वर त्यागी था । जो श्मशान घाट में मेरी गोली से बच गया क्योंकि मेरा निशाना चूक गया था ।इसलिए गोली उसके हाथ को चीरते हुए निकल गयी और वह बच गया ।

लेकिन अब वह हरामजादा मेरे हाथों से नहीं बच पायेगा ।नागेश्वर त्यागी को गोली मारने के बाद मैं जैसे ही भागा तभी एक पुलिस अफसर ने मेरी टांग पर गोली मार दी ।क्योंकि मैं एक कमाण्डो था इसीलिए उस दर्द को सहन कर गया और लड़खड़ाते हुए राजन के घर पहुंचा और वहां मैने राजन से कहा मुझे कहीं छिपा दो राजन ,मैं घायल हो चुका था और एकदम वहां से फरार नहीं हो सकता था ।राजन ने मुझे अपने कमरे की एक अलमारी के अंदर छिपा दिया ।जिसके दरवाजे में एक छोटा सा छेद था और बाहर के उस अलमारी को ताला लगा दिया गया ।

तभी सी बी आई अफसर राजेश्वर वहां आ गया और उसने पूरे कमरे की तलाशी ली ।लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि उसका ध्यान आलमारी के अंदर नहीं गया ।उसके जाने के बाद मैं आलमारी से बाहर निकला और जब मैंने राजन की बहन रजनी को मेरी जान बचाने की खातिर अपना पैर काटते देखा तो मुझसे रहा न गया और मैने अपने गले में बंधा लाल रूमाल उतार कर उसके पैर में बांध दिया ।दरवाज पर फिर दस्तक हुई ।तब राजन ने मुझसे कहा -अमित अब यहां पर तुम्हारा ज्यादा देर रूकना ठीक नहीं ,तुम पीछे के दरवाजे से निकल जाओ ।मैं सी बी आई अफसर को संभालता हूं और इस तरह से मैं वहां से बचकर भागने में कामयाब हुआ ।लेकिन अब मेरे प्रतिशोध की आग नागेश्वर त्यागी के खून से ही बुझेगी ।

सी बी आई अफसर राजेश्वर ने पन्ना पलटा ।मगर वह पन्ना एकदम कोरा था ।

सी बी आई अफसर राजेश्वर के सामने राघव व राणा के खून की गुत्थी सुलझ चुकी थी और वह जान चुका है कि राघव व राणा का खूनी सुमित का हमशक्ल भाई अमित है जिसे हम सुमित समझ रहे थे ।

सुमित तो पुलिस एन्काउंटर में मारा गया और उसका जुड़वा भाई अमित अभी जिंदा है जो एक के बाद एक खून कर रहा है । वह मौत से ज्यादा खतरनाक बन चुका है ।

सी बी आई अफसर पहले राजन के घर पहुंचा ।वहां रजनी उसे नफरत भरी निगाहों से देखते हुए बोली- मेरा इस्तेमाल करके शायद तुम अमित को गिरफ्तार करने के लिये आये हो ?लेकिन मैं तुम्हें उसका पता नही बताऊंगी ।

राजेश्वर बोला -नहीं रजनी ,ऐसी बात नहीं है ,दरअसल मैने राघव व राणा के कातिल तक पहुंचने के लिए तुम्हारे साथ प्रेम का नाटक किया था ,लेकिन अमित की डायरी पढ़ने के बाद तुम्हारे साथ किया गया प्रेम का नाटक अब हकीकत बन चुका है और अब मैं ,मेरा सच्चा प्यार सिर्फ तुम्हें ही अपनाना चाहता है ।

यह सुनते ही रजनी की आंखे आंसुओं से भर आई ।वह बोली -मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती ।तुम्हारी मौहब्बत मेरे दिल में इस तरह समा चुकी है जैसे पानी की बूंदे एक प्यासे की आत्मा में समा जाती हैं ।

श्राजेश्वर -तुम्हारी मेरे प्रति इतनी सच्ची मौहब्बत को देखकर आज मुझे यह यकीन हो चुका हैं कि तुम मुझसे सच्ची मौहब्बत करती हो ।अब कृपा करके अपने भाई को बुला दो ,मुझे उनसे कुछ जरूरी बात करनी है ।

थोड़ी देर में रजनी राजन को बुला लायी ।राजन उस कमरे में गया जहां पर राजेश्वर बैठा था ।

श्राजन -हैलो सी बी आई अफसर राजेश्वर साहब ।और सुनाइये कातिल का कोई सुराग मिला ?

राजेश्वर -हां ,कातिल का सुराग तो मुझे मिल चुका है ।

यह सुनते ही राजन हिल गया और अपनी बहन रजनी को गुस्से से देखने लगा ।वह सब कुछ समझ चुका था ।

राजेश्वर ने कहा -अब मुझे तुम राघव व नागेश्वर त्यागी और राणा के कुकर्मों का रिकार्ड किया हुआ वीडियो कैसेट तथा रक्षा मंत्रालय की वह तस्वीरें दे दो ।इन सबूतों की एवज में ही मैं अमित को कानून के शिकंजे से बचा सकता हूं ।साथ ही मुझे अनाथ आश्रम के युवकों व युवतियों द्वारा हस्ताक्षर किये गये वो कागज दे दो जिससे मैं सुमित पर लगा वार्डन व अध्यक्ष की हत्या का आरोप मिटा सकूं ।यह सब सबूत मैं चीफ जस्टिस कपिल सक्सेना जी को दे दूंगा ।जिसे देखने के बाद स्वर्गीय सुमित के चेहरे से मुजरिम होने का आरोप हट जायेगा और अमित को भी राघव व राणा के खून की कम से कम सजा होगी ।

राजन ने पूछा -क्या इस जुर्म से भरी कानून की दुनिया में अभी भी इंसाफ बाकी है ?

राजेश्वर -चिंता मत करो ,मेरे दोस्त ।चीफ जस्टिस कपिल सक्सेना एक ईमानदार व्यक्ति हैं और उन्हें जब यह पता चलेगा कि स्वर्गीय सुमित ने रक्षा मंत्रालय के खुफिया अड्डो की उन तस्वीरों को देश के दुश्मनों से बचाया है जो राघव व राणा बेचने वाले थे ,तो वह हमारी जरूर करेंगे ।

राजन ने यह सुनते ही थोड़ी राहत की सांस ली ।

राजेश्वर ने पूछा -अब हमें अमित को ढूंढना चाहिये ।क्या तुम बता सकते हो कि वह कहां मिल सकता है?

राजन -अमित एक तूफान है और वह तूफान नागेश्वर त्यागी का खून करने के बाद ही रूकेगा ।उससे पहले उसे पकड़ना नामुमकिन है ।वह एक बहादुर कमाण्डो है ।

राजेश्वर बोला -फिर भी हमें अमित को पकड़ना है क्यों कि मैं कानून का मुलजिम हंू ।इसलिए मैं मजबूर हूं ।

उधर अमित नागेश्वर त्यागी को खत्म करने के लिए उसे गली-गली कूचे-कूचे में ढूंढ रहा है ।आखिर काफी ढूंढने के बाद उसे पता चला कि नागेश्वर मौत के खौफ से काली गुफा के पास एक बंगले में छिपा है ।अमित काली गुफा के पास उस बंगले पर पहुंचा ।नागेश्वर त्यागी उसे अपने बंगले में देखकर एकदम दंग रह गया ।

अमित बोला -कुत्ते ,आखिर तेरी मौत तुझे इस जगह खींच ले आई ।याद कर तूने कितनी बेरहमी से मेरे भाई सुमित को मारा था ।मैं उसका हमशक्ल भाई अमित हूं जो आज तेरी मौत बनकर आया है ।

नागेश्वर बोला -मुझे माफ कर दो ,मुझसे गलती हो गई ।

अमित -माफी तो अब तू मेरे भाई से मरने के बाद मांगना कुत्ते ।इतना कहते ही अमित ने अपनी जेब से छुरा निकाला और नागेश्वर की दोनों आखें फोड़ दीं ।

नागेश्वर त्यागी चिल्लाया और बहुत तड़पा ।अमित ने उसका गला दबसया ,नागेश्वर की जुबान बाहर निकल आयी ।अमित ने छुरे से उसकी जीभ काट दी ।फिर उसके हाथों की अंगुलिया काट दीं और अंत में अमित ने उसके पेट में अपने छुरे से कई वार किये ।नागेश्वर छुरे के वार सहन न कर सका और मौत की नींद सो गया ।

अब अमित की प्रतिशोध की आग बुझ चुकी थी ।वह राजन के घर गया जहां सी बी आई अफसर राजेश्वर मौजूद था ।

राजेश्वर बोला -अमित अब तुम अपने आप को कानून के हवाले कर दो ।मैं तुमसे वादा करता हूं कि कानून तुम्हें तुम्हारे इस गुनाह की कम से कम सजा देगा ।मैं तुम्हारी पूरी कहानी तुम्हारे हाथों से लिखित तुम्हारी डायरी में पढ़ चुका हूं ।मेरी नजर में तुम बेगुनाह हो लेकिन कानून की नजर में तुम गुनाहगार हो । अब हमें सब सबूत लेकर चीफ जस्टिस कपिल सक्सेना जी के पास पहुंचना चाहिए ।

राजेश्वर ,राजन और अमित सक्सेना जी के पास पहुंचे और अमित ने वहां अपने आपको कानून के हवाले कर दिया और राघव ,राणा और नागेश्वर काली करतूतों की तस्वीरें उन्हें सौंप दी ।

चीफ जस्टिस ने राघव ,राणा और नागेश्वर की काली करतूतों की फिल्म देखी और रक्षा मंत्री को सौंप दीं।

दूसरे दिन अमित को अदालत में पेश किया गया ।चीफ जस्टिस ने तमाम दलीलों और सबूतों की एवज में अपना फैसला सुनाया अमित ने रक्षा मंत्रालय की तस्वीरों को दूसरे देशों के हाथ लगने से बचाया है इसीलिए भारत सरकार अमित और उसके जुड़वा भाई की अभारी है और आज स्वर्गीय सुमित के चेहरे से मुजमि होने का आरोप हट चुका है ।सुमित का नाम देश के शहीदों में गिना जायेगा ।अमित ने राघव ,राणा और नागेश्वर जैसे दरिंदें को मारकर देश की गंदगी साफ की है लेकिन कानून की किताब के अनुसार अमित ने गुनाह किया है इसीलिए यह अदालत अमित को एक साल की सजा सुनाती है ।

एक साल की सजा काटने के बाद आमित राधिका के पास अमेरिका पहुंचा ।जहां राधिका एक अस्पताल में भर्ती है ।अमित अस्पताल में राधिका के पास पहुंचकर बोला -तुम ठीक हो न राधिका ?

राधिका गुमसुम चुपचाप बैठी रही ।अमित ने उसे वही वीडियो कैसेट दिखाया जिसमें राघव ,राणा व नागेश्वर की काली करतूतों का चिट्ठा था ।वह फिल्म देखकर राधिका की याददाश्त वापस आ गई ।वह अमित को सुमित समझकर बोली -तुम अभी जिंदा हो सुमित ?

अमित बोला - मैं सुमित नहीं अमित हूं राधिका ।

राधिका - कौन अमित ?

अमित - मैं सुमित का हमशक्ल जुड़वा भाई हूं ।

राधिका बोली - ओह ,इसीलिए मैं तुम्हें देखकर धोखा खा गई । मुझे तुम्हारे चेहरे में सिर्फ सुमित की झलक दिखाई देती है ।

अमित राधिका का सहारा बनना चाहता है वह जानता है कि बिना सहारे के राधिका मर जायेगी । अमित राधिका को वापस हिंदुस्तान ले आया । जहां पर राजेश्वर और रजनी तथा अमित और राधिका विवाह के बंधन में बंध गये ।

 

                समाप्त

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               

 

 

 

 

 


Post a Comment

0 Comments