Bharat desh kaa kya hoga
2013 के भारत देश की
तस्वीर ही बदलती जा रही है आज सरकार की गलत नीतियों के कारण टैक्स की भरमार ने
भारत देश की जनता को मंहगाई की आग में झोक दिया है। टैक्स जितना देश में बढ़ेगा उस
देश में उतनी गरीबी भी बढ़ती जायेगी ।जनता
टैक्स न दे तो उस पर कानून है टैक्स न देने वालों को जेल और जुर्माने दोनो होते
है। मगर जनता का यह टैक्स जो सरकार के खजाने में जा रहा है क्या इसका उपयोग
ईमानदारी से हो रहा है क्या सरकार जनता के प्रति ईमानदार है जवाब है नही। एक ऐसी
व्यवस्था होनी चाहिये जिससे जनता अपने द्वारा दिया गया टैक्स की एक-एक पाई का
हिसाब सरकार से माँग सके। आज गुजरात में 920 करोड़ रूपये का पुल गिर गया। यह जनता के टैक्स का पैसा है
जो घूसखोरी और मिलावटी मटेरियल के तहत बरबाद हो रहा है।
केजरीवाल एवंम मनीष सिसौदिया]संजय सिंह] राहुल गाँधी] चन्द्रशेखर आजाद की
अध्यक्षता में एक ऐसी कमेटी बनानी चाहिये जो जनता के टैक्स के पैसे का हिसाब
ईमानदारी से रख सके और आरटीआई के माध्यम से जमा व खर्च का हिसाब दे सके। तभी भारत
देश की जीडीपी दुरूस्त होगी और मंहगाई की मार से जनता को राहत मिलेगीं।
मणिपुर में तीन ओरतो को नग्न घुमाया और
अश्लील हरकते करी कोई कहने सुनने वाला नही केन्द्र सरकार ने मणिपुर की कोई सुद्
नही ली । पहलवान स्त्रीयों का यौन शोषण फिर दिल्ली में यौन शोषित पहलवान स्त्रीयों
के साथ केन्द सरकार ने बर्बरता की उनका कसूर बस इतना था कि स्त्रीयों ने यौन शोषण
के खिलाफ आवाज उठाई। आज ईवीएम से चुनी हुई सरकार केवल भ्रष्टाचार] शोषण और मंहगाई व सरकार की मनमानी का शिकार है
उत्तराखण्ड राज्य में भू-माफिया इस कदर बढ़
रहा है कि उसने सरकार तक की जमीन नही छोड़ी सरकार की लापरवाही जानबूझकर यह रही कि
उसने आँनलाईन जमीनों के रिकार्ड अपलोड नही किये और आज तक जमीन की पैमाईश आँलाईन
नही कर पाये क्योकि उक्त विभाग उगाही का है। यदि सब कुछ आँन लाईन हो गया तो नेतागण
की उगाई कहाँ से होगीं। आज उत्तराखण्ड राज्य के हालात यह कि राजधानी देहरादून में
भ्रष्टाचार चर्म सीमा पर है पटवारी कानूगो बिना रिश्वत खाये जमीन की पैमाईश नही
करते ।इसी कारण भू-माफिया उत्तराखण्ड में पैर पसारे हुये है। जयादातर भू-माफिया
कुछ पटवारी व अभिलेखगार विभाग के कर्मचारी है क्योकि इनकी मिलीभगत के बिना कुछ नही
हो सकता।
जनता सिर्फ टैक्स व वोट देने के लिये
है।यदि नेतागणों का बस चले तो यह भू-माफिया के हाथ पूरा उत्तराखण्ड बेच दे।
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के तो यह
हाल है कि कई जमीनों की खतौनी तो आँन लाईन प्रदर्शित हो रही है मगर उक्त जमीन की
रजिस्ट्री अभिलेखागार प्रथम कचहरी परिसर देहरादून से गायब है पैसा खाकर रिकार्ड
बदलना इनकी फितरत बन चुकी है।
आज का दौर ऐसा है कि भगवान को भी मन्दिर से
बाहर किया जा रहा है शिरडी के साई बाबा की मूर्तियाँ मन्दिरो से इसलिये हटवायी जा
रही क्योकि साई ने हिन्दु मुस्लिम में कोई भेद नही किया जो भेद नही करेगा गोदी की
राजनीति उसे मिटाने के लिये आतुर हो जायेगी चाहे वो भगवान ही क्यों न हो।
भारत देश के लोग वोट किस आधार पर देते है
यह बात मुझे आज तक समझ नही आयी। जो मंहगाई] भ्रष्टाचार बढ़ा रही
है उसे वोट ज्यादा देते है ।
सुप्रीम कोर्ट एक आखिरी सीढ़ी है न्याय पाने
के लिये ।
2019 से विपक्ष द्वारा
आरोप लग रहे कि गोदी ईवीएम मशीन में प्रोग्रामिंग करके गोदी सरकार को वोट मिल रहे
है और उसी की सरकार बन रही है A एक नाबालिग मात्र ग्यारह साल के बच्चे ने 15 वोट ईवीएम में डाले यह दृश्य आप सोशल मीडिया चैनल में देख
सकते है तो यह तो खुले आम लोकतन्त्र की हत्या है यहाँ सुप्रीम कोर्ट क्यों खामोश
रहता है।
जब विपक्ष ने आरोप लगाया कि पाँच करोड़ वोट
फर्जो पड़े है तो यहाँ सुप्रीम कोर्ट 17 सी फार्म के अनुसार न्याय करने में असमर्थ हैं सुप्रीम
कोर्ट को चाहिये िक वह लोकसभा का चुनाव
रद्द करके दोबारा बैलेट पेपर से चुनाव का आदेश दे मगर इतनी हिम्मत नही है।
गोदी के डण्डे से सब डरते है।
चुनाव में चन्दा है क्योकि चुनाव एक धन्धा
है
जिसका डर फिर वही हुआ काग्रेस पार्टो ने
आरोप लगाया है विधानसभा चुनाव 2024 हरियाणा
राज्य में सुबह अचानक काग्रेस की बढ़त 60 सीटों पर थी पर अचानक यह सीटे 36 पर आ गयी और उसके बाद सीट की बढ़त नही हुई और भाजाप जो 20-25 पर थी उसकी बढ़त 48 हो गयी। काग्रेस ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग की मिलीभगत
के कारण ऐसा हुआ है तो प्रश्न यह उठता है कि लोकतन्त्र तो बचा ही नही । चुनाव
कराने का फायदा क्या है सुप्रीम कोर्ट सत्यता से जाँच क्यों नही करवाता आखिर यह
चुनाव घोटाला कैसे पनप रहा है। जनता तो मंहगाई और बेरोजगारी के चक्रव्यूह में फँस
चुकी है आखिर निष्पक्ष चुनाव क्यों नही हो रहे है। कानून तो सिर्फ गरीब इन्सान पर
जुल्म करने के लिए बना है। आज भारत देश में गुलामी के सिवा जनता के पास कुछ नही ।
आज हम केवल आजाद देश के गुलाम बनकर रह चुके है
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