उत्तराखण्ड
की राजधानी में कोर्ट परिसर अनुबन्धक विभाग प्रथम तल
देहरादून में जमीन की रजिस्ट्री का विभाग है जो भूमाफिया का अडडा रहा है। यह
सरकारी विभाग है मगर आज भी इस विभाग में कई राज दफन है। जमीनों के असली रिकार्ड
मिटाकर उसके स्थान पर नखली रिकार्ड रखना यह धन्धा भूमाफिया के साथ मिलकर उक्त
विभाग खेला कर चुका है। यह धन्धा भूमाफिया और अनुबन्धक विभाग द्वारा मिलकर खेला
जाता है । भूमाफिया निबन्धक विभाग कर्मचारी को किसी जमीन के डिटेल देता है और उक्त
जमीन के रिकार्ड फाड़कर या मिटाकर उसके
स्थान पर फर्जो power attorney के रिकार्ड रखवा देता है और फिर भूमाफिया और निबन्धक विभाग किसी वकील की मदद से
व overdrating करके इस जमीन को भूमाफिया अपने नाम कर लेता है और फर्जो
तरीके से इस जमीन को किसी को बेच देता है इस कार्य के लिये भूमाफिया निबन्धक विभाग
को एक मोटी रकम देता है। इस भ्रष्टाचार की जड़े तहसील तक पहुँची हुई है। तहसील चौक पर complex में स्थित तहसील
विभाग यह भी भूमाफिया के साथ मिला है। पटवारी कानूनगों भी इस भ्रष्टाचारी रूपी रथ के पहिये है। इनके बिना तो
भ्रष्टाचार आगे बढ़ नही सकता।
इस
सच्चाई को उजागर करने के लिये एक ऐसा केस जो जमीनों की फर्जोवाड़े की सच्चाई को
उजागर करता है। देहरादून शहर में एक मौहल्ला है विजय पार्क एक्सटेशन जहाँ पर
डीसीवर्मा नामक बुजर्ग की जमीन है । डीसीवर्मा की जमीन पर भूमाफिया ने कब्जा किया
और डीसी वर्मा की मौत के बाद उसमें से लगभग आधी से ज्यादा जमीन को फर्जो power
attorney बनाकर अवैध रूप से बेच दिया । उत्तराखण्ड
की राजधानी में एक काला धन्धा चल रहा है जिसे सरकार भी जानती है मगर आँखे मूँदे
सरकार भी खामोश बैठी । सरकार सरकारी जमीने भी नही बचा पायी इन भू-माफियों से तो
भला आम जनता की जमीन की तो बात ही क्या है।सरकार की गलती यह रही कि उसने बन्दोबस्त
की जमीनों को आँन लाईन नही किया इसका फायदा उठाकर भू-माफिया ने अनुबन्धक विभाग व
तहसील की मिली भगत करके बन्दोबस्त की जमीने बेच दी। सरकार की नीतियों को जनता के
लिये रक्षक का काम करना चाहिये मगर सरकार की दोषपूर्ण नीतियाँ या लापरवाही और
जानबूझकर सत्य की ओर से आँखें बन्द करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है क्योकि तभी
तो चुनावी चन्दा आयेगा।जब भ्रष्टाचार बड़ेगा। आज भी उत्तराख्ण्ड में जमीनों का
आँनलाईन demarcation
apply नही है जिसका फायदा उठाकर कानूनगों और
पटवारी बिना रिश्वत के किसी भी जमीन की निशानदेही नही करते। जनता तो एक करप्ट
सिस्टम को वोट करती है और फिर भ्रष्ट सिस्टम से निरन्तर ठगी जाती है।
डालचन्द
की जमीन पर भू-माफिया कब्जा जमाये बैठै इसमें इनके साथ कोर्ट परिसर में स्थित
अनुबन्ध विभाग प्रथम तल देहरादून है और तहसील भी पूरी तरह से इस फर्जोवाड़े में
शामिल है। आज भी इस जमीन जिसकी खाता संख्या 851 व खसरा नम्बर 191 मौजा कांवली जिला देहरादून है कि जमीन की असली रजिस्ट्री
गायब की हुई है । भू-माफिया ने उक्त
रजिस्ट्री विभाग में घुसकर उक्त विभाग के कर्मचारी को रिश्वत खिलाकर इस जमीन के असली रजिस्ट्री के रिकार्ड गायब किये
हुये। कई बार आवेदन करने पर भी सब-रजिस्ट्रार असली रजिस्ट्री की सत्यापित
प्रतिलिपि देने को तैयार नही है क्योकि यह सब बिके हुए है।
असली
भू-माफिया तो यह करपट सिस्टम है जो भू-माफिया को पनपा रहा है पैसे लेकर नखली
कागजों को असली कर रहा है।
ऐसे
में उपनिबन्धक विभाग को एक पत्र महेन्द्र वर्मा द्वारा लिखा गया कि मेरी जमीन
जिसकी खाता संख्या 851 व खसरा 191 मौजा कांवली जिला देहरादून है। कि जमीन की रजिस्ट्री की
सत्यापित प्रतिलिपि उक्त विभाग में आवेदन करके मांगी और जवाब न मिलने पर आरटीआई भी
लगाई परन्तु उपनिबन्धक विभाग जवाबदेही में असर्मथता जाहिर कर रहा है। यहआरटीआई
लगाने
पर जवाब मिला।
इस
आरटीआई में उक्त अधिकारी कह रहे कि आपने जिल्द नम्बर नही अंकित किया मगर सबसे
पहिले बात तो यह है कि जब सरकार ने आँनलाईन 1960 से लेकर 2023-2024 के जमीन के रिकार्ड www.eregistrationuk.gov.in में अपलोड कर दिये है तो इस जमीन जिसका खाता संख्या 851 व खसरा 191
मौजा कांवली देहरादून है तो इस जमीन के रिकार्ड अपलोड क्यों नही किये इस जमीन के
रिकार्ड क्यों मिटाये गये जबकि खतौनी तो है मगर रजिस्ट्री गायब क्यों है। कारण है
डालचन्द की मौत 04-03-2019
में हो गयी थी और इस समय उनकी जमीन पूरी थी डालचन्द वर्मा की मौत के बाद उक्त जमीन
के फर्जो दस्तावेज भूमाफिया ने उपनिबन्धक विभाग और तहसील की मदद से बनाये और इसमें
से काफी जमीन अवैध तरीके से बेच दी। कोई कहने सुनने वाला नही है।यह गोरख धन्धा कई
वर्षो से चल रहा है। उत्तराखण्ड में उक्त विभागों में रिश्वत का बाजार गर्म है।
उत्तराखण्ड राजधानी देहरादून में फर्जो power
attorney बनाकर भूमाफिया ने जमीन बेच दी click link below to read full news
यहाँ
तक सरकार की जमीने भी शिमला बाई बास रोड देहरादून और विकास नगर जिला देहरादून में
भूमाफियाओ ने उक्त विभागों की मदद से बेच दी है। मगर कोई कहने सुनने वाला नही है।
अब
प्रश्न यह उठता है कि खाता संख्या 851 व खसरा 191
मौजा कांवली की जमीन की रजिस्ट्री के रिकार्ड आँन लाईन अपलोड इसलिये नही किये गये
ताकि जमीन का फर्जोवाड़ा सामने न आ जाये और जमीन के असली मालिक को जमीन न मिल सके।
सन्
26-12-2022 में उक्त जमीन के demarcation के लिए उक्त जमीन के वारिस ने तहसील में आवेदन किया ।
तहसीलदार ने तो इस जमीन के demarcation के आर्डर किये मगर
कानूनगो और पटवारी टालमटोल उक्त जमीन के वारिस महेन्द्र वर्मा से करते रहे क्योकि
कानूगो और पटवारी भू-माफिया से मिले हुए है। और बिना रिश्वत के तो कानूनगो और
पटवारी जमीन की निशानदेही नही करते। चारो ओर से जमीन को हड़पने का जाल बनाया हुआ
है जिसमे अनुबन्धक विभाग व तहसील विभाग मिले हुये है।
10 अक्टूबर 2023 में देहरादून तहसील चौक पर स्थित तहसील में भी आवेदन दिया गया जहाँ पर एसडीएम ने भी इस आवेदन में हस्ताक्षर किये है मगर कक्ष संख्या 8 में स्थित नामक कर्मचारी ने R6 की सत्यापित काँपी प्रदान करने से महेन्द्र वर्मा आवेदक को साफ मना कर दिया।
उक्त जमीन के विषय में उत्तराखण्ड मुख्य मन्त्री को भी 1905 में शिकायत की मगर निर्णय आपके सामने है।
इस
समय माहौल ऐसा है कि जनता मुख्य मन्त्री को अपना शिकायत पत्र लिखे या किसी अधिकारी
को निर्णय जीरों ही निकलेगा। और शिकायतकर्त्ता को निराशा के अलावा कुछ ओर नही
मिलना।
इस समस्या का हल है जमीन का demarcation ही है जब उक्त जमीन का मालिक पटवारी के पास गया तो पटावारी ने कहा कि आप कानूनगों के पास जाओं जब कानूगो के पास जमीन का मालिक गया तो कानूनगो कहता है कि जमीन की निशानदेही के लिये जमीन की रजिस्ट्री चाहिये। जब जमीन का मालिक ने अनुबन्धक विभाग कोर्ट परिसर देहरादून में जमीन की रजिस्ट्री के लिये आवेदन किया जो उक्त विभाग से जमीन की रजिस्ट्री के रिकार्ड गायब मिले। अब जमीन का मालिक क्या करे इस तरह से भूमाफिया जमीन पर कब्जा करके जमीन के फर्जो दस्तावेज बनाकर जमीन को बेच देते है।
भारत
देश में भ्रष्टाचार कभी खत्म नही हो सकता तो फिर हर पाँच साल में चुनाव होते है और
हर पाँच साल में भ्रष्टाचार बेरोजगारी व अन्य कुरूतीयाँ बढ़ती है तो जनता किस आधार
पर सत्ता चुनती है देश और अपने आप को बर्बाद करने के लिये । हर पाँच साल में चुनाव
का रिजल्ट जीरों ही है।
देहरादून में एक एनआरआई की जमीन फर्जो दस्तावेज बनाकर भूमाफिया ने बेच दी click link below to read full news
http://amp.rajyasameeksha.com/uttarakhand/27931-gang-making-fake-land-documents-in-dehradun
विजय
पार्क एक्सटेशन लेन नम्बर 12 जिला देहरादून पर एक मकान बना है जिसकी असवैधानिक तरीके से
सड़क तक बढ़ाया गया या यू कहना उचित होगा कि सड़क पर अवैध निर्माण किया हुआ है मगर कोई कहने सुनने वाला नही है।
भारत
देश में सरकार के कानून भी दो है यदि कोई सरकारी जमीन को खरीद कर मकान बना ले तो 50 साल बाद भी सरकार उस मकान को तोड़ देती है।और अगर किसी
इन्सान की जमीन पर कोई अवैध कब्जा 12 साल से किये हुये है तो जमीन अवैध कब्जाधारी की हो जाती है
भारत देश में यह दोगुला कानून क्यों
उत्तराखण्ड देहरादून में एसआईटी investigation
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