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उत्तराखण्ड में जमीन भू-माफिया फर्जोवाड़ा करके बेच रहे है

उत्तराखण्ड एक देवभूमि मगर भ्रष्ट सिस्टम ने उत्तराखण्ड की भूमि को भू-माफियों के हाथों बेच दिया है।  पटवारी कानूनगों और सब रजिस्ट्रार की मिलीभगत के कारण ही भूमाफिया फर्जोवाड़ा करके बेच देते है।सब रजिस्ट्रार के आँफिस में एक ऐसे आदमी से भूमि खरीदी जाती है जो असल में जमीन का मालिक नही है। फर्जो तरीके से जमीन के दस्तावेज बिना सब रजिस्ट्रार की मिलीभगत के बिना बनाये नही जा सकते। ऐसा ही एक मामला देहरादून विजय पार्क एक्सटेशन लेन नम्बर 12 का है। जहाँ पर डालचन्द वर्मा की मृत्यु के पश्चात उनकी 600 गज जमीन अवैध तरीके से बेच दी और बची हुई जमीन जो उनके पुत्र के नाम है करीब 360 गज जमीन पर अवैध कब्जा जमाए बैठा है भूमाफिया । भ्रष्ट सिस्टम इन भूमाफियाओं के साथ मिला हुआ तभी जाली कागज तैयार होते है।सरकार की गलतीयाँ यह रही कि सरकार ने पुराने रिकार्ड आँन लाईन नही चढ़ाये जिसका फायदा उठाकर भूमाफियाओं ने अवैध रूप से जमीने बेच दी।या यू कह लीजिए कि फर्जोवाड़ा द्वारा बेची गयी जमीनों की ओर से सरकार आँखें मूँदे बैठी रही । या फिर चुनाव के दौरान इन्ही भूमाफियाओ से एक मोटे चन्दे के रूप में प्रत्याशीयों को दी गयी सब कुछ पहिले से तय होता है चुनाव होने से पहिले भूमाफिया शिक्षा माफिया एक मोटा चन्दा पहिले ही दे देते है।
वकील कमल विरमानी एक बहुत बड़ा उदाहरण जो जमीनों की रजिस्ट्री की अवैध ड्राफ्टिग करके करीब 100 करोड़ रूपये का घोटाला कर चुका है और एसआईटी टीम ने विरमानी को पकड़कर जेल में डाल दिया है।
खाता संख्या 851 व खसरा नम्बर 191 मौजा कांवली शहर देहरादून में जमीने के रजिस्ट्री के रिकार्ड भी रजिस्ट्री आँफिस की मिलीभगत से मिटाये गये और फिर भूमाफिया ने जमीन को अवैध रूप से बेच दिया। भूमाफिया जानता है कि फर्जो कागजो के सहारे उसने अपना किला मजबूत किया हुआ है ।रजिस्ट्री आँफिस में जानबूझकर आग लगाई जाती है और रिकार्ड मिटा दिये जाते है असली भूमाफिया कुछ पटवारी व राजस्व अभिलेखागार विभाग के कुछ कर्मचारी है जो पैसे के लिये अपना देश भी बेच सकते है। कोई कहने सुनने वाला नही है।क्योकि रिश्वत की चैन नीचे से ऊपर तक बन्धी हुई है।
2017 में बन्दोबस्त तहसील देहरादून में कार्यरत गुप्ता पटवारी ने जमीन के असली मालिक को गुमराह करके तीन हजार रूपये ऐठ लिये और वास्तिवक जमीन नही बताई । तो असल में भूमाफिया तो ऐसे पटवारी है जो पैसा लेकर भू-माफिया के काले कामों को सफेद करते है।
सरकार ने बन्दोबस्त की जमीन आँन लाईन 2017 में अपलोड कर दी होती और जमीनों की निशानदेही भी आँनलाईन कर दी होती तो आज जमीनों के फर्जोवाड़े इतने न होते।आँफ लाईन जमीनों की निशानदेही कराने के लिए पटावारी व काननूगो कई हजार रूपये रिश्वत के रूप में मागते है खाता संख्या 851 जिसका खसरा 191 और मौजा कांवली शहर देहरादून है  जिसके रिकार्ड आँन लाईन नही चढ़ाये गये रिकार्ड रूम से उक्त जमीन की रजिस्ट्री के सबूत ही मिटा दिये गये क्योकि सब रजिस्ट्रार आँफिस की मिलीभगत से ऐसा हुआ । भूमाफिया तो सिस्टम है जो भ्रष्टाचार को जन्म दे रहा हैं। रिकार्ड रूम में छापे भी पड़ रहे क्योकि फर्जो रजिस्ट्रीयों के द्वारा सरकारी जमीने भी बेच दी गयी।  सरकार गरीब और असहाय लोगो की नही है। सरकार की गलतीयाँ या अन्देखी यह रही कि बन्दोबस्त तहसील में दर्ज जमीनों को आँनलाईन नही किया जब फर्जोवाड़ा करके उक्त जमीन बेच दी तो आँनलाईन भूलेख में रिकार्ड दर्ज हुए ।यह पूरा सिस्टम ही मिला हुआ है।यह सिस्टम तो अग्रेजी सिस्टम से ज्यादा शोषण करने वाला है। गुलामी आज भी है क्योकि आज के समय में यदि विरासत में मिली किसी गरीब की जमीन किसी ने फर्जोवाड़ा करके बेच दी तो न्यायलय में उसे न्याय नही मिलेगा क्योकि अदालते उनके लिये बनी है जिसके हाथ सोने के व पैर लोहे के है।आज भारत देश को इस भ्रष्टचारी राजनीति से बचाना होगा। यह देश न जाने किस तरफ जा रहा है किसी को किसी की परवाह नही है। मंत्रीगण तो धन कमाने के लिये गद्दी पर बैठे है।
15 जुलाई 2023 को उत्तराखण्ड मुख्यमन्त्री पुष्कर धामी को जमीन के फर्जोवाड़े की शिकायत मिली और फिर धामीजी ने कचहरी परिसर देहरादून में स्थित रजिस्ट्रार के आँफिस का निरीक्षण किया और जमीनों के रिकार्ड में खामियाँ पाई गई। काफी रिकार्ड गायब पाये गये इस आधार पर धामीजी ने एसआईटी टीम को जाँच के आदेश दिये और फिर सामने आया जमीनो का फर्जोवाड़ा जिसमें रजिस्ट्रार के आँफिस के कुछ कर्मचारी की मिलीभगत पाई गई।
रजिस्ट्रार के आँफिस में जमीनों के असली रिकार्ड मिटा दिये गये और फिर डुबलीकेट रजिस्ट्री बनाकर अवैध रूप से जमीने बेच दी गयी इस सब जमीनों की ड्रांफिटिग मशहूर वकील कमल विरमानी के द्वारा उनके केबिन में होती थी। करीब इस तरह से 100 करोड़ रूपये की जमीने फर्जोवाड़ा करके बेच दी। राजस्व विभाग के कर्मचारी भी इस फर्जोवाडे़ में शामिल है क्योकि फर्जो रजिस्ट्री द्वारा राजस्व विभाग में भी अपना नाम दाखिल करवा लेते थे।
ज्यादातर यह फर्जोवाड़े उन जमीनों पर हुए है जो बन्दोबस्त तहसील मे थी और जिन्हे सरकारी कर्मचारीयों ने आँनलाईन अपडेट नही किया।
जिसमें से एक जमीन जिसका खाता संख्या 851 व खसरा नम्बर 191 है जो मौजा कांवली देहरादून मे स्थित है उक्त जमीन का 600 गज भाग भी फर्जोवाड़े के तहत भूमाफिया ने बेच दिया और बाकी 7.5 बिसवा पर भी कब्जा जमाये बैठा है। इस जमीन की असली रजिस्ट्री के रिकार्ड रजिस्ट्री विभाग कचहरी रोड प्रथम देहरादून से गायब कर दिये है। मुख्य मन्त्री को भी इस विषय में सूचना दी है मगर कोई कार्यवाही नही हुई।
उत्तराखण्ड सरकार की अनदेखी या लापरवाही कुछ ऐसी रही कि सरकार ने उत्तराखण्ड में जमीनों की निशानदेही आँनलाईन apply नही की और देहरादून जहाँ भूमाफिया के ज्यादा मामले है वहाँ पर भूमि का नक्शा भी आँन लाईन नही किया इससे भूमाफिया को खुली छूट मिली जमीन को कब्जा कर बेचने की। आज भी उत्तराखण्ड सरकार सो रही है ।यदि पुरानी जमीनों के रिकार्ड आँन लाईन अपलोड कर दिये जाते तो जमीन का मालिक किसी भी कोने पर है वह अपनी जमीन की स्थिति आँनलाईन देख सकता है। अभिलेखगार विभाग जानता है कि यदि बन्दोबस्त की जमीन भी आँनलाईन अपलोड हो जाती तो फिर कमाई कैसे होती रिश्वत कैसे मिलती ।दण्ड के तौर पर सख्त से सख्त कार्यवाही अभिलेखागार विभाग के कर्मचारीयों की होनी चाहिये फिल्हाल पाँच लोग अभिलेखागार से पकड़े गये जो जमीनों के असली सबूत मिटाकर उसकी जगह नखली रिकार्ड राजस्व विभाग में चढ़ाते थे। सरकार ऐसी होनी चाहिये जो जनता की प्रापर्टो की रक्षा कर सके मगर विभाग में रक्षक ही भक्षक बन गये है।
देहरादून में चाय का बगान की जमीन में भी फर्जोवाड़ा हुआ है सीलिग की जमीन बेचकर किसी ने वहाँ पर एक आलीशान थी्रस्टार होटल भी बना लिया है ।जमीनों में फर्जोवाड़ा सरकार की लापरवाही के कारण हो रहा है। हो सकता है अब इस पूरे प्रकरण की जाँच सीबीआई कर सकती है।
उत्तराखण्ड में स्थित जोशीमठ में भगवान नरसिंह का प्राचीन मन्दिर है जहाँ पर आदि गुरू शकराचार्य ने भगवान नरसिंह की तपस्या की थी और तभी से वहाँ पर भगवान नरसिंह की प्राचीन मूर्ति है। ऐसी मान्यता है कि जब-जब धरती पर पाप-अधर्म बढ़ता जायेगा तो यह मूर्ति लुप्त होती जायेगी और ऐसा हो भी रहा है जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह की मूर्ति का एक हाथ लुप्त होता जा रहा है जिसका परिणाम जोशीमठ में सन 2022 में देख चुके है जोशीठ की जमीन पाताल में धँसती गयी और काफी लोगो को वहाँ से अपना सब कुछ छोड़कर जाना पड़ा सरकार की ओर से इनकी कोई मदद नही की गयी। अब प्रश्न यह उठता है कि यदि इस मूर्ति के हाथ पूर्ण रूप से गायब हो गये तो उत्तराखण्ड में प्रलय आ सकती है। उत्तराखण्ड के लोगो ने एक अलग राज्य तो बना लिय मगर देवभूमि के अस्तित्व को कायम नही रख सके इसलिये 2013 में केदारनाथ पर भंयकर बाढ़ आयी थी। देवभूमि को अलग राज्य बनाने की होड़ में यहाँ के ज्यादातर निवासीयों ने देवभूमि का अस्तित्व लगभग खत्म सा कर दिया है। प्राकृतिक आपदांए ही इसका दुष्परिणाम है।देवभूमि का अस्तित्व तभी कायम रह सकता जब यहाँ पर कोई ईमानदार सरकार आये और ईमानदारी से कार्य करे और भूमाफिया को देवभूमि का अस्तित्व उजाड़ने से रोके।

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