badla desh bhagat kaa(hindi novel) chapter 13





वो यह देखकर दंग रह गया कि एक पुरानी बस्ती में रहने वाली लड़की इतनी सुन्दर हो सकती हैं मगर उसकी आँखें देखकर ऐसा लग रहा था मानों उसकी आँखों में दर्द भरी दास्तान छिपी हैं जो किसी से कुछ नही कहना चाहती है।

फिर अचानक वो बोल पड़ी कहिये आप किस उद्देश्य से आये है?आप मेरा नाम कैसे जानते हैं इससे पहले तो मैने आपको कभी नही देखा वो कुछ तेज स्वरों मे बोली।

दरअसल, मिस राधिका मै एक प्रेस रिर्पाटर हूँ  और आगे तुम खुद ही समझदार हो तुम समझ चुकी होगी कि मैं यहाँ किस मकसद से आया हूँ। और रही तुम्हारें नाम की तो तुम्हें शायद याद नही तुम्हारे पिता ने अभी तुम्हारा नाम पुकारा था।

कहिये आप किस उद्देष्य से आये है। राधिका ने संदेह भरे शब्दों मे पूछा?

आप बताइये एक रिर्पाटर का उद्देश्य क्या हो सकता है?

पैसा और नाम कमाना राधिका व्यंग्य करते हुए बोली।

उसके मुख से यह शब्द सुनकर अजय मुस्कुराया क्योकि उसके पेशे में यह कटु वाक्य एक आम बात थी।वो इस कहावत को मानता था कि गेहूँ के साथ घुन भी पीस जाते हैं। उसे राधिका के कटु शब्दों को सुनकर अनुभव हो रहा था कि सिस्टम ने राधिका की सोच को एकदम नकारत्मक सा बना दिया हैं।

वो अपने आप से बातें कर ही रहा था कि अचानक उसको अपने कान में आवाज सुनाई दी‘‘ किस सोच में पड़ गये? रिर्पाटर साहब‘‘ बुरा मानियेगा सच तो कड़वा ही होता हैं।

यह तुम्हारी भूल हैं राधिका। सच कड़वा नहीं बल्कि अमृत होता हैं, मैं सत्य को अमृत समझकर ग्रहण करता हूँ ,कड़वाहट समझकर नही।

अजय के मुख से यह वाक्य सुनते ही राधिका सन्न-सी रह गयी, इतने सच्चे और गहरे शब्द उसने आज से पहले कभी नही सुने थे।उसे अजय की बातों में सच्चाई सी नजर आने लगी।उसका दिल तो अजय पर यकीन करने की इजाजत दे रहा था मगर दिमाग नही।आप तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते है अजय साहब, मगर खाली बातों से इन्साफ नही मिलता।

तो क्या सच्चाई से दूर भागने पर इन्साफ मिल जाता है मिस---

हम तो गरीब इन्सान हैं हमें भला इन्साफ कौन दिलवायेगा?

इन्साफ सबकों मिलता है, वो चाहें गरीब हो या अमीर।

यह सुनकर राधिका मुस्कुरायी और बोली ‘‘काश, आपकी बात सच होती। वो व्ंयग्य भरी मुस्कान भरते हुए बोली।

मेरे वाक्य सच हो सकते है यदि आप मेरा साथ दे।

किस तरह का साथ चाहते हैं आप? राधिका ने अजय की निगाहों में निगाहे डालते हुए पूछा?

किस तरह से आप मेरा साथ दे सकती हैं।

आप खुद ही तय कर लीजिए।

पूछिये आप क्या पूछना चाहते हैं?

मैं आपसे कोई लम्बा-चैड़ा सवाल नही पूँछूगा।सवाल बहुत छोटा हैं,‘‘ क्या आप उन लोगों के नाम बता सकती हैं जो इस बस्ती में अवैध शराब का धन्धा चलाते हैं।

आप तो खुद एक रिर्पाटर है।इस बात का जवाब तो आप मुझसे बेहतर दे सकते हैं।

बात तो आपकी सही है मगर पुलिस ने इस केस को ऐसा दबाया हुआ है कि किसी भी एक शराब माफिया का नाम उजागर नही हो पाया।मगर आप जैसे लोग मेरी कुछ मदद करे सकते हैं।

अब मैं आपको क्या बताऊँ जो होना था सो हो गया, मेरा भाई जहरीली शराब पीने से मर गया, हमारा दुर्भाग्य है कि हम उसे बचा सके।

यह आपसे किसने कह दिया हैें कि आपका भाई शराब पीने से मरा था।

तो फिर, राधिका ने आश्चर्यचकित भाव में पूछा?आपका भाई जहरीली शराब के नासूर हाथों से तो बच गया था मगर किसी ने उसे बेमौत मार दिया।

यह सुनते ही राधिका के पैरों की जमीन खिसक गयी और बूढ़े के हाथ से उसकी लाठी छूट गयी।

यह आप क्या कह रहे है? रिर्पाटर साहब! हमें तो यह बताया गया था कि अस्पताल में भईया की मौत हो गयी।

आपके भईया अपनी मौत नही मरें राधिका किसी साजिश के तहत उनकी जान गयी है।

यह सब कैसे हुआ? यह पूछते हुए राधिका की आँखों में आँसू गये।

यह सब कोई इफ्ताक नही,‘‘ यह एक जानबूझकर बिछाया गया एक जाल हैं जिसकी शुरूआत जहर के इन्जेक्शन से हुई।

जहर के इन्जेक्शन से, राधिका ने संदेह भरे शब्दों में पूछा?

राधिका अब गम्भीर हो चुकी थी,‘‘उसे अपनी आँखों के सामने अपने भाई की तस्वीर घूमती नजर आने लगी जिससे वह बेहद स्नेह करती थी, जो उसके दुख में दुख और सुख में सुख का अनुभव करता था।जो अपनी बहन की शादी बड़े धूम-धाम से करना चाहता था।आज यदि वो जिन्दा होता तो कब का अपनी बहिन के हाथ पीले कर चुका होता।

   राधिका जजबात के समुद्र में बहती जा रही थी उसे ऐसा लग रहा था मानों उसके अश्क को देखकर समुद्र के भी अश्क निकल जाएँगे। वो अपने जजबातों को रोक सकी और उसके मुँह से शब्द फूट पड़े।

क्या बिगाड़ा था मेरे भईया ने किसी का? भगवान उन पापियों को कभी माफ करें, जो नशा बोतलों में बन्द करके बेगुनाहों में बाँटकर उनकी जिन्दगी को मौत के मुँह तकं पहुँचा देते है।

शराब की भट्ठियाँ मौत का बाजार हैं जो एक बार वहाँ चला जाता हैं, उसका घर बाहर, बीवी बच्चे तबाही और बर्बादी के रास्ते तक पहुँच जाते हैं। सरकार चाहे तो नशाबन्दी करके इस अवैध धन्धे को रोक सकती हैं लेकिन कुर्सियों मे बेटे मन्त्रीगण करोड़ो के

ठेके माफियो को देते हैं और बदले में लाखों रूपये रिश्वत के रूप में लेते है। सरकार  शराब के इस अवैध धन्धे को वैध बनाकर माफियांे को इसकी बिक्री का लाईसेंस प्रदान करती हैं।

सरकार इतनी असमर्थ हो चुकी है कि वह अवैध धन्धों के टैक्स द्वारा ही देश को चलाने में समर्थ हैं।

जब तक नेतागण पाप के रंग में रंगे रहेगे तब तक भारत भूमि के गर्भ से अपराधी जन्म लेते रहेगे और आम आदमी वक्त की इस बेरहम चक्की में पिसता चला जायेगा।

     अजय राधिका के एक-एक लवज को बड़े ध्यान से सुन रहा था।वह मौन होकर राधिका को देखता रहा। आज उसे एक लड़की मे आदर्श स्त्री नजर रही थी।उसे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था। एक साधारण-सी लड़की इतनी गहराई से सोचकर बात कह सकती हैं।

क्या सोच रहे हैंे रिर्पाटर साहब? मैं जानती हूँ  कि आप सोच रहे हैं कि एक आम लड़की आज इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर रही हैं। जब जजबात का ज्वालामुखी फूटता हैं तो कोहराम मचा देता है रिर्पाटर साहब।

अपने ज्वालामुखी को दिल में मत छुपाओं राधिका, इसे बाहर आने दो। मैं भी इसकी आगोश में तपकर एक लोहा बनना चाहता हूँ।मुझे अपनी आगोश में ले लो राधिका।

ज्वालामुखी की ज्वाला में इतनी तपिश होती हैं कि वो मौत को भी जलाकर राख कर सकती हैं।

43-45 page

Post a Comment

0 Comments