उत्तराखण्ड में भू-माफिया सरकारी अफसरों की लापरवाही और रिश्वतखोरी की वजह से पनप रहा है(bhumafia)

 





उत्तराखण्ड राज्य जब से उत्तरप्रदेश से अलग हुआ है यहाँ पर जमीनों के भाव आसमान छूने लगे। और फिर बड़ा भू-माफिया का जाल और यह जाल कोई कुख्यात लोगो का नही बल्कि सफेदपोश लोगो का है। इस भू-माफिया का मुख्य साथी एक पटवारी है जो बन्दोबस्त तहसील में कार्यरत था और जिसका मौजा कांवली देहरादून था। तथा देहरादून रजिस्ट्री आँफिस से भी कुछ ऐसे रिकार्ड गायब किये गये जिन्हें धोखधड़ी करके बेच दिया था भू-माफियाओं ने सरकारी अफसरों की मिली भगत से।यह भू-माफिया भी घरों में सफेदपोश आम नागरिक की तरह रहते है। उक्त विभाग में यह हफ्ता पहुँचा देते है इस कारण यह पकड़ में नही आते।

विजयपार्क एक्टेनशन मौजा कांवली देहरादून में भू-माफिया कुछ प्रतिशत है जो सफेदपोश लोगों की तरह रहते है। असली भू-माफिया तो सरकारी सिस्टम है जो रिश्वत खाकर इनके जाली दस्तावेजों को असली बना देता है। पटवारी पैसा खाकर किसी की भी जमीन जिसकी कोई देख-रेख नही कर रहा नखली कागज बनाकर भू-माफिया के साथ मिलकर किसी ओर को बेच देते है।और रजिस्ट्री रिकार्ड रूम से असली रिकार्ड मिटा दिये जाते है। कभी-कभी तो आग भी लगा दी जाती है जानबूझकर  । असली रिकार्ड भी मिटा दिये जाते है। एक गरीब इन्सान तो कोर्ट के द्वारा अपने हक की लड़ाई नही लड़ सकता क्योकि कोर्ट में तो वह ही जा सकता है जिसके सोने के हाथ व लोहे के पैर होते है।

बिना धन के एक गरीब इन्सान अपनी हक की कानूनी लड़ाई नही लड़ सकता है। क्योकि वकीलों की फीस बहुत मंहगी होती है आज भारत देश की स्थिति ऐसे हो गई है खून से मंहगा पानी है यह है कानून की व्याखया।

उत्तराखण्ड मंे भूमाफिया का कहर इतना बढ़ चुका है कि यदि आपकी जमीन आपकी निगरानी में नही है या आप एनआरआई है तो उत्तराखण्ड में आपकी जमीन खतरे में आ सकती है क्योकि भू-माफिया या कुछ पटवारी इस ताक में रहते है कि कोई खाली जमीन मिले जो जमीन मालिक की निगरानी मंे न हो।

अफसरों की घूस खोरी के कारण उत्तराखण्ड में भू-माफिया द्वारा जमीन हड़पने के केस लगातार बढ़तें जा रहे है। और सरकार भी भू-माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कदम नही उठा पायी। सरकारी कर्मचारीयों की लापरवाही और रिश्वतखोरी ने उत्तराखण्ड देव भूमि को माफियों का अडडा बना दिया है। 

वर्षो से भू-माफिया के कारण हजारों एकड़ जमीन के मालिक उनके नियंत्रण से बाहर हो रहे है।इन जमीनों को उनके अधिकारीयों द्वारा सुरक्षित नही किया जा रहा है और जो भू-माफिया के उद्देश्य को पूरा करने में सहायता करता है। इस लापरवाही और रिश्वतखोरी की वजह से लोग नही सिर्फ अपनी जमीनों को खो रहे है,बल्कि उन्हें अपने घरों और उत्पादकता से भी महरूम कर रहे है। अब प्रधानमंत्री मोदीजी ने जो आधार कार्ड की अनिवार्यता का नियम बनाया उससे जमीन का फर्जोवाड़ा काफी हद तक खत्म हुआ है। अब कोई जालसाज झूठे हस्ताक्षर करके किसी की जमीन किसी ओर को नही बेच सकता। क्योकि जमीन अब तभी बिकेगी जब असली जमीन का मालिक अपने आधार कार्ड का नम्बर डालकर खुद अपने फिंगर प्रिन्ट देकर अपनी जमीन को नही बेचता। इसलिये मोदीजी की आधार की अनिवार्यता ने भू-माफियों के जालसाजी इरादों को समाप्त किया है। और power attorney द्वारा जमीन को न बेचा जाये क्योकि power attorney में जाली दस्तखत करके उक्त विभागो की साँठ-गाठ से कोई अन्य व्यक्ति जमीन मालिक के जाली हस्ताक्षर करके जमीन बेच देता है।

उत्तराखण्ड में जो प्राकृतिक सौन्दर्य है उसे भू-माफिया नष्ट कर रहे है। उत्तराखण्ड में भू-माफिया का मुख्य केन्द्र उत्तरकाशी,देहरादून,नैनीताल,रूद्रप्रयाग,टिहरी इत्यादि क्षेत्र है जो अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिये पर्यटको के आकर्षण का स्रोत रहे है। मगर भू-माफिया इन प्राकृतिक सौन्दर्य वाली जमीनों पर अवैध कब्जा करके उन्हें नष्ट कर रहा है । और इन प्राकृतिक स्थानों पर भवन  होटल इत्यादि का construction चल रहा है।

आज उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौन्दर्य नष्ट हो रहा है । देवभूमि का अस्तित्व खत्म सा होता जा रहा है शायद इसी कारण केदारनाथ में 2013 को एक भयंकर बाढ़ आई थी जो काफी कुछ बहा कर ले गयी। आसमान से बादल फटना और बिजली गिरना इस बात का संकेत है देवभूमि के प्राकृतिक सौन्दर्य&स्रोत को नष्ट न करो।


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