manish sisodia and model shop policy

 



                   मनीष सिसोदिया की माँडल शाँप पाँलिसी

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब नीति को नया रूप देने में मुखर हिमायती रहे है।मनीष सिसोदिया मंत्री के पद पर होते हुए भी कभी अमीर नही बने आज उनके बैक खाते सी0बी0आई0 टटोल चुकी है जिसमें नाममात्र धन ही सीबीआई को तफदीश के दौरान मिला है। भारत देश की जनता भ्रष्टाचार की गुलाम है और जो इन्हें इस गुलामी से आजाद करायेगा उसे जेल में डाल दिया जायेगा जिसका उदाहरण मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन है। जिनके खिलाफ सीबीआई और ईडी कोई ठोस सबूत नही जुटा पायी फिर भी दोनोे जेल मंे बन्द है।
सिसोदिया के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने शराब नीति सुधार और इसे और अधिक पारदर्शो और जवाबदेह बनाने के लिए कई कदम उठाए है।
सिसोदिया द्वारा शुरू की गई प्रमुख पहलों में से एक माँडल शाँप पाँलिसी है
जिसका उद्देश्य राज्य में शराब की बिक्री और खपत को विनियमित करना है। आप के अनुसार आबाकारी अफसर और शराब ठेकेदार की मिलीभगत के कारण दोनो काफी मात्रा में टैक्स का पैसा खा जाते है और सरकार तक पूर्ण टैक्स नही पहुँच पाता जिसके कारण दिल्ली सरकार ने अपनी शराब नीति को बदला या दुरस्त किया । फिर बाद में विपक्ष ने इस शराब नीति को एक स्कैम बताया।इस नीति के तहत सरकार ने स्टैंडअलोन शराब की दुकानों के लिए एक नई लाइसेंस श्रेण्ी की है। जिसे केवल निर्दिष्ट क्षेत्रों में संचालित करने की अनुमति होगी।सरकार ने शराब पीने की कानूनी उम्र को भी 21 से बढ़ाकर 25 साल कर दिया है और रिहायशी इलाकों में शराब की दुकानों की संख्या कम कर दी है।
दिल्ली सरकार ने डुप्लीकेट शराब न बने इस कारण दिल्ली में नई नीति लागू की है।
सिसोदिया की शराब नीति को कुछ तिमाहियों ,विशेषकर शराब उघोग और विपक्षी दलों की आलोचना का भी सामना करना पड़ा है उन्होने सरकार पर शराब की बिक्री और खपत पर मनमाना और अत्यधिक प्रतिबन्ध लगाने का आरोप लगाया है उनका दावा है इससे उद्योग में काम करने वाले हजारों लोगों की आजीविका प्रभावति होगी।
आलोचना के बावजूद सिसोदिया एक तर्कसंगत और मानवीय शराब नीति के अपने दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबन्द्व रहे है।उन्होने यह सुनिश्चित करने के लिए उद्योग और नागरिक समाज समूहों सहित सभी हितधारकों के साथ जुड़ने की मांग की है कि नीति लंबे समय तक प्रभावी और टिकाऊ रहे।
अन्त में मनीष सिसोदिया की शराब नीति दिल्ली राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्वता को दर्शाती है। जबकि नीति को कुछ तिमाहियों से विरोध का सामना करना पड़ा है सिसोदिया के नेतृत्व को दिल्ली के उप मुख्यमन्त्री दिल्ली राज्य में शराब नीति को एक नया रूप देने में एक अहम भूमिका के साथ रहे है।
सिसोदिया द्वारा शुरू की गई प्रमुख पहलों में से एक शराब नीति का ‘‘दिल्ली माँडल‘‘ है । सिसोदिया का उद्देश्य नई शराब नीति में यह रहा है कि दिल्ली सरकार को अधिक राजस्व मिल सके और शराब के कर से स्वास्थ्य सभी समस्याओं को दूर किया जा सके ।परन्तु जाँच एजेन्सी ने सिसोदिया पर आरोप लगाया कि सिसोदिया ने कई करोड़ रूपये इस शराब नीति के तहत गबन किये है। जाँच एजेन्सी ने सिसोदिया के बैक एकाऊन्ट भी खगाले गये और सिसोदिया के बैक एकाऊन्ट में 5 लाख रूपये से ज्यादा नही मिले सिसोदिया के पास उनका एक मकान है जिसकी कीमत केवल 65 लाख रूपये आँके गयी है यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि यदि जाँच के दौरान कोई विपक्ष का मन्त्री निर्दोष पाया जाता है फिर भी जाँच एजेन्सी उसे रिमांड में लेकर जाँच करती रहती है।आम आदमी पार्टो के अनुसार सिसोदिया को इस मामले में झूठा फँसाया गया है। आज जनता के लिए जो भी ईमानदारी से कार्य करेगा उसका यही हाल होगा जो सिसोदिया जी का हुआ।
शराब पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है । शराब पीने के कारण काफी मात्रा में गरीब घर बर्बाद हुए है और शराब एक श्राप है सरकार को एक ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये जिस नीति के तहत शराब को पूरे देश में बन्द किया जाना चाहिये और जनता का जो टैक्स पैसा सरकार के पास आता है वह ईमानदारी से खर्च किया जाना चाहिये यदि जनता का टैक्स का पैसा से ईमानदारी से खर्च होने लगा तो देश की व्यवस्था को चलाने के लिये सरकार को शराब के टैक्स की पैसे की जरूरत नही पड़ेगी।
दिल्ली में मनीष सिसोदिया ने शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रान्ति उत्पन्न कर दी है। जहाँ एक गरीब की सन्तान भी अमीरों की तरह अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकती है।देश की जनता को निर्णय लेना होगा  िक वह गुलाम ही बने रहना चाहते है या अपने बच्चों को एक अच्छा भविष्य देना चाहते है। स्वास्थ्य और शिक्षा ही जनता के प्रगतिशील जीवन का आधार है और दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य और श्क्षिा की प्रणाली को पहले से ज्यादा दुरस्त किया है।मगर जब बिना सबूतो के इन लोगो को जेल मे डाल दिया जायेगा तो भारत देश व उसकी जनता का अस्तित्व कैसे बचेगा। जनता क्या हर पाँच साल बाद मंहगाई ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार की गुलाम बनी रहेगी।
 

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