badla desh bhagat kaa(hindi novel) chapter12

 




अजय ने कीचड़ से अपना पैर निकाला और मुस्कुराता हुआ आगे चल पड़ा।

अजय चलते-चलते एक झोपड़ी के आगे रूक गया जहाँ पर एक सत्तर वर्ष का बूढ़ा झोपड़ी के दरवाजे पर बैठा था। वह ठण्ड से काँप रहा था। शायद ओढ़ने के लिऐ उसके पास चादर भी नही थी।

अजय उसकी स्थिति को ताड़ गया और उसकी आँखे भर आई। उसने अपना कोट उतारकर बूढ़े को ओढ़ा दिया। बूढ़ा अजय को आश्चर्य भरी निगाहांे से देखने लगा।जीते रहो बेटा, वो लड़खड़ाती जुबान में बोला और फिर कोट उतार कर अजय को वापिस देने लगा।

बेटा हम गरीब जरूर है मगर खुद्दार हैं। यह शब्द सुनकर अजय बुत-सा बना उस बुजुर्ग को ताकता रहा।

उसे गरीब झोपड़ी मे कड़वा सच लिपटा हुआ नजर रहा था।

बाबा आप तो कुछ ओर समझ बैठे मै तो केवल इन्सानियत के नाते आपकी मदद करना चाहता था।

मैने आपको ठण्ड से ठिठुरते हुए देखा और मेरे मन में आपके प्रति एक उद्वार भावना जागृत हो गई और जजबात के वंशीभूत होकर मुझसे रहा नही गया और मैने आपके ऊपर अपना कोट डाल दिया।

यह सुनते ही बूढ़ा मुस्कुराया, और मुस्कुराते हुए बोला,‘‘ बेटा बुरा मानना एक बात कहूँ।

बेझिझक होकर कहो बाबा।

बेटा इस दुनिया में बिना स्वार्थ के कोई किसी पर दया नहीं करता और मंै तो एक गरीब इन्सान हूँ मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। बाबू-साहब। वो हाथ जोड़ते हुए बोला।

बाबा हाथ की पाँचों अगुलियाँ बराबर नही होती। सबको एक नजरीयेे से देखना न्यायसंगत नही हैं।

उसके मुख से यह शब्द सुनकर  बूढ़ा फटी-फटी आँखों से उसकी ओर देखने लगा,उसे अजय की आँखों में सच्चाई की एक किरण नजर  आने लगी।

उसके कपकपाते होठ से स्वर फूट पड़ा-बेटा तुम मुझसे क्या चाहते हो?

बाबा मै एक पत्रकार हूँ।

यह सुनते ही बूढ़े के हाथ से लाठी छूट गयी और वह गम्भीर स्वर में बोला‘‘ बेटा मै बहुत परेशान हूँ मुझे और परेशान मत करो, मै तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हँू।

बाबा मुझसे ऐसा क्या गुनाह हो गया? जो आप मेरे साथ ऐसा बत्र्ताव कर रहे है?

बेटा मुझे माफ करो और यहाँ से चले जाओं।

बूढ़े के मुख से कटाक्ष भरे शब्दों को सुनकर अजय के भीतर सच्चाई को जानने का जजबा और जाग गया और  वो भावुक भरे शब्दों मे बोला।

क्या चाहते है आप, आपका बेटा जो जहरीली शराब पीने से मौत की नींद सो गया क्या आप उसके कातिलों को यूँ छोड़ देगे?यदि आप लोग यूँ ही चुपचाप बैठे रहोगे तो हर एक मुजरिम के हौसले बुलन्द होते जाँएगे और बस्ती-बस्ती गाँव-गाँव ये लोग मौत बाटते जायेगे और आप जैसे लोग इन दरिन्दों के शिकार बनते जाँएगे।

सोचो कितना तड़पा होगा? वो जब जहर की एक-एक बूँद उसे मौत की नींद सुला रही थी।आज आपके बेटे की आत्मा इन्साफ माँग रही हैं।

यह सुनते ही बूढ़े की आँखों में आँसू गये और वो रोते हुए बोला‘‘ ---नही मै और कुछ नही सुन सकता बेटा, मेरा जिंगर फट के बाहर जायेगा,ऐसे कटु शब्दों का इस्तेमाल मत करो। तुम जो पूछना चाहते हो मैं बताने के लिए तैयार हूँ

इतना सुनकर अजय ने बड़े आत्मविश्वास के साथ गहरी साँस ली।

मै आपसे चन्द सवाल पूछना चाँहूगा? और आपको उन सवालों के जवाब मुझे देने होगे।

पूछों बेटा क्या पूछना चाहते हो?

कुल मिलाकर आपके घर में कितने सदस्य है?

बेटा,‘‘ मै और मेरा पोता और साथ में एक विधवा बहू और एक बेटी है मेरी।

मैं जानता हूँ कि जहरीली शराब पीने से आपके लड़के की मौत हुई है।

क्या मैं पूछ सकता हूँ? आपकी बहू को सफेद साड़ी पहनाने वाले कौन लोग है?

 

आप समझ रहे हैं मैं क्या पूछना चाहता हूँ?

यह सुनते ही बूढ़े की आँखों में आँसू गये। कुछ कहते हुए उसके होठ कँपकँपाने लगे अतः उसने अपने को सँभाला और वो हिम्मत जुटाते हुए बोला,‘‘ साहब यह पूछो तो इसमें मेरी और आपकी भलाई हैं। हम तो इतिहास को एक कड़वा अतीत समझकर भूल चूके है, जो इतिहास खून से रंगा हो उसे भूलने में ही समझदारी हैं।भूलने से दर्द कम नही होता बल्कि बढ़ जाता है। इन्सान अन्दर ही अन्दर एक घुटन सी महसूस करने लगता है। इसलिए अपने शुभचिन्तक को अपने दर्द दिल का हाल बयान कर देना चाहिए।

दुनिया के दर्द को स्याही बनाकर मैं कलम के सहारे पन्नों मंे बाँट लेता हूँ।

इस तरह से मैं दुनिया के दर्द की माला पिरो के उसे अपना दर्द समझने लगता हूँ।अजय जजबात भरे शब्दों में बोला।

तुम तो दर्द को कलम के सहारे बाँट लेते हो परन्तु दर्द को सहना तो मेरी तकदीर बन चुकी है। बाबू साहेब।

बेटा जब मैं अपनी विधवा बहू को सफेद साड़ी में देखता हूँ तो वह सफेद साड़ी मुझे उसके

अरमानों का कफन लगती हैं। वह कफन ओढ़े एक जिन्दा लाश बन चुकी है।

 मै एक गरीब इन्सान हूँ इसलिए गरीबी ने मुझे लाचार कमजोर बना दिया है। इतना कहते ही बूढ़े की आँखे अश्कों से भर आयी।

बूढ़े की आँखों में अश्क देखकर  अजय का दिल पसीज गया।

उसने अपने मन में सोचा जब बूढ़े का बेटा जिन्दा था ।तब उसकी गुजर-बसर अच्छी चल रही थी।उसके मरने के बाद उसका परिवार काफी तकलीफों से गुजर रहा हैं। इस तरह से अन्धे की लाठी वक्त के बेरहम हाथों ने छीन ली।

बूढ़ेे के अश्क उसके दिल में छप चुके थे मगर बाहर नही निकल रहे थे।वक्त उस पूरी बस्ती में अश्कों का सौदगार बन गया था।

वह यह सब सोच ही रहा था कि अचानक उसे अपने कानों मे पायल की झनकार सुनाई दी

जैसे-जैसे पैरों की आहट बड़ती गयी वैसे-वैसे झनकार की आवाज भी बढ़ती गयी।

थोड़ी देर में अजय को एक चैबीस वर्ष की सुन्दर कन्या अपने सामने दिखाई पड़ी।उसके बाल काले घने और लम्बे थे। उसके बालों में बंगाल का जादू  नजर रहा था।उसकी सुन्दरता मनमोहक और आकर्षक नजर रही थी और चेहरा तो अपने आप में एक खूबसूरत गजल समेटे हुए था।उसके होठ लाल मूँगे की तरह मनमोहक लग रहे थें। अजय उसकी सुन्दरता में ऐसे खो गया, कि उसकी आँखों से केवल पे्रम झलक रहा था वासना नही।

अजय उसकी सुन्दरता में ऐसे खो गया कि उसे एक पल यह होश ही नही रहा कि वो पृथ्वी में या परी लोक में।

बेटा यह मेरी छोटी बेटी राधिका हैं।

अजय को ऐसा लगा मानो किसी ने उसे झकझोऱ दिया हो।

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